कैश फॉर क्वेरी केस (Cash For Query Case) में अनैतिक आचरण के आरोप में पिछले महीने लोकसभा से निष्कासित की गईं तृणमूल कांग्रेस नेता महुआ मोइत्रा ने शुक्रवार (19 जनवरी) को अपना सरकारी बंगला खाली कर दिया. बंगाल की सांसद को इस सप्ताह की शुरुआत में बंगला खाली करने का नोटिस मिला था, जिसमें उन्हें तुरंत बंगला खाली करने का आदेश दिया गया था.
नोटिस में क्या कहा गया?
एनडीटीवी के अनुसार, कड़े शब्दों वाले बेदखली नोटिस में, केंद्र ने मोइत्रा को तुरंत बंगला खाली करने को कहा. सरकारी संपत्तियों का प्रबंधन करने वाले संपदा निदेशालय के नोटिस में कहा गया है कि यदि मोइत्रा स्वयं परिसर खाली नहीं करती हैं, तो उन्हें और किसी भी अन्य निवासी को यदि आवश्यकता हो तो ऐसे बल का प्रयोग कर "उक्त परिसर से बेदखल किया जा सकता है".
सरकार ने अपने नोटिस में कहा कि मोइत्रा को "पर्याप्त अवसर दिया गया" लेकिन वह यह साबित करने में विफल रहीं कि उन्होंने गलत तरीके से घर कब्जा नहीं किया हैं.
HC ने राहत देने से किया इंकार
इससे पहले महुआ बंगला खाली करने के नोटिस के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट पहुंची थी, जहां अदालत ने गुरुवार (18 जनवरी) को टीएमसी नेता की याचिका खारिज कर दी. हाई कोर्ट ने मोइत्रा को सरकारी आवास खाली करने के लिए जारी नोटिस पर रोक लगाने से इनकार कर दिया.
जानकारी के अनुसार, मोइत्रा ने दाखिल अर्जी में चिकित्सा कारणों का हवाला देते हुए अधिकारियों को उन्हें सरकारी बंगले से बेदखल करने से रोकने का अनुरोध किया था.
महुआ मोइत्रा से क्यों खाली कराया गया बंगला?
महुआ मोइत्रा को कारोबारी दर्शन हीरानंदानी से कथित तौर पर गिफ्ट लेने और उनके साथ संसद की वेबसाइट का यूजर आईडी और पासवर्ड साझा करने के आरोप में पिछले साल 8 दिसंबर को "अनैतिक आचरण" का दोषी ठहराया गया था और लोकसभा से निष्कासित कर दिया गया था.
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