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Mahua Moitra Case: लोकसभा में सवाल पूछने की क्या है प्रक्रिया? शर्त-नियम जानिए

Mahua Moitra पर बीजेपी ने पैसे लेकर संसद में सवाल पूछने का आरोप लगाया है.

Published
भारत
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तृणमूल कांग्रेस कीं सांसद महुआ मोइत्रा (Mahua Moitra) विवादों के बीच हैं. बीजेपी ने उनपर पैसे लेकर संसद में सवाल पूछने का आरोप लगाया है. इस आरोपों के बीच लोकसभा की एथिक्स कमिटी इस मामले को देख रही है. कमिटी गुरुवार, 26 अक्टूबर को अपनी पहली बैठक करेगी, जिसमें बीजेपी सांसद और शिकायतकर्ता निशिकांत दुबे और वकील जय अनंत देहाद्राई अपने बयान दर्ज करने वाले हैं.

ऐसे में हम आपको बताते हैं कि लोक सभा में सवाल करने का तरीका क्या होता है, और इसकी प्रक्रिया क्या होती है?

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सत्र के दौरान, लोकसभा आम तौर पर प्रश्नकाल से शुरू होती है - सांसदों को मंत्रियों से सवाल पूछने और उन्हें अपने मंत्रालयों के कामकाज के लिए जवाबदेह ठहराने के लिए एक घंटे का समय तय किया गया है.

सवाल पूछने की प्रक्रिया क्या है?

सवाल पूछने की प्रक्रिया "लोकसभा में प्रक्रिया और कार्य संचालन के नियम" में बताई गयी है.

सवाल पूछने के लिए, एक सांसद को पहले लोकसभा सेक्रेटरी के नाम एक नोटिस देना होता है. इसमें सवाल पूछने के अपने इरादे की जानकारी देनी होती है. नोटिस में आमतौर पर सवाल की जानकारी, जिस मंत्री से सवाल किया गया है उसका आधिकारिक पदनाम, वह तारीख जिस पर उत्तर पाने की उम्मीद है, और अगर सांसद उसी दिन एक से अधिक सवालों का नोटिस देता है, तो आर्डर प्रेफरेंस (किसका जवाब पहले चाहिए) शामिल होता है.

एक सदस्य को किसी भी दिन मौखिक और लिखित उत्तरों के लिए, कुल मिलाकर सवालों की पांच से ज्यादा नोटिस देने की अनुमति नहीं है.

एक दिन में किसी सदस्य ने अगर पांच से ज्यादा नोटिस दिए हैं तो अतिरिक्त सवालों पर संबंधित मंत्री उस सत्र की अवधि के दौरान अगले दिन विचार करते हैं.

आमतौर पर, किसी सवाल की सूचना की अवधि 15 दिन से कम नहीं होती है.

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नोटिस कैसे जमा करना होता है ? 

ऐसे दो तरीके हैं जिनके माध्यम से सांसद अपने सवालों के नोटिस जमा कर सकते हैं. सबसे पहले, एक ऑनलाइन 'मेंबर पोर्टल' के माध्यम से, जहां उन्हें एक्सेस पाने के लिए अपनी आईडी और पासवर्ड दर्ज करना होता है. दूसरा, संसदीय सूचना कार्यालय में उपलब्ध प्रिंटेड फॉर्म्स के माध्यम से.

इसके बाद लोकसभा अध्यक्ष निर्धारित नियमों के मुताबिक सवालों के नोटिस की जांच करते हैं. सदन के अध्यक्ष को ही निर्णय लेना होता है कि कोई सवाल या उसका कोई भाग स्वीकार्य है या नहीं.

सवालों को स्वीकार्य करने की शर्तें क्या हैं?

ऐसे कई नियम हैं जो एक सांसद द्वारा उठाए गए सवालों की स्वीकार्यता को निर्धारित करते हैं. उदाहरण के लिए, एक सवाल में सामान्यतः 150 शब्दों से अधिक नहीं होने चाहिए. उनमें तर्क-वितर्क, मानहानि करने वाले बयान नहीं होने चाहिए, उसमें आधिकारिक या सार्वजनिक क्षमता को छोड़कर किसी भी व्यक्ति के चरित्र या आचरण का उल्लेख नहीं होना चाहिए.

किसी पॉलिसी के बड़े मुद्दों को उठाने वाले सवालों की अनुमति नहीं है, क्योंकि किसी सवालों के जवाब देने का दायरा सिमित हैं और उसमें किसी नीति का वर्णन करना संभव नहीं है.

इनके अलावा, ऐसा कोई सवाल स्वीकार्य नहीं होगा जिसका विषय किसी अदालत या किसी अन्य न्यायाधिकरण या कानून के तहत गठित निकाय के समक्ष लंबित है या संसदीय समिति के समक्ष विचाराधीन है.

सवाल में उन मामलों पर जानकारी नहीं मांगी जा सकती है जो देश की एकता और अखंडता को कमजोर कर सकते हैं.

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सवाल कितने प्रकार के होते हैं?

सवाल चार अलग-अलग प्रकार के होते हैं:

तारांकित (starred): एक तारांकित सवाल एक सांसद द्वारा पूछा जाता है और संबंधित मंत्री इसका मौखिक रूप से उत्तर देते हैं. प्रत्येक सांसद को प्रतिदिन एक तारांकित सवाल पूछने की अनुमति है. तारांकित सवालों को कम से कम 15 दिन पहले जमा करना होगा (ताकि संबंधित मंत्री को जवाब तैयार करने के लिए समय मिल सके) और एक दिन में केवल 20 सवाल मौखिक जवाब के लिए सूचीबद्ध/लिस्ट किए जा सकते हैं. जब किसी सवाल का उत्तर मौखिक रूप से दिया जाता है, तो उस पर पूरक/काउंटर सवाल पूछे जा सकते हैं.

अतारांकित (unstarred): अतारांकित सवाल का मंत्रालय से लिखित जवाब प्राप्त होता है. इन्हें भी कम से कम 15 दिन पहले जमा करना होगा. एक दिन में केवल 230 सवाल ही लिखित उत्तर के लिए सूचीबद्ध किये जा सकते हैं. तारांकित सवालों के उलट, अतारांकित सवाल में किसी भी तरह के फॉलो-अप/काउंटर सवालों की अनुमति नहीं होती हैं.

शार्ट-नोटिस सवाल: ये वे होते हैं जो सार्वजनिक महत्व के अति आवश्यक मामले से जुड़े होते हैं. इन्हें 10 दिन से कम समय के नोटिस पर, शार्ट नोटिस के कारण सहित, पूछा जा सकता है. तारांकित सवाल की तरह, उनका उत्तर मौखिक रूप से दिया जाता है, उसके बाद फॉलो-अप सवाल पूछे जाते हैं.

निजी सदस्यों को संबोधित सवाल: किसी निजी सदस्य से किये जाने वाले सवाल का जवाब खुद सांसद द्वारा दिया जाता है. यह तब पूछा जाता है जब विषय किसी विधेयक, संकल्प या सदन के बिजनेस से संबंधित किसी मामले से संबंधित होता है, जिसके लिए वह सांसद जिम्मेदार होता है.

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