दिल्ली की एक कोर्ट में 10 अक्टूबर को AAP नेता संजय सिंह से जुड़े एक्साइज पॉलिसी (Delhi Excise Policy) केस में सुनवाई हुई. इस दौरान अदालत ने सांसद संजय सिंह की ED हिरासत को 13 अक्टूबर तक बढ़ा दिया. इस दौरान एजेंसी ने कुछ तथ्य भी पेश किए.
5 अक्टूबर को पूर्व डिप्टी CM मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) के खिलाफ जांच कर रही केंद्रीय एजेंसियों से सख्त सवाल किए और सबूत मांगे.
ऐसे में आइए जानते हैं कि संजय सिंह के मामले में ED ने कोर्ट में कौन से नए तथ्य पेश किए हैं और मनीष सिसोदिया के संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी एजेंसियों से क्या सवाल किया? इसके साथ यह भी जानेंगे कि मामले से जुड़ी जांच कहां तक पहुंची है?
Delhi Excise Policy Case: SC का सवाल, संजय सिंह पर ED का आरोप, कहां पहुंची जांच?
1. सुप्रीम कोर्ट ने मनीष सिसोदिया के मामले में क्या कहा?
दिल्ली के पूर्व शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया को कथित शराब घोटाले में कथित भूमिका के लिए 26 फरवरी को CBI ने गिरफ्तार किया था, तब से वह हिरासत में हैं. प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने तिहाड़ जेल में सिसोदिया से पूछताछ के बाद 9 मार्च को CBI की FIR से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उन्हें गिरफ्तार कर लिया.
शराब नीति मामले (Liquor Policy) में गिरफ्तार दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी की और कहा कि सबूतों की सीरीज पूरी तरह से नहीं बनाई गई है.
कोर्ट ने यह भी पूछा कि खुद इस मामले में आरोपी कारोबारी दिनेश अरोड़ा के बयान के अलावा सिसोदिया के खिलाफ सबूत कहां हैं?
जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एसवीएन भट्टी की बेंच ने कहा कि एजेंसियों ने जो केस बनाया है, वह यह है कि पैसा मनीष सिसोदिया को मिला था लेकिन यह पैसा तथाकथित शराब समूह से उन तक पहुंचा कैसे?
कोर्ट ने कहा कि
मनीष सिसोदिया इसमें शामिल नहीं लगते. विजय नायर तो हैं, लेकिन मनीष सिसोदिया नहीं. आप उन्हें मनी-लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत कैसे लाएंगे?
जांच एजेंसियों की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने दलील दी कि सिसोदिया "एक ऐसी गतिविधि में शामिल हैं, जो अपराध की आय से जुड़ी है."
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि
धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA), अपराध की आय भुगतान किए जाने के बाद लागू किया जाएगा. आपको संबंधित व्यक्ति को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अपराधों की आय से जोड़ना होगा.
दिल्ली एक्साइज पॉलिसी पर सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया: क्या किसी नीतिगत फैसले को कानूनी रूप से चुनौती दी जा सकती है?
इस पर CBI ने तर्क दिया: नीति जानबूझकर खास व्यक्तियों के पक्ष में तैयार की गई थी और सबूत के तौर पर व्हाट्सएप चैट्स को प्रस्तुत किया गया था. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इन चैट्स की स्वीकार्यता पर आपत्ति जताई.
मनीष सिसोदिया से जुड़े इस मामले की अगली सुनवाई 12 अक्टूबर को होगी.
Expand2. ED ने संजय सिंह के खिलाफ में कोर्ट से क्या कहा?
10 अक्टूबर को दिल्ली की एक कोर्ट में सुनवाई के दौरान ED ने संजय सिंह की हिरासत को बढ़ाने की मांग की. ईडी ने कोर्ट से कहा कि संजय सिंह के खिलाफ नए सबूत सामने आए हैं, जिसके लिए उनसे और पूछताछ की जानी चाहिए.
कोर्ट ने सांसद संजय सिंह की प्रवर्तन निदेशालय (ED) की हिरासत 13 अक्टूबर तक बढ़ा दी है.
Expand3. ED को संजय सिंह के खिलाफ कैसे तथ्य मिले हैं?
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने आरोप लगाया है कि तथ्य एक शराब बिजनेसमैन द्वारा किए गए दावे से संबंधित है, जिससे संजय सिंह के करीबी सहयोगी ने 4 करोड़ रुपये की मांग की थी. ईडी के मुताबिक बिजनेसमैन ने उन्हें बताया कि संजय सिंह ने पैसे के बदले कई शराब लाइसेंस दिए थे.
एजेंसी ने आरोप लगाया कि संजय सिंह उन्हें अपने पुराने फोन के बारे में नहीं बता सके.
संजय सिंह की तरफ से पेश हुईं सीनियर एडवोकेट रेबेका जॉन ने कोर्ट में दावा किया कि
ED ने पांच दिन की न्यायिक हिरासत मांगी है, इसका मतलब यह नहीं है कि उन्हें यह दिया ही जाना चाहिए. उन्हें हर दिन, हर घंटे का जवाब देना होगा.
एजेंसी के साथ असहयोग और जानकारी छुपाने के तर्कों का जवाब देते हुए, रेबेका जॉन ने कहा कि अगर आरोपी सबूत खत्म करना चाहता था, तो वह डेढ़ साल में ऐसा कर सकता था.
पुलिस रिमांड कोई नियम नहीं बल्कि अपवाद है, उन्हें इसके लिए एक स्पेशल केस बनाना होगा. संजय सिंह को हिरासत में रखने के ईडी के पास पर्याप्त वजहें नहीं थीं.
रेबेका जॉन, संजय सिंह की एडवोकेटबता दें कि संजय सिंह ने सुरक्षा चिंताओं का भी मुद्दा उठाया था, जिस पर विचार करते हुए जस्टिस नागपाल ने जांच अधिकारी को सभी मामलों में आरोपियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश दिया.
तलाशी के बाद गिरफ्तार हुए थे संजय सिंह
संजय सिंह को पिछले गुरुवार को 10 घंटे की तलाशी के बाद पांच दिन के लिए ईडी की हिरासत में भेज दिया गया था. इसके बाद उनकी गिरफ्तारी हो गई. एजेंसी ने दावा किया था कि उनके नॉर्थ एवेन्यू आवास पर 2 करोड़ रुपये का लेन-देन हुआ था.
ईडी ने अपने रिमांड आवेदन में संजय सिंह को 'प्रमुख साजिशकर्ता' बताया था.
संजय सिंह ने अवैध धन/रिश्वत का लाभ उठाया है, जो शराब नीति (2021-22) घोटाले से उत्पन्न 'अपराध की आय' है. वो शराब समूहों से रिश्वत इकट्ठा करने की साजिश का हिस्सा रहे हैं.
ED ने आवेदन में कहाIndian Express की रिपोर्ट के मुताबिक ईडी ने अपने पहले के रिमांड आवेदन में आगे दावा किया था कि उसकी जांच से पता चला है कि संजय सिंह ने आश्वासन दिया था कि शराब नीति में बदलाव पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के जरिए कुछ व्यापारियों को फायदा पहुंचाने के लिए किए गए थे.
ईडी ने दावा किया कि इसके बदले में संजय सिंह के एक सहयोगी, विवेक त्यागी (सिंह के संसदीय सहायक) को अमित अरोड़ा (मैसर्स अरालियास हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड) की व्यावसायिक कंपनी में हिस्सेदारी दी गई थी.
Expand4. दिल्ली शराब घोटाला क्या है?
दिल्ली एक्साइज पॉलिसी मामले में अब तक आम आदमी पार्टी के कई नेताओं को रडार पर लिया जा चुका है. इसमें दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और पार्टी के सांसद संजय सिंह का नाम तो शामिल ही है, इसके साथ ही मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को CBI तलब कर चुकी है. ऐसे में जानते हैं कि यह पूरा मामला क्या है?
नवंबर 2021 में दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी में एक नई शराब नीति- दिल्ली एक्साइज पॉलिसी (Delhi Excise Policy) पेश की.
इस पॉलिसी के तहत, सरकार ने शराब की खुदरा बिक्री से हाथ खींच लिया और निजी लाइसेंसधारियों को स्टोर चलाने की अनुमति दे दी. सरकार ने कहा कि इस कदम का उद्देश्य कालाबाजारी पर नकेल कसना, सरकारी राजस्व बढ़ाना और समग्र ग्राहक अनुभव में सुधार करना है.
नई नीति के तहत, शराब की दुकानें आधी रात के बाद भी खुली रह सकती हैं और दुकानें असीमित छूट दे सकती हैं. इसके बाद बिक्री बढ़ी और दिल्ली सरकार ने राजस्व में 27 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की.
विपक्षी दल बीजेपी ने नई शराब नीति का विरोध करते हुए आम आदमी पार्टी पर आवासीय क्षेत्रों में शराब की दुकानें खोलने की अनुमति देने और राजधानी में "शराब कल्चर" को बढ़ावा देने का आरोप लगाया.
Expand5. Delhi Excise Policy Case: कहां से शुरू हुआ विवाद?
जुलाई 2022 में दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार ने नई शराब नीति में घोर उल्लंघनों का दावा किया. उनकी रिपोर्ट में शराब लाइसेंसधारियों को "अनुचित लाभ" देने का आरोप लगाया गया. उन्होंने कोरोना महामारी के दौरान शराब लाइसेंस शुल्क में 144 करोड़ रुपए की छूट को भी मुद्दा बनाया.
मुख्य सचिव की रिपोर्ट के आधार पर उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने मामले की CBI जांच की सिफारिश की. इससे आम आदमी पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार पर बीजेपी का हमला तेज हो गया.
सत्ता पक्ष ने इन आरोपों को खारिज कर दिया. इसके तुरंत बाद दिल्ली सरकार ने नई शराब नीति वापस ले ली. इसकी वजह से 400 से ज्यादा नए खुले स्टोरों के शटर गिर गए. नई नीति लागू होने तक शराब की बिक्री फिर से सरकारी नियंत्रण में कर दी गई. एक साल बाद भी वही व्यवस्था जारी है.
Expand6. Delhi Excise Policy Case की जांच कहां तक पहुंची?
मामले की जांच CBI ने अपने हाथ में लेने के तुरंत बाद, अगस्त 2022 में दिल्ली के तत्कालीन उपमुख्यमंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के आवास पर छापा मारा.
मनीष सिसोदिया ने कहा कि केंद्रीय एजेंसी को कुछ नहीं मिला और आरोप लगाया कि बीजेपी ने AAP सरकार को निशाना बनाने के लिए एक केस बनाया है.
मनी ट्रेल की जांच के लिए प्रवर्तन निदेशालय जांच में शामिल हुआ. ईडी का केस सिसोदिया और 14 अन्य लोगों के खिलाफ सीबीआई द्वारा दर्ज की गई FIR पर आधारित था.
NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक इस मामले में जांच एजेंसियों ने 'साउथ ग्रुप' के शामिल होने का भी आरोप लगाया. ईडी ने आरोप लगाया कि 'साउथ ग्रुप' और AAP के बीच एक व्यवस्था थी, जिसके तहत ग्रुप ने अरविंद केजरीवाल की पार्टी को उसके गोवा चुनाव अभियान के लिए धन मुहैया कराया था.
ईडी ने आरोप लगाया कि 'साउथ ग्रुप' को दिल्ली में अपने नियंत्रण वाले शराब कारोबार के जरिए यह पैसा वसूलना था. AAP पर नई नीति के तहत लाइसेंस देते वक्त इन शराब नेटवर्कों का पक्ष लेने का आरोप लगाया गया था.
इस साल अप्रैल में CBI ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से लगभग नौ घंटे तक पूछताछ की, इसके बाद उन्होंने कहा कि पूरा मामला "फर्जी" है.
मामले में जिन लोगों से पूछताछ की गई है, उनमें सीएम, डिप्टी सीएम और संजय सिंह के अलावा उनके निजी सहायक बिभव कुमार और AAP नेता जैस्मीन शाह शामिल हैं. इस मामले में ईडी ने के. कविता से भी पूछताछ की, जिसमें उन्होंने आरोपों को खारिज कर दिया है.
बता दें कि ईडी ने अपनी तीन चार्जशीटों में से किसी में भी संजय सिंह को आरोपी नहीं बनाया था. मामले में सरकारी गवाहों में से एक बिजनेसमैन दिनेश अरोड़ा ने कहा है कि संजय सिंह ने उन्हें मनीष सिसोदिया से मिलवाया था.
Expand7. Delhi Excise Policy Case: सुर्खियों में आया 'साउथ ग्रुप' क्या है?
Indian Express की रिपोर्ट के मुताबिक ईडी की अभियोजन शिकायत के मुताबिक पार्टी के नेताओं की ओर से कार्य कर रहे आम आदमी पार्टी के संचार प्रभारी विजय नायर ने एक ग्रुप से 100 करोड़ रुपये की रिश्वत ली. हम इसे 'साउथ ग्रुप' कह सकते हैं. जांच के दौरान दर्ज किए गए विभिन्न व्यक्तियों के बयानों में इस नाम का प्रयोग किया गया है.
ईडी ने आरोप लगाया है कि आंध्र प्रदेश के ओंगोल से YSRCP के लोकसभा सांसद मगुंटा श्रीनिवासुलु रेड्डी और तेलंगाना MLC और राज्य के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की बेटी कल्वाकुंतला कविता 'साउथ ग्रुप' के प्रमुख सदस्य हैं.
कथित समूह के अन्य लोगों में सांसद के बेटे राघव मगुंटा और हैदराबाद स्थित अरबिंदो फार्मा (Aurobindo Pharma) के संस्थापक पी वी रामप्रसाद रेड्डी के बेटे पी सरथ चंद्र रेड्डी शामिल हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक ईडी ने दावा किया है कि ये रिश्वत 'साउथ ग्रुप' और AAP नेताओं के बीच समझौते के एक हिस्से के रूप में 'साउथ ग्रुप' द्वारा विजय नायर के जरिए AAP नेताओं को एडवांस में भुगतान की गई थी.
Expand8. ED के मुताबिक 'साउथ ग्रुप' ने रिश्वत क्यों दी?
ईडी के मुताबिक दिल्ली एक्साइज पॉलिसी में जो अनुमति दी गई थी, 'साउथ ग्रुप' ने उससे ज्यादा पहुंच, अनुचित लाभ, स्थापित थोक व्यवसायों और कई खुदरा क्षेत्रों में हिस्सेदारी हासिल की.
रिपोर्ट के मुताबिक ईडी की शिकायत में कहा गया है कि "साउथ ग्रुप द्वारा दी गई रिश्वत वसूलने के लिए, 'साउथ ग्रुप' के साझेदारों को इसके मालिक समीर महेंद्रू की मिलीभगत से मेसर्स इंडो स्पिरिट्स (M/s Indo Spirits) में 65 फीसदी हिस्सेदारी दी गई थी, जो इस केस में एक आरोपी भी हैं.
Expand9. Delhi Excise Policy Case: 'साउथ ग्रुप' के सदस्यों के खिलाफ जांच कहां तक पहुंची?
ईडी ने YSRCP सांसद मगुंटा श्रीनिवासुलु रेड्डी के बेटे राघव मगुंटा को गिरफ्तार किया है. इसमें कहा गया है कि राघव "दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 घोटाले में विभिन्न व्यक्तियों के साथ मिलकर रची गई गुटबाजी और रिश्वत की साजिश में मुख्य व्यक्ति है."
के कविता के हैदराबाद स्थित चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) बुचीबाबू गोरंटला को दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति तैयार करने और लागू करने में उनकी कथित भूमिका के लिए CBI ने गिरफ्तार किया है.
पी शरथ चंद्र रेड्डी को ED ने 10 नवंबर, 2022 को गिरफ्तार किया था.
पिछले साल सितंबर में, ED ने आंध्र प्रदेश के नेल्लोर, नई दिल्ली और चेन्नई में मगुंटा श्रीनिवासुलु रेड्डी के स्वामित्व वाले कार्यालयों, परिसरों और संपत्तियों की तलाशी ली थी.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)
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सुप्रीम कोर्ट ने मनीष सिसोदिया के मामले में क्या कहा?
दिल्ली के पूर्व शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया को कथित शराब घोटाले में कथित भूमिका के लिए 26 फरवरी को CBI ने गिरफ्तार किया था, तब से वह हिरासत में हैं. प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने तिहाड़ जेल में सिसोदिया से पूछताछ के बाद 9 मार्च को CBI की FIR से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उन्हें गिरफ्तार कर लिया.
शराब नीति मामले (Liquor Policy) में गिरफ्तार दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी की और कहा कि सबूतों की सीरीज पूरी तरह से नहीं बनाई गई है.
कोर्ट ने यह भी पूछा कि खुद इस मामले में आरोपी कारोबारी दिनेश अरोड़ा के बयान के अलावा सिसोदिया के खिलाफ सबूत कहां हैं?
जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एसवीएन भट्टी की बेंच ने कहा कि एजेंसियों ने जो केस बनाया है, वह यह है कि पैसा मनीष सिसोदिया को मिला था लेकिन यह पैसा तथाकथित शराब समूह से उन तक पहुंचा कैसे?
कोर्ट ने कहा कि
मनीष सिसोदिया इसमें शामिल नहीं लगते. विजय नायर तो हैं, लेकिन मनीष सिसोदिया नहीं. आप उन्हें मनी-लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत कैसे लाएंगे?
जांच एजेंसियों की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने दलील दी कि सिसोदिया "एक ऐसी गतिविधि में शामिल हैं, जो अपराध की आय से जुड़ी है."
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि
धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA), अपराध की आय भुगतान किए जाने के बाद लागू किया जाएगा. आपको संबंधित व्यक्ति को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अपराधों की आय से जोड़ना होगा.
दिल्ली एक्साइज पॉलिसी पर सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया: क्या किसी नीतिगत फैसले को कानूनी रूप से चुनौती दी जा सकती है?
इस पर CBI ने तर्क दिया: नीति जानबूझकर खास व्यक्तियों के पक्ष में तैयार की गई थी और सबूत के तौर पर व्हाट्सएप चैट्स को प्रस्तुत किया गया था. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इन चैट्स की स्वीकार्यता पर आपत्ति जताई.
मनीष सिसोदिया से जुड़े इस मामले की अगली सुनवाई 12 अक्टूबर को होगी.
ED ने संजय सिंह के खिलाफ में कोर्ट से क्या कहा?
10 अक्टूबर को दिल्ली की एक कोर्ट में सुनवाई के दौरान ED ने संजय सिंह की हिरासत को बढ़ाने की मांग की. ईडी ने कोर्ट से कहा कि संजय सिंह के खिलाफ नए सबूत सामने आए हैं, जिसके लिए उनसे और पूछताछ की जानी चाहिए.
कोर्ट ने सांसद संजय सिंह की प्रवर्तन निदेशालय (ED) की हिरासत 13 अक्टूबर तक बढ़ा दी है.
ED को संजय सिंह के खिलाफ कैसे तथ्य मिले हैं?
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने आरोप लगाया है कि तथ्य एक शराब बिजनेसमैन द्वारा किए गए दावे से संबंधित है, जिससे संजय सिंह के करीबी सहयोगी ने 4 करोड़ रुपये की मांग की थी. ईडी के मुताबिक बिजनेसमैन ने उन्हें बताया कि संजय सिंह ने पैसे के बदले कई शराब लाइसेंस दिए थे.
एजेंसी ने आरोप लगाया कि संजय सिंह उन्हें अपने पुराने फोन के बारे में नहीं बता सके.
संजय सिंह की तरफ से पेश हुईं सीनियर एडवोकेट रेबेका जॉन ने कोर्ट में दावा किया कि
ED ने पांच दिन की न्यायिक हिरासत मांगी है, इसका मतलब यह नहीं है कि उन्हें यह दिया ही जाना चाहिए. उन्हें हर दिन, हर घंटे का जवाब देना होगा.
एजेंसी के साथ असहयोग और जानकारी छुपाने के तर्कों का जवाब देते हुए, रेबेका जॉन ने कहा कि अगर आरोपी सबूत खत्म करना चाहता था, तो वह डेढ़ साल में ऐसा कर सकता था.
पुलिस रिमांड कोई नियम नहीं बल्कि अपवाद है, उन्हें इसके लिए एक स्पेशल केस बनाना होगा. संजय सिंह को हिरासत में रखने के ईडी के पास पर्याप्त वजहें नहीं थीं.रेबेका जॉन, संजय सिंह की एडवोकेट
बता दें कि संजय सिंह ने सुरक्षा चिंताओं का भी मुद्दा उठाया था, जिस पर विचार करते हुए जस्टिस नागपाल ने जांच अधिकारी को सभी मामलों में आरोपियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश दिया.
तलाशी के बाद गिरफ्तार हुए थे संजय सिंह
संजय सिंह को पिछले गुरुवार को 10 घंटे की तलाशी के बाद पांच दिन के लिए ईडी की हिरासत में भेज दिया गया था. इसके बाद उनकी गिरफ्तारी हो गई. एजेंसी ने दावा किया था कि उनके नॉर्थ एवेन्यू आवास पर 2 करोड़ रुपये का लेन-देन हुआ था.
ईडी ने अपने रिमांड आवेदन में संजय सिंह को 'प्रमुख साजिशकर्ता' बताया था.
संजय सिंह ने अवैध धन/रिश्वत का लाभ उठाया है, जो शराब नीति (2021-22) घोटाले से उत्पन्न 'अपराध की आय' है. वो शराब समूहों से रिश्वत इकट्ठा करने की साजिश का हिस्सा रहे हैं.ED ने आवेदन में कहा
Indian Express की रिपोर्ट के मुताबिक ईडी ने अपने पहले के रिमांड आवेदन में आगे दावा किया था कि उसकी जांच से पता चला है कि संजय सिंह ने आश्वासन दिया था कि शराब नीति में बदलाव पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के जरिए कुछ व्यापारियों को फायदा पहुंचाने के लिए किए गए थे.
ईडी ने दावा किया कि इसके बदले में संजय सिंह के एक सहयोगी, विवेक त्यागी (सिंह के संसदीय सहायक) को अमित अरोड़ा (मैसर्स अरालियास हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड) की व्यावसायिक कंपनी में हिस्सेदारी दी गई थी.
दिल्ली शराब घोटाला क्या है?
दिल्ली एक्साइज पॉलिसी मामले में अब तक आम आदमी पार्टी के कई नेताओं को रडार पर लिया जा चुका है. इसमें दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और पार्टी के सांसद संजय सिंह का नाम तो शामिल ही है, इसके साथ ही मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को CBI तलब कर चुकी है. ऐसे में जानते हैं कि यह पूरा मामला क्या है?
नवंबर 2021 में दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी में एक नई शराब नीति- दिल्ली एक्साइज पॉलिसी (Delhi Excise Policy) पेश की.
इस पॉलिसी के तहत, सरकार ने शराब की खुदरा बिक्री से हाथ खींच लिया और निजी लाइसेंसधारियों को स्टोर चलाने की अनुमति दे दी. सरकार ने कहा कि इस कदम का उद्देश्य कालाबाजारी पर नकेल कसना, सरकारी राजस्व बढ़ाना और समग्र ग्राहक अनुभव में सुधार करना है.
नई नीति के तहत, शराब की दुकानें आधी रात के बाद भी खुली रह सकती हैं और दुकानें असीमित छूट दे सकती हैं. इसके बाद बिक्री बढ़ी और दिल्ली सरकार ने राजस्व में 27 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की.
विपक्षी दल बीजेपी ने नई शराब नीति का विरोध करते हुए आम आदमी पार्टी पर आवासीय क्षेत्रों में शराब की दुकानें खोलने की अनुमति देने और राजधानी में "शराब कल्चर" को बढ़ावा देने का आरोप लगाया.
Delhi Excise Policy Case: कहां से शुरू हुआ विवाद?
जुलाई 2022 में दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार ने नई शराब नीति में घोर उल्लंघनों का दावा किया. उनकी रिपोर्ट में शराब लाइसेंसधारियों को "अनुचित लाभ" देने का आरोप लगाया गया. उन्होंने कोरोना महामारी के दौरान शराब लाइसेंस शुल्क में 144 करोड़ रुपए की छूट को भी मुद्दा बनाया.
मुख्य सचिव की रिपोर्ट के आधार पर उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने मामले की CBI जांच की सिफारिश की. इससे आम आदमी पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार पर बीजेपी का हमला तेज हो गया.
सत्ता पक्ष ने इन आरोपों को खारिज कर दिया. इसके तुरंत बाद दिल्ली सरकार ने नई शराब नीति वापस ले ली. इसकी वजह से 400 से ज्यादा नए खुले स्टोरों के शटर गिर गए. नई नीति लागू होने तक शराब की बिक्री फिर से सरकारी नियंत्रण में कर दी गई. एक साल बाद भी वही व्यवस्था जारी है.
Delhi Excise Policy Case की जांच कहां तक पहुंची?
मामले की जांच CBI ने अपने हाथ में लेने के तुरंत बाद, अगस्त 2022 में दिल्ली के तत्कालीन उपमुख्यमंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के आवास पर छापा मारा.
मनीष सिसोदिया ने कहा कि केंद्रीय एजेंसी को कुछ नहीं मिला और आरोप लगाया कि बीजेपी ने AAP सरकार को निशाना बनाने के लिए एक केस बनाया है.
मनी ट्रेल की जांच के लिए प्रवर्तन निदेशालय जांच में शामिल हुआ. ईडी का केस सिसोदिया और 14 अन्य लोगों के खिलाफ सीबीआई द्वारा दर्ज की गई FIR पर आधारित था.
NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक इस मामले में जांच एजेंसियों ने 'साउथ ग्रुप' के शामिल होने का भी आरोप लगाया. ईडी ने आरोप लगाया कि 'साउथ ग्रुप' और AAP के बीच एक व्यवस्था थी, जिसके तहत ग्रुप ने अरविंद केजरीवाल की पार्टी को उसके गोवा चुनाव अभियान के लिए धन मुहैया कराया था.
ईडी ने आरोप लगाया कि 'साउथ ग्रुप' को दिल्ली में अपने नियंत्रण वाले शराब कारोबार के जरिए यह पैसा वसूलना था. AAP पर नई नीति के तहत लाइसेंस देते वक्त इन शराब नेटवर्कों का पक्ष लेने का आरोप लगाया गया था.
इस साल अप्रैल में CBI ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से लगभग नौ घंटे तक पूछताछ की, इसके बाद उन्होंने कहा कि पूरा मामला "फर्जी" है.
मामले में जिन लोगों से पूछताछ की गई है, उनमें सीएम, डिप्टी सीएम और संजय सिंह के अलावा उनके निजी सहायक बिभव कुमार और AAP नेता जैस्मीन शाह शामिल हैं. इस मामले में ईडी ने के. कविता से भी पूछताछ की, जिसमें उन्होंने आरोपों को खारिज कर दिया है.
बता दें कि ईडी ने अपनी तीन चार्जशीटों में से किसी में भी संजय सिंह को आरोपी नहीं बनाया था. मामले में सरकारी गवाहों में से एक बिजनेसमैन दिनेश अरोड़ा ने कहा है कि संजय सिंह ने उन्हें मनीष सिसोदिया से मिलवाया था.
Delhi Excise Policy Case: सुर्खियों में आया 'साउथ ग्रुप' क्या है?
Indian Express की रिपोर्ट के मुताबिक ईडी की अभियोजन शिकायत के मुताबिक पार्टी के नेताओं की ओर से कार्य कर रहे आम आदमी पार्टी के संचार प्रभारी विजय नायर ने एक ग्रुप से 100 करोड़ रुपये की रिश्वत ली. हम इसे 'साउथ ग्रुप' कह सकते हैं. जांच के दौरान दर्ज किए गए विभिन्न व्यक्तियों के बयानों में इस नाम का प्रयोग किया गया है.
ईडी ने आरोप लगाया है कि आंध्र प्रदेश के ओंगोल से YSRCP के लोकसभा सांसद मगुंटा श्रीनिवासुलु रेड्डी और तेलंगाना MLC और राज्य के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की बेटी कल्वाकुंतला कविता 'साउथ ग्रुप' के प्रमुख सदस्य हैं.
कथित समूह के अन्य लोगों में सांसद के बेटे राघव मगुंटा और हैदराबाद स्थित अरबिंदो फार्मा (Aurobindo Pharma) के संस्थापक पी वी रामप्रसाद रेड्डी के बेटे पी सरथ चंद्र रेड्डी शामिल हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक ईडी ने दावा किया है कि ये रिश्वत 'साउथ ग्रुप' और AAP नेताओं के बीच समझौते के एक हिस्से के रूप में 'साउथ ग्रुप' द्वारा विजय नायर के जरिए AAP नेताओं को एडवांस में भुगतान की गई थी.
ED के मुताबिक 'साउथ ग्रुप' ने रिश्वत क्यों दी?
ईडी के मुताबिक दिल्ली एक्साइज पॉलिसी में जो अनुमति दी गई थी, 'साउथ ग्रुप' ने उससे ज्यादा पहुंच, अनुचित लाभ, स्थापित थोक व्यवसायों और कई खुदरा क्षेत्रों में हिस्सेदारी हासिल की.
रिपोर्ट के मुताबिक ईडी की शिकायत में कहा गया है कि "साउथ ग्रुप द्वारा दी गई रिश्वत वसूलने के लिए, 'साउथ ग्रुप' के साझेदारों को इसके मालिक समीर महेंद्रू की मिलीभगत से मेसर्स इंडो स्पिरिट्स (M/s Indo Spirits) में 65 फीसदी हिस्सेदारी दी गई थी, जो इस केस में एक आरोपी भी हैं.
Delhi Excise Policy Case: 'साउथ ग्रुप' के सदस्यों के खिलाफ जांच कहां तक पहुंची?
ईडी ने YSRCP सांसद मगुंटा श्रीनिवासुलु रेड्डी के बेटे राघव मगुंटा को गिरफ्तार किया है. इसमें कहा गया है कि राघव "दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 घोटाले में विभिन्न व्यक्तियों के साथ मिलकर रची गई गुटबाजी और रिश्वत की साजिश में मुख्य व्यक्ति है."
के कविता के हैदराबाद स्थित चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) बुचीबाबू गोरंटला को दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति तैयार करने और लागू करने में उनकी कथित भूमिका के लिए CBI ने गिरफ्तार किया है.
पी शरथ चंद्र रेड्डी को ED ने 10 नवंबर, 2022 को गिरफ्तार किया था.
पिछले साल सितंबर में, ED ने आंध्र प्रदेश के नेल्लोर, नई दिल्ली और चेन्नई में मगुंटा श्रीनिवासुलु रेड्डी के स्वामित्व वाले कार्यालयों, परिसरों और संपत्तियों की तलाशी ली थी.
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