मेवात (Mewat) के इंद्री गांव में मई 2021 में हिंदुत्व महापंचायत का आयोजन किया गया था. इस आयोजन में कई हिंदुत्ववादी नेता जिम ट्रेनर आसिफ खान की मॉब लिंचिंग के मामले में आरोपियों के समर्थन में जुटे थे. इस महापंचायत में इन हिंदुत्ववादी नेताओं ने मुस्लिम विरोधी नफरत भरे कई भाषण दिए थे.
वक्ताओं में से एक बीजेपी नेता और करणी सेना प्रमुख सूरजपाल अमू भी थे. मुस्लिमों का जिक्र करते हुए अमू ने महापंचायत में उपस्थित लाेगों को उकसाते हुए कहा था कि 'वे हमारी बहनों और बेटियों की अश्लील तस्वीरें बनाते हैं, और हमें उनकी हत्या भी नहीं करनी चाहिए?'
इसके एक साल बाद मई 2022 में एक और हिंदुत्व महापंचायत हरियाणा (Haryana) में आयोजित की गई. फिर से मेवात में ही इसका आयोजन हुआ, गांव का नाम था सांगेल. लेकिन इस बार महापंचायत आयोजित करने की वजह दूसरी थी. इस बार मुस्लिम विरोधी हिंसा के वायरल वीडियो के संबंध में हरियाणा पुलिस द्वारा FIR दर्ज करने के विरोध में आयोजन किया गया था.
एफआईआर अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ दर्ज की गई थी, लेकिन इस तथ्य के बावजूद भी पुलिस और प्रशासन को एफआईआर रद्द करने की धमकी देने के लिए महापंचायत आयोजित की गई. इस महापंचायत के दाैरान अभद्र भाषा और हिंसा के आह्वान भी खूब हुए.
इन महापंचायतों में सैकड़ों और हजारों की संख्या में कथित गौरक्षक और हरियाणा के हिंदुत्ववादी संगठनों के सदस्य शामिल होते हैं. लेकिन ये इकलौती घटनाएं नहीं हैं जो मेवात में सांप्रदायिक हिंसा या दुश्मनी को भड़काने का काम कर रही हैं.
हाल के महीनों में इस बात के पर्याप्त प्रमाण हैं कि थोड़े समय में ही मेवात में स्वयंभू 'गौ रक्षकों' के हाथों हिंसा देखने को मिली. और इसके बाद हिंदुत्व समूहों व उनके प्यादों द्वारा ऑनलाइन एंटी-मुस्लिम नैरेटिव प्रचारित-प्रसारित करने के लिए भी इस क्षेत्र (मेवात) को विशेष रूप से साधा गया है.
लेकिन हिंदुत्ववादी संगठन मेवात को इतनी ज्यादा प्राथमिकता क्यों दे रहे हैं? इस सवाल का जवाब वहां की डेमोग्राफी में निहित है.
ऐसा माना जाता है कि मेवात क्षेत्र राजस्थान के अलवर और भरतपुर से लेकर हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों तक फैला हुआ है. जिले की तुलना में यह हरियाणा में व्यापक क्षेत्र है. 2016 में इसे नया नाम दिया गया था.
हालांकि, जिले की डेमोग्राफी (जनसांख्यिकी) जिसे पहले मेवात के नाम से जाना जाता था (छह साल पहले इसका नाम बदलकर नूंह रखा गया था) यह समझाने में मदद करती है कि हिंदुत्ववादी नेता इस पर इतना केंद्रित क्यों हैं.
मेवात की डेमोग्राफी
नूंह जिले (2016 तक जिसे मेवात के नाम से जाना जाता था) में मुस्लिम आबादी बहुसंख्यक है. 2011 की जनगणना के अनुसार नूंह जिले की कुल आबादी 10.89 लाख है, जिनमें से 79.2 फीसदी मुस्लिम हैं, जबकि 20.4 फीसदी हिंदू हैं.
नीति आयोग ने अप्रैल 2018 में नूंह को भारत का सबसे पिछड़ा जिला बताया था.
हेट क्राइम और विजिलेंट वाइलेंस जैसे मुद्दों पर बारीक नजर रखने वाले स्वतंत्र पत्रकार अलीशान जाफरी कहते हैं कि 'इतना विशाल जिला, जिसमें 75 फीसदी से ज्यादा आबादी मुस्लिमों की है, वह हिंदुत्व समूहों और संगठनों की आंखों में चुभता है. विगत एक वर्ष में हिंदुत्व समूहों के लिए मेवात एक ऐसा क्षेत्र रहा है जहां उन्होंने काफी सजगता और सतर्कता के साथ विशेष रूप से ध्यान दिया है. यदि आप 2021 में आयोजित दो महापंचायतों (पहले इंद्री गांव में मई में और फिर पटौदी में जुलाई में) को देखें तो वहां मौजूद लोगों ने विशेष रूप से मेवात के मुसलमानों को सबक सिखाने के बारे में बात की है.'
जाफरी आगे कहते हैं कि ' ऐसा इसलिए है क्योंकि, वहां के हिंदुत्व समूहों ने जो नैरेटिव सेट किया है उसके अनुसार, मेवात में हिंदुओं पर अत्याचार किया जा रहा है, ऐसे में हरियाणा में हिंदुओं को एकजुट होकर मेवात को सबक सिखाना चाहिए.'
फोन से सदन तक 'मिनी पाकिस्तान' के रूप में हुई मेवात की ब्रांडिंग
बीजेपी विधायक और राजस्थान विधानसभा में विपक्ष के नेता मदन दिलावर ने सितंबर 2021 में सदन के पटल पर कहा था कि मेवात क्षेत्र "मिनी पाकिस्तान" बन गया है.
भले ही दिलावर की टिप्पणी ने राजस्थान विधानसभा में हंगामा मचा दिया हो, लेकिन उनका यह कमेंट क्षेत्र में हिंदुत्व बातचीत के समतुल्य है.
ऐसा नहीं है कि सिर्फ बीजेपी नेता या स्थानीय हिंदुत्ववादी संगठनों के सदस्य ही मेवात का जिक्र करते हुए नियमित तौर पर इसके लिए 'मिनी पाकिस्तान' शब्द का प्रयोग करते हैं. 2018 में जब डॉक्यूमेंट्री 'द मेकिंग ऑफ लिंचिस्तान: इनसाइड इंडियाज डेडली गौ रक्षा नेटवर्क' को फिल्माया जा रहा था तब उस क्षेत्र के पुलिस अधिकारियों (जिनसे क्विंट ने बातचीत की थी) ने भी इसी तरह के विचार प्रकार किए थे.
कुछ पुलिस वालों ने अलवर में हमसे कहा था कि 'मेवात क्षेत्र मेव मुसलमानों से भरा हुआ है, आप उन्हें उनका छोटा सा देश समझें. चोरी करना, गायों को मारना आदि मेवों का धंधा है.'
पुलिसकर्मियों ने कहा 'ऐसा केवल मुसलमान ही करते हैं. हर मुसलमान नहीं बल्कि मेव मुसलमान ऐसा करते हैं. जब औरंगजेब और बाबर यहां थे तब उन्होंने हिंदुओं को जबरन इस्लाम में परिवर्तित किया. ये मेव मुसलमान उस तरह के लोगों में से हैं जो खाते तो हिंदुस्तान की है लेकिन समर्थन व गुणगान पाकिस्तान का करते हैं.'
"मिनी पाकिस्तान" शब्द कोई हालिया बात नहीं है. हिंदुत्व समूहों, मदन दिलावर जैसे बीजेपी के नेताओं और यहां तक कि कुछ मीडिया आउटलेट्स द्वारा वर्षों यह शब्द उपयोग होता आया है.
जैसा कि नीचे दिखाया गया है सोशल मीडिया पोस्ट और फॉरवर्ड्स द्वारा लोगों ने इस नैरेटिव को जन-जन तक पहुंचाने का काम किया है. .
'रक्षकों' का उदय और प्रशासन की भूमिका
इस संदर्भ में, मुसलमानों के खिलाफ हाल ही में वायरल हुए विजिलेंट वाइलेंस vigilante violence के वीडियो को देखना चाहिए. ये वे वीडियो हैं जिन्हें खुद तथाकथित रक्षकों द्वारा अपलोड और शेयर किया जाता है. इनमें स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है कि वे क्षेत्र के मुस्लिम पुरुषों को किस तरह परेशान करते हैं और उनके साथ मारपीट करते हैं.
स्वतंत्र पत्रकार अलीशान जाफरी ने इन वीडियो को ऑनलाइन फ़्लैग करने में मदद की थी और हरियाणा पुलिस को टैग करते हुए इन पर एक्शन लेने की मांग की थी. जाफरी बताते हैं कि 'इसमें बढ़ोतरी हुई है (हाल के महीनों में). हाल ही में कम से कम चार वीडियो (क्षेत्र में तथाकथित रक्षकों द्वारा मुस्लिम विरोधी हिंसा के) वायरल हुए हैं.'
संबंधित अधिकारियों की निष्क्रियता के खिलाफ सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो और आक्रोश के बाद आखिरकार हरियाणा पुलिस ने 3-4 अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है. अभी तक पुलिस की ओर से इस मामले में किसी की भी गिरफ्तारी की बात नहीं कही गई है.
हालांकि, वायरल वीडियो में जो लोग हिंसा के शिकार हुए हैं उनमें से कुछ को पुलिस ने कथित गौ तस्करी के आरोप में तुरंत गिरफ्तार कर लिया.
इस तथ्य के बावजूद कि वायरल वीडियो पर जो एफआईआर दर्ज हुई उसमें किसी भी रक्षक का नाम या पहचान नहीं है, हिंदुत्व रक्षक संगठनों ने 8 मई को मेवात के सांगेल गांव में एक विशाल महापंचायत का आयोजन किया, जिसमें आक्रामक तौर पर एफआईआर को रद्द करने की मांग की गई.
विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल और गौ रक्षा दल हरियाणा द्वारा यह आयोजन किया गया था. 2021 में इंद्री और पटौदी में आयोजित दो हिंदुत्व महापंचायतों में इन्हीं संगठनों को शामिल किया गया था. उन महापंचायतों में मुसलमानों के खिलाफ हिंसा के लिए अभद्र भाषा और आह्वान की बौछारें देखी गई थीं. इसके अलावा 8 मई को जो आयोजन हुआ उसके प्रचार के लिए जो संदेश दिया गया था उसकी प्रचार सामग्री में विशिष्ट और उत्तेजक सांप्रदायिक रंग थे. जैसे कि "जिहादी मानसिकता वाले लोगों" को ताकत दिखानी है और इसे जिला प्रशासन के संज्ञान में भी लाया गया था.
इसके बावजूद भी जिला प्रशासन ने उन्हें कार्यक्रम आयोजित करने की अनुमति देने का फैसला किया.
महापंचायत में मुस्लिम विरोधी हिंसा के आह्वान के साथ-साथ नफरत भरे भाषण भी दिए गए. कानून को अपने हाथ में लेने वाले तथाकथित रक्षकों के खिलाफ बोलने वाले कांग्रेस विधायक मम्मन खान पर हमला करने और उनके घर को जलाने की सार्वजनिक धमकी भी दी गई.
मेवात में सांप्रदायिक तनाव को भड़काने का एक और मौका दिया गया.
इस कार्यक्रम से पहले नूंह के डिप्टी कमिश्नर अजय कुमार ने क्विंट को बताया था कि 'आयोजकों से संपर्क किया गया, उन्हें बुलाया गया और उन्हें स्पष्ट रूप से समझाया गया है कि किसी भी परिस्थिति में ऐसा (सांप्रदायिक रूप से तनावपूर्ण माहौल) नहीं होना चाहिए. और साथ ही, कानून का उल्लंघन करने के अर्थ में भाषण भी अतिशयोक्तिपूर्ण नहीं होने चाहिए.'
ये दोनों ही आयोजन सांप्रदायिक तौर पर ध्रुवीकरण करने वाले थे. वहीं हिंसा और हमले की धमकी देने वाले भाषणों ने निश्चित तौर पर कानून तोड़ा है.
इस बात का कोई सबूत नहीं है कि महापंचायत के वक्ताओं या आयोजकों के खिलाफ कोई कार्रवाई की गई है.
एक खतरा जो सामने खड़ा है
पिछले कुछ वर्षों में देखने को मिला है कि अगर इसे इस तरह से अपेक्षाकृत अनियंत्रित रूप से बढ़ने दिया गया तो मेवात जैसे राजनीतिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र में अभद्र भाषा, भीड़ की हिंसा और कानूनविहीन स्वघोषित रक्षकों के विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं.
उदाहरण के लिए 2017 और 2018 के बीच अकेले अलवर में नूंह के निवासी रकबर खान की जुलाई 2018 में लिचिंग कर दी गई थी, नवंबर 2017 में कथित तौर गोरक्षकों द्वारा उमर खान को गोली मार दी गई थी और अप्रैल 2017 में खुले आम पहलू खान की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी.
मई 2021 में इंद्री और मई 2022 में सांगेल में जिस तरह की महापंचायत आयोजित की गई उनमें स्वघोषित हिंदुत्व रक्षक समूहों के सैकड़ों-हजारों सदस्यों को इसी तरह के कृत्यों के लिए उकसाया और प्रोत्साहित किया जाता है.
जैसा कि हिंदुत्व नेताओं द्वारा मुस्लिम बहुल टैग के लिए मेवात को 'मिनी पाकिस्तान' कहा जाता है. इसकी यह वजह से मेवात में और इसके आसपास काम करने वाले स्वघोषित रक्षकों को उनके इलाके में गौरवान्वित होने के लिए एक अतिरिक्त अहसास प्रदान करता है. जाफरी के मुताबिक, 'इस तरह के रक्षकों का काम बड़ी संख्या में मौजूद हिंदुत्व के दर्शकों के लिए एक साहसिक तमाशा प्रदान करता है.' वे बताते हैं कि 'मुस्लिम बहुल इलाके (जहां हर कोई मुस्लिम होता है) में जाने के बाद वे लोगों पर इस तरह से हमला करते हैं जैसे कि दण्ड से मुक्ति इन लोगों को पसंद है. अगर आप मेवात जा रहे हैं और वहां मुसलमानों को पीट रहे हैं तो यह बात आपको हीरो बनाएगी.'
वे आगे कहते हैं कि 'इसलिए, इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं है कि लोगों पर न केवल हमला किया जा रहा है, बल्कि उनके वीडियो बनाए जा रहे हैं और उन्हें ऑनलाइन अपलोड भी किया जा रहा है.यह मुसलमानों के लिए संदेश है कि मेवात जैसी जगह पर, जहां आप बहुसंख्यक हैं, जहां हजारों-लाखों मुसलमान रहते हैं वहां भी आप (मुसलमान) अपनी बस्तियों में सुरक्षित नहीं हैं. यह मुसलमानों को एक भयानक संदेश देता है.'
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