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Kuldiep Singh: CRPF के पूर्व DG,शाह के भरोसेमंद, मणिपुर शांत कराने की जिम्मेदारी

Manipur Violence: 4 मई को मणिपुर सरकार ने कुलदीप सिंह को सुरक्षा सलाहकार नियुक्त किया था.

Published
भारत
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देश का पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर (Manipur) करीब दो महीनों से हिंसा (Violence) की आग में झुलस रहा है. केंद्र और राज्य सरकार हिंसा रोकने और शांति बहाली की कोशिश में जुटी है. अब तक 100 से ज्यादा लोगों से ज्यादा की मौत हो चुकी है. पिछले महीने हिंसा भड़कने के बाद, 4 मई को CRPF के पूर्व डीजी कुलदीप सिंह (Kuldiep Singh) को मणिपुर सरकार ने सुरक्षा सलाहकार नियुक्त किया था. चलिए अपको बताते हैं कि कुलदीप सिंह के बारे में और उन्हें क्यों मणिपुर सरकार ने सुरक्षा सलाहकार नियुक्त किया?

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कौन हैं कुलदीप सिंह? 

कुलदीप सिंह पश्चिम बंगाल कैडर के 1986-बैच के IPS अधिकारी रहे हैं. वो पिछले साल CRPF के डीजी के पद से रिटायर हुए थे. इसके साथ ही वो NIA की कमान भी संभाल चुके हैं. कुलदीप सिंह को एक सख्त पुलिस अधिकारी के रूप में जाना जाता है. अपने लंबे कार्यकाल में उन्होंने कई सफलताएं हासिल की हैं.

CRPF महानिदेशक के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने छत्तीसगढ़ में मुख्य माओवादी क्षेत्रों में 100 से अधिक फॉरवर्ड बेस का निर्माण करवाया. इसके साथ ही अपनी आक्रामक रणनीति के दम पर कई इलाकों को माओवादियों से आजाद करवाया.

कुलदीप सिंह की रिटायरमेंट से ठीक पहले सुरक्षाबलों ने माओवादियों को झारखंड में उनके गढ़, बूढ़ा पहाड़ क्षेत्र से खदेड़ दिया और वहां स्थायी बेस कैंप बनाया.

जब वह NIA की कमान संभाल रहे थे, तब उन्होंने कश्मीरी अलगाववादियों के साथ-साथ गैर सरकारी संगठनों और जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी समूहों के ओवरग्राउंड कार्यकर्ताओं के खिलाफ मामलों की जांच तेज कर दी थी.

विवादित क्षेत्रों में काम करने का अनुभव

इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में पश्चिम बंगाल कैडर के एक साथी IPS अधिकारी कुलदीप सिंह के बारे में कहते हैं कि, "सिंह ने अपने करियर का अधिकांश समय विवादित क्षेत्रों में बिताया है. जब वे दार्जिलिंग में थे, तब गोरखा आंदोलन चल रहा था. कूच बिहार में अपनी पोस्टिंग के दौरान, उन्होंने कामतापुर लिबरेशन ऑर्गनाइजेशन आंदोलन से निपटा. वह पश्चिम बंगाल पुलिस में आईजी (नक्सल) थे और जब वह CRPF के हिस्से के रूप में केंद्र में आए, तो वह चार साल तक छत्तीसगढ़ में रहे. सिलीगुड़ी में SSB (सशस्त्र सीमा बल) में अपनी पोस्टिंग के दौरान उन्होंने भारत-भूटान सीमा और उत्तर 24 परगना के एसपी के रूप में उन्होंने भारत-बांग्लादेश सीमा के मामले को संभाला."

CRPF के एक अन्य सहकर्मी ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा कि, "सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि उनमें निर्णय लेने की क्षमता है. उनकी ना का मतलब ना होता था और अगर वो हां कहते हैं तो उस प्लान को पूरा सपोर्ट करते हैं. जब हम बूढ़ा पहाड़ इलाके को साफ कर रहे थे या चक्रबंध माओवादी क्षेत्रों (बिहार) में प्रवेश कर रहे थे, तो उन्होंने हमें कभी रोका नहीं और वास्तव में हमें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया."
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हालांकि, इसमें कुछ जोखिम भी है. जैसे कि अप्रैल 2021 में छत्तीसगढ़ में CRPF जवानों पर हुआ हमला. जिसमें 22 जवानों की मौत हो गई थी जबकि 31 घायल हुए थे. दरअसल, खुफिया जानकारी के आधार पर CRPF की एक बड़ी टुकड़ी कार्रवाई के लिए बस्तर के एक गांव में गई थी. माओवादियों ने सुकमा-बीजापुर बॉर्डर पर घात लगाकर सुरक्षाबलों पर हमला कर बोल दिया था. बाद में ये खुफिया जानकारी गलत पाई गई थी.

मणिपुर सरकार ने सुरक्षा सलाहकार क्यों नियुक्त किया? 

मणिपुर में हिंसा भड़कने के बाद राज्य सरकार ने कुलदीप सिंह को 4 मई को सुरक्षा सलाहकार के रूप में नियुक्त किया था. तब से वो राज्य में शांति बहाली की कोशिश में जुटे हैं. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्रीय गृह मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि पश्चिम बंगाल के जंगलमहल और दार्जिलिंग से लेकर छत्तीसगढ़ तक के विवादित क्षेत्रों में काम करने के उनके व्यापक अनुभव के कारण केंद्र सरकार ने उन्हें इस काम के लिए चुना है.

सूत्रों ने कहा कि उनकी नियुक्ति केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के कहने पर की गई है. कुलदीप सिंह उन कुछ IPS अधिकारियों में से एक हैं, जिनका गृहमंत्री के साथ सीधा संपर्क है.

सूत्रों का कहना है कि अमित शाह पश्चिम बंगाल चुनाव कराने में सिंह के नेतृत्व से विशेष रूप से प्रभावित थे. बंगाल में चुनाव के दौरान हिंसा का इतिहास रहा है. उस समय, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और बीजेपी के बीच केंद्रीय बलों की तैनाती को लेकर जमकर वार-पलटवार देखने को मिला था.

मई के अंत में केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने हिंसा प्रभावित मणिपुर का दौरा किया था. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, तब उन्होंने कहा था कि कुलदीप सिंह सिर्फ एक सुरक्षा सलाहकार नहीं हैं बल्कि एक एकीकृत कमान के प्रमुख हैं जो सभी सुरक्षाबलों के प्रयासों को "निष्पक्ष" तरीके से जोड़ने का काम करेंगे. शाह के इस बयान पर कुछ लोग आश्चर्यचकित थे.

सिंह की सिफारिश पर ही वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी राजीव सिंह को मणिपुर का नया डीजीपी नियुक्त किया गया था.

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