#MeToo कैंपेन की लहरें अब कश्मीर को भी छूने लगी है. यहां भी कई महिलाओं ने सेक्सुअल असॉल्ट के खिलाफ खुल कर बोलना शुरू कर दिया है. इन महिलाओं ने एक ट्रस्ट के जरिए मीडिया, ब्यूरोक्रेसी और एकेडमिक दुनिया से जुड़े पुरुषों का नाम लेते हुए अपने साथ हुए यौन उत्पीड़न की घटनाओं का जिक्र किया है.
महिलाओं के लिए काम करने वाला गैर सरकारी ट्रस्ट कश्मीर वीमेन्स कलेक्टिव के फेसबुक पेज में उन लोगों का कच्चा-चिट्ठा खोला गया है, जिन्होंने महिलाओं के साथ गलत तरीके से व्यवहार से लेकर जबरदस्ती तक की थी. पेज में सबूत के तौर पर वॉट्सएप और फेसबुक चैट के स्क्रीनशॉट डाले गए हैं.
8 अक्टूबर की शाम ट्रस्ट की ओर से जारी एक पोस्ट में ये लिखा गया था-
ये अभियान इसलिए किया जा रहा है ताकि अन्य महिलाओं और लड़कियों को पता चले कि कोई भी आदमी - चाहे वो बुद्धिजीवी, बुजुर्ग, जान-पहचान वाला, रिश्तेदार, दोस्त या टीचर हो, पर वो उत्पीड़न करने वाला हो सकता है. इस पोस्ट का मकसद दुर्व्यवहार करने वालों को खुलेआम शर्मिंदा करना और “उन्हें और दूसरों को अधिक जिम्मेदारी के साथ बर्ताव किए जाने को लेकर दबाव डालना” है.
हालांकि, आरोप लगाने वाली लड़कियों का नाम जाहिर नहीं किया गया है.
कश्मीर वीमेन्स कलेक्टिव की फेसबुक पोस्ट-
कई टीवी डिबेट शो में कश्मीर मुद्दे को लेकर शामिल होने वाले पाॅलिटिकल एनालिस्ट और जर्नलिस्ट गौहर गिलानी का नाम सामने आया है. उन पर लड़कियों को बेवजह मैसेज और फोन काॅल कर परेशान करने और मिलने के लिए दबाव डालने का आरोप लगा है.
इसके अलावा न्यूज वेबसाइट कश्मीर वाला के एडिटर फहद शाह का नाम भी शामिल है. उस पर कई लड़कियों ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है. इस पोस्ट के जारी होने से पहले एक गैर कश्मीरी महिला पत्रकार ने ट्विटर पर फहद शाह पर उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए सिलसिलेवार ट्वीट किए थे.
इस लिस्ट में समीर यासीर का नाम भी शामिल है. समीर पेशे से पत्रकार हैं. तीन साल पहले तक वो आईयूएसटी यूनिवर्सिटी में अस्थायी लेक्चरर रहे थे.
पीडीपी पार्टी के मीडिया एनालिस्ट रह चुके जावेद त्राली का भी नाम भी यौन उत्पीड़न के आरोपियों में शामिल है.
कश्मीर वीमेन्स कलेक्टिव ने अपने पोस्ट में इन केस के अलावा 9 और केस का जिक्र किया है जो लड़कियों से जुटाए गए हैं.
लिस्ट में इनके अलावा डीडी एंकर मसूद मुंतजर, मिनिस्ट्री आॅफ रूरल डेवलपमेंट में काम करने वाले हाकिम शौकत अली और नासिर लोन नाम के ब्यूरोक्रेट का नाम शामिल है.
हालांकि, लगाए गए आरोपों के जवाब में गौहर गिलानी ने एक फेसबुक पोस्ट के जरिए प्रतिक्रिया दी है- उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखा है- “एक अच्छी तरह से तैयार किए गए डिजाइन के तहत, बदनाम करने के लिए चलाया गया कैंपेन है.” उन्होंने लड़कियों के नाम गुमनाम रखने पर सवाल उठाए हैं.
कश्मीर वीमेन्स कलेक्टिव ने पोस्ट की शुरुआत में ये भी लिखा है कि जब महिलाएं सेक्सुअल हैरेसमेंट के इन सबूतों को रखेगी तो उन्हें झूठा साबित करने की कोशिश की जाएगी. कहा जाएगा के ये कश्मीर के कॉज को कमजोर करने के लिए किया जा रहा है.
पोस्ट में लिखा गया है, "इसे कश्मीरी समुदाय पर राइट विंग की ओर से किए गए हमले के तौर पर देखा जा सकता है, जिसका हम समर्थन नहीं करते हैं. इसलिए इस्लामोफोबिया या कश्मीर की प्रतिष्ठा वाले तर्क न दें."
"इसे कश्मीर के राजनीतिक आंदोलन से ध्यान हटाने की कोशिश के रूप में देखा जा सकता है. लेकिन हमारा मकसद ये बिल्कुल भी नहीं है."
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