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Manipur Violence: 'एक जिला, एक बल' नीति क्या है, जिसे मणिपुर अपना सकता है?

मणिपुर सरकार हिंसाग्रस्त राज्य में सुरक्षा बलों की जवाबदेही और बेहतर समन्वय सुनिश्चित करने के लिए 'एक जिला, एक बल' नीति अपनाने पर विचार कर रही है.

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मणिपुर (Manipur Violence) में सुरक्षबलों के बीच आपसी संघर्षों को दूर करने के लिए सरकार एक प्लान 'एक जिला, एक बल' पर विचार कर रही है. दिल्ली स्थित एक सुरक्षा अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि "अन्य बातों के अलावा, 'एक जिला, एक बल' नीति सुरक्षाबलों के बीच संभावित संघर्षों को कम कर देगी, जैसे कि अगस्त में मणिपुर पुलिस और असम राइफल्स के मामले में हुआ था."

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बता दें, अधिकारी 8 अगस्त की घटनाओं का जिक्र कर रहे थे, जब मणिपुर पुलिस ने असम राइफल्स की 9वीं बटालियन के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज की थी. जिसमें दावा किया गया था कि अर्धसैनिक बल ने उन्हें कुकी उग्रवादियों से संबंधित 'आर्म्स एक्ट' के एक मामले में तलाशी अभियान" चलाने से रोका था. 5 अगस्त की सुबह राज्य के बिष्णुपुर जिले के क्वाक्टा शहर में कथित तौर पर हमला किया गया और तीन लोगों की हत्या कर दी गई.

हालांकि, अभी तक कोई आधिकारिक आदेश नहीं आया है, लेकिन कहा जा रहा है कि मणिपुर सरकार हिंसाग्रस्त राज्य में सुरक्षा बलों की जवाबदेही और बेहतर समन्वय सुनिश्चित करने के लिए 'एक जिला, एक बल' नीति अपनाने पर विचार कर रही है.

'एक जिला, एक बल' नीति क्या है?

नाम न छापने की शर्त पर द क्विंट से बात करने वाले सुरक्षा अधिकारी के मुताबिक, प्रस्तावित नीति के तहत, मणिपुर के प्रत्येक जिले को केवल एक अर्धसैनिक बल को सौंपा जाएगा.

उदाहरण के लिए चुराचांदपुर, केंद्रीय पुलिस रिजर्व बल (CRPF) के अधीन होगा और इंफाल पूर्व सीमा सुरक्षा बल (BSF) के अधीन होगा, ऐसे ही और जगहों पर भी किया जाएगा.

अधिकारी ने कहा "सुरक्षाबलों के बीच संभावित संघर्षों को कम करने के अलावा, यह व्यवस्था संचालन को सुव्यवस्थित करेगी, जवाबदेही को बढ़ावा देगी और अर्धसैनिक बलों और राज्य पुलिस के बीच बेहतर समन्वय को बढ़ावा देगी."

"किसी विशेष जिले की निगरानी के लिए केवल एक ही सुरक्षा बल होने से जवाबदेही तय करने में मदद मिलेगी. सुरक्षाबल उस विशेष जिले में होने वाली हर चीज के लिए जवाबदेह होगा. उदाहरण के लिए, अगर नीति लागू हुई होती तो दो मैतेई युवाओं के साथ हुई घटना को काफी हद तक टाला जा सकता था."

बता दें, अधिकारी इंफाल पूर्व के दो मैतेई छात्रों की कथित हत्या का जिक्र कर रहे थे, जिन्हें जुलाई 2023 में कुकी-बहुल क्षेत्र से कथित तौर पर अपहरण कर लिया गया था और उनकी हत्या कर दी गई थी. उनके शवों की तस्वीरें, जो हाल ही में सामने आईं, इंफाल में ताजा विरोध प्रदर्शन का केंद्र बन गई हैं.

अधिकारी ने आगे कहा कि...

"एक अधिकारी ने हिंदुस्तान टाइम्स को बताया कि सुरक्षा सलाहकार कुलदीप सिंह की अध्यक्षता वाली एकीकृत कमान 'एक जिला, एक बल' व्यवस्था के लिए राज्य भर में सुरक्षा कर्मियों में सुधार का आदेश दे सकती है. “ये सभी अर्धसैनिक बल राज्य पुलिस के साथ मिलकर काम करेंगे. हालांकि, आधिकारिक आदेश अभी जारी नहीं हुआ है, यह जल्द ही होगा."

कैसे तैनात होगी सेना?

सुरक्षा अधिकारी ने बताया कि वर्तमान में राज्य में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) की 214 कंपनियां तैनात हैं, जहां मैतेई और कुकी के बीच चल रहे जातीय संघर्ष में कम से कम 175 लोगों की जान चली गई है.

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फेरबदल कैसे किया जाएगा, इसके बारे में बात करते हुए, अधिकारी ने कहा कि बीएसएफ बलों को केवल उखरुल, चुराचांदपुर और इंफाल जिलों में तैनात किया जाएगा, सीआरपीएफ कर्मियों को बिष्णुपुर, कांगपोकपी और अन्य जिलों में तैनात किया जाएगा. अधिकारी ने कहा...

''सीआरपीएफ 121 कंपनियों के साथ सबसे बड़ा बल है, जिसमें रैपिड एक्शन फोर्स (RAF) की 10 कंपनियां और महिला CRPF की चार कंपनियां शामिल हैं. हालांकि, प्रस्तावित नीति में कुछ अपवाद भी हैं. उन्होंने कहा कि चूंकि सीआरपीएफ के पास अधिक जवान हैं, इसलिए बहुत संभावना है कि उन्हें एक से अधिक जिलों में तैनात किया जा सकता है."

दोबारा कैसे की जाएगी तैनाती?

अधिकारी ने कहा कि किस जिले में कौन सा बल तैनात किया जाएगा, यह तय करने के लिए तीन प्रमुख कारकों को ध्यान में रखते हुए दोबारा तैनाती की जाएगी. वे फैक्टर होंगे...

  • बॉर्डर शेयर करने वाले जिले

  • तैनाती से पहले यथास्थान तैनाती

  • रसद सहायता, कमान और नियंत्रण के लिए मौजूदा कैंप

उदाहरण के लिए, अधिकारी ने कहा कि BSF का चूराचांदपुर में मौजूदा कैंप है और पांच महीने पहले झड़प शुरू होने से पहले भी वो वहां तैनात था.

"इंफाल पूर्व और थौबल जिलों में मौजूदा अशांति से पहले बीएसएफ को भी तैनात किया गया था. काकचिंग जिले के पड़ोसी थौबल और उखरुल और इंफाल पूर्व पुलिस जिले अंतर-जिला सीमा साझा करते हैं, तेंगनौपाल में थौबल जिले के साथ निकटवर्ती जिला सीमा है, जहां NH- 102 एशियाई राजमार्ग है. यह मोरेह के अंतरराष्ट्रीय सीमावर्ती शहर को छूता है, जिससे ये जिले अब बीएसएफ के दायरे में आ गए हैं."
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अधिकारी ने कहा, "अर्धसैनिक बलों की तैनाती से मौजूदा कार्यालयों या शिविरों को फायदा हो सकता है. सीआरपीएफ की बड़ी कर्मियों की संख्या के कारण इसकी महत्वपूर्ण उपस्थिति होने की संभावना है." हालांकि, हर कोई प्रस्तावित नीति के पक्ष में नहीं है.

मणिपुर विश्वविद्यालय में नेशनल सिक्योरिटी स्टडी विभाग के प्रोफेसर डॉ. इंगुदाम याईफारेम्बा सिंह ने तर्क दिया कि ऐसा कदम हानिकारक साबित हो सकता है.

उन्होंने क्विंट से बातचीत में इस प्रस्तावित कदम की आलोचना करते हुए कहा कि, "सरकार अनिवार्य रूप से एक तरह से मणिपुर का सैन्यीकरण करेगी, जैसा कि उसने 2019 से पहले जम्मू-कश्मीर के साथ किया था. हम वर्षों के सैन्यीकरण के परिणाम राज्य में देख सकते हैं. लोगों की आवाजाही पर प्रतिबंध होगा."

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