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मनीष सिसोदिया-सत्येंद्र जैन का मंत्री पद से इस्तीफा, CM केजरीवाल ने किया स्वीकार

Manish Sisodia & Satyendar Jain resign: कैलाश गहलोत और राज कुमार आनंद ही मनीष सिसोदिया के सभी विभागों को संभालेंगे.

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दिल्ली सरकार के दोनों गिरफ्तार मंत्रियों- मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन ने राज्य कैबिनेट में अपने पदों से इस्तीफा (Manish Sisodia Satyendar Jain resign) दे दिया है. सीएम अरविंद केजरीवाल ने उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया है. शराब नीति घोटाले मामले में गिरफ्तार मनीष सिसोदिया को SC से राहत नहीं मिलने के बाद इस्तीफे की खबर सामने आई है.

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दिल्ली कैबिनेट में कोई नया मंत्री नियुक्त नहीं किया जाएगा. मंत्री कैलाश गहलोत और राज कुमार आनंद ही मनीष सिसोदिया के सभी विभागों को संभालेंगे.

मनीष सिसोदिया के पास थे 18 विभाग

उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया 18 मंत्रालयों के प्रभारी रह चुके हैं, जिनमें 10 महीने से जेल में बंद सत्येंद्र जैन का स्वास्थ्य विभाग भी शामिल है. दोनों के इस्तीफे के बाद अब दिल्ली कैबिनेट में CM केजरीवाल सहित पांच मंत्री बचे हैं.

मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी के बाद से ही बीजेपी इस्तीफे की मांग कर रही थी.

"दिल्ली वालों का काम न रुके, इसलिए इस्तीफा", सिसोदिया के इस्तीफे पर AAP

आम आदमी पार्ट नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा, दिल्ली में छोटी कैबिनेट है. सीएम और उनके साथ 6 मंत्री मंत्रिपरिषद में होते हैं. अहम मंत्रालय मनीष सिसोदिया के पास थे. दिल्ली का काम न रुके. दिल्ली वालों को कोई परेशानी न हो, इसलिए दोनों मंत्रियों ने इस्तीफे दिए. इनकी जगह दो नए मंत्री जल्द बनाए जाएंगे. आम आदमी पार्टी का हर विधायक, कार्यकर्ता मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन के साथ खड़ा है.

मनीष सिसोदिया को सुप्रीम कोर्ट से नहीं मिली राहत 

CJI डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पी एस नरसिम्हा की सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने मंगलवार को मनीष सिसोदिया मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "हम इस स्तर पर अनुच्छेद 32 के तहत याचिका पर विचार करने के इच्छुक नहीं हैं." मनीष सिसोदिया के वकील ए एम सिंघवी ने इसके बाद याचिका वापस ले ली.

बेंच ने पहले कहा था कि सिर्फ इसलिए कि घटना दिल्ली में हुई है, सिसोदिया सीधे सुप्रीम कोर्ट में नहीं आ सकते हैं क्योंकि उनके पास संबंधित ट्रायल कोर्ट के साथ-साथ दिल्ली हाई कोर्ट जाने का विकल्प है.

मनीष सिसोदिया की ओर से पेश वरिष्ठ वकील सिंघवी ने उन्हें गिरफ्तार करने की आवश्यकता पर सवाल उठाते हुए कहा कि नीतिगत फैसले अलग-अलग स्तर पर लिए गए और इसके अलावा कोई पैसा बरामद नहीं हुआ. उन्होंने यह भी कहा कि दिल्ली के उपराज्यपाल भी शराब नीति में नीतिगत फैसले का हिस्सा थे.

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