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महाराष्ट्र:नवाब मलिक, फडणवीस, राउत, हर रोज एक नया किरदार कहानी का रोमांच बढ़ा रहा

Maharashtra में राजनीतिक लड़ाई क्यों हो रही है निजी?

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क्रूज ड्रग्स मामले में आर्यन खान की गिरफ्तारी और बेल... NCB जोनल डायरेक्टर समीर वानखेड़े पर फर्जीवाड़े के आरोप... मंत्री नवाब मलिक के रोज बड़े खुलासे... पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस पर ड्रग्स रैकेट से जुड़े गंभीर आरोप... महाराष्ट्र में डिप्टी सीएम अजित पवार की हजार करोड़ की प्रॉपर्टी जब्त... पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख भी उगाही मामले में गिरफ्तार...

एक के बाद एक हो रही इन घटनाओं ने महाराष्ट्र (Maharashtra) का सियासी पारा बढ़ा दिया है. महाराष्ट्र में ड्रग्स रैकेट (Drug Case) से शुरू हुआ घमासान अब सियासी महाभारत का रूप ले चुका है. राजनैतिक लड़ाई अब निजी बनती जा रही है. हर रोज एक नया किरदार कहानी का रोमांच बढ़ा रहा है. कहानी में अब बड़े नामों की एंट्री हो गई है.

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ड्रग्स और सियासत

एनसीपी नेता और महाराष्ट्र सरकार में मंत्री नवाब मलिक के हमले के बाद पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस ने दीवाली के बाद बम फोड़ने की चेतावनी दी है, तो वहीं राजनीतिक पटाखे फोड़ने के लिए दीवाली तक रुकने की जरूरत नहीं ऐसी सलाह सीएम उद्धव ठाकरे दे रहे हैं. जहां एक तरफ मंत्री नवाब मलिक के NCB के साथ बीजेपी पर हमले जारी हैं. तो वहीं केंद्रीय एजेंसियां का एनसीपी की बड़ी हस्तियों पर शिकंजा कसता जा रहा है.

IT विभाग की छापेमारी में डिप्टी सीएम अजित पवार की हजार करोड़ की प्रॉपर्टी जब्त हो गई है. 100 करोड़ के उगाही मामले में पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख को ED ने गिरफ्तार कर लिया है. ऐसे में अब कहानी का प्लाट छोटे-बड़े किरदारों के इर्द गिर्द नहीं घूम रहा, बल्कि एक बड़े राजनीतिक संघर्ष की ओर इशारा करता नजर आ रहा है. क्योंकि फणनवीस के चेतावनी को स्वीकार करते हुए नवाब मालिक ने ट्वीट कर कहा 'है तैयार हम !' तो दूसरी ओर शिवसेना नेता संजय राउत का कहना है कि, 'अब भी वक्त है संभल जाओ, क्योंकि हमाम में सब नंगे हैं !'

राजनीतिक लड़ाई क्यों हो रही है निजी?

क्रूज ड्रग्स मामले में मंत्री नवाब मलिक पर वानखेड़े के निजी जिंदगी पर हमले का आरोप लगने लगा है. इसे मलिक के दामाद पर हुई NCB के कार्रवाई का बदला भी कहा गया. लेकिन मलिक ने साफ किया कि वो न किसी धर्म, न व्यक्ति के खिलाफ़ लड़ रहे हैं. उनकी लड़ाई अन्याय और फर्जीवाड़े के खिलाफ है. साथ ही मलिक ने ये भी गवाला दिया है कि बीजेपी केंद्र सरकार के जरिये अजित पवार की बहनों और रिश्तेदारों को निशाना बना रही है. संजय राउत ने भी सीएम उद्धव की पत्नी रश्मि ठाकरे का नाम बीजेपी नेता किरीट सोमैया के जरिये उछाले जाने पर आपत्ति जताई.

इसके अलावा राउत ने अपनी पत्नी, एकनाथ खडसे की पत्नी को ED द्वारा भेजे समन की भी याद दिलाई. इसलिए परिवार पर हो रहे हमले के चलते अब एमवीए सरकार ने भी बिजेपी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. यही वजह है कि नवाब मलिक ने जेल में बंद ड्रग पेडलर के साथ देवेंद्र फडणवीस की पत्नी अमृता फडणवीस की फोटो ट्वीट कर सवाल उठाए हैं.

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क्यों शुरू है महाराष्ट्र में महाभारत?

महाविकास अघाड़ी सरकार को दो साल पूरे हो रहे हैं. शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस गठबंधन की सरकार ज्यादा दिनों तक नहीं टिक पाएगी ऐसी अटकलें राजनीतिक विश्लेषक लगा रहे थे. विपक्षी बीजेपी का भी दावा था कि ये सरकार अपने ही कलह से गिरेगी. लेकिन ऐसा होते दिख नहीं रहा.

राजनीतिक विश्लेषक सुधीर सूर्यवंशी का कहना है,

'सत्ता में आने के लिए बीजेपी हर मुमकिन साधनों का इस्तेमाल करने में हिचकिचा नहीं रही. शुरुआत में बीजेपी ने विधायक तोड़ने की कोशिशें की लेकिन सत्ता के लिए जरूरी आंकड़ा जुटा नहीं पाई. फिर एंटीलिया बम धमकी मामला और सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद सरकार की कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाए. सरकार के खिलाफ नैरेटिव सेट किया. लेकिन इससे भी सरकार पर दबाव नहीं बना. अब सरकार के बड़े मंत्रियों को निशाना बनाकर बीजेपी सरकार को नुकसान पहुंचाने की कोशिश में हो सकती है. ताकि मध्यावधि चुनाव के आसार हो तो लोगों में सरकार के खिलाफ सहानुभूति ना हो.'

क्या हो सकते है परिणाम?

महाराष्ट्र की राजनीति में व्यक्तिगत आरोपों को कभी स्थान नहीं मिला. बल्कि वैचारिक मतभेद होते हुए बड़े नेताओं के हमेशा से व्यक्तिगत संबंध अच्छे रहे हैं. बालासाहेब ठाकरे और शरद पवार या फिर विलासराव देशमुमख और गोपीनाथ मुंडे के बीच की दोस्ती इसका उदाहरण है.

हालांकि राजकीय पत्रकार सुनील चावके का मानना है कि, राजनीति में सोशल मीडिया के बढ़ते इस्तेमाल के बाद निजी जीवन को उछालना आम बात हो गई है. ऐसे आरोपों से सनसनी फैलती है और राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ परसेप्शन बनाने में मदद मिलती है.

चावके का कहना है कि आज कल सत्ता को काबिज करने के लिए राजनेता किसी भी हद्द तक जाने के लिए तैयार हैं. जिस वजह से आरोपों का स्तर अब निजी होते जा रहा है. हालांकि आम लोगों के हित के लिए इस तरह का राजनीतिक संघर्ष शायद ही देखने को मिलता है. साथ ही लगाए गए आरोपों का नतीजा भी कुछ नहीं निकलता.

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