दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका सोमवार (30 अक्टूबर) को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी. अदालत ने कथित दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति घोटाले से संबंधित भ्रष्टाचार, धन-शोधन मामलों में आम आदमी पार्टी के नेता की बेल खारिज की.
यह फैसला न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और एसवीएन भट्टी की पीठ ने सुनाया, जिसने दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा सीबीआई और ईडी दोनों मामलों में जमानत देने से इनकार करने के खिलाफ सिसोदिया की याचिका पर सुनवाई की.
शीर्ष अदालत ने जुलाई में उनकी याचिकाओं पर नोटिस जारी किया और इस महीने की शुरुआत में फैसला सुरक्षित रख लिया.
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
जस्टिस खन्ना ने फैसला सुनाते हुए कहा: "कानूनी सवालों का जवाब सीमित तरीके से दिया गया है. विश्लेषण में, कुछ पहलू हैं, जिनके बारे में हमने कहा कि वे संदिग्ध हैं। लेकिन एक पहलू, 338 करोड़ रुपये के धन के हस्तांतरण के संबंध में, अस्थायी रूप से स्थापित किया गया है. इसलिए हमने जमानत के लिए आवेदन को खारिज कर दिया है."
सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई छह से आठ महीने में पूरी करने का निर्देश दिया है.
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर सुनवाई 'ढुलमुल तरीके' से आगे बढ़ती है, तो कथित दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति घोटाले से संबंधित मामलों में सिसोदिया 3 महीने में जमानत के लिए आवेदन कर सकते हैं.
बता दें कि मनीष सिसोदिया के खिलाफ सीबीआई और ईडी ने केस दर्ज कर रखा है. वह फरवरी 2023, से जेल में बंद हैं.
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