MIG-21 लड़ाकू विमानों को रिटायर करने सिलसिला शुरू हो गया है. एयर फोर्स ने सबसे पहले अभिनंदन वर्धमान (Abhinandan Varthaman) की स्क्वाड्रन को रिटायर किया जा रहा है. इन विमानों को मीडिया में ‘उड़ता ताबूत’ की संज्ञा दी जाती थी क्योंकि ये काफी हादसों का शिकार हुआ है. और लंबे समय से इन विमानों को रिटायर करने की मांग हो रही थी. पाकिस्तान की सीमा में अभिनंदन वर्धमान जिस विमान में हादसे का शिकार हुए थे और उनकी सेना के हाथ लग गए थे वो भी मिग-21 ही था.
मिग-21 की कुल चार स्क्वाड्रन हैं, जिसमें से पहली स्क्वाड्रन को रिटायर किया जा रहा है. इसके बाद धीरे-धीरे सभी स्क्वाड्रन को 2025 तक रिटायर करने का प्लान है.
क्यों रिटायर किये जा रहे मिग-21?
वायुसेना के बेड़े में मिग-21 सबसे पुराना विमान है. कई जंगो में मिग-21 ने दुश्मन के दांत खट्टे किये हैं लेकिन हादसों का भी उसका लंबा इतिहास है. रक्षा मंत्रालय के आंकड़ो के मुताबिक अब तक 170 से ज्यादा पायलट मिग-21 में हुए हादसों की वजह से भारतीय वायुसेना ने गंवाए हैं. इस पर कई बार जांच भी बिठाई गई, जिसके बाद आकिरकार मिग को रिटायर करने का फैसला लिया गया और अब पहली स्क्वाड्रन को रिटायर किया जा रहा है. 30 सितंबर को ऑफिशियली स्क्वाड्रन-51 रिटायर हो जाएगी.
मिग-21 का गौरवशाली इतिहास
भारतीय वायुसेना 1964 से मिग-21 का इस्तेमाल कर रही है. हालांकि 1959 में रूस ने इस विमान का निर्माण किया था. मिग को पिछले कुछ वक्त से एक्सीडेंट के लिए जाना जाता है लेकिन इस एयरक्राफ्ट का इतिहास बेहद गौरवशाली रहा है. मिग-21 एविएशन के इतिहास में अबतक का सबसे अधिक संख्या में बनाया गया सुपरसोनिक फाइटर जेट है, जिसके अबतक 11496 यूनिट्स का निर्माण किया जा चुका है.
मिग-21 ने कारगिल युद्ध में बड़ी भूमिका निभाई थी, जब पाकिस्तानी सेना धोखे से भारतीय इलाके में चोटी पर आ बैठी थी. इसके अलावा 1971 के युद्ध में भी मिग की बड़ी भूमिका रही.
मिग विमानों की अलग-अलग सीरीज को दुनिया के कई देश इस्तेमाल करते हैं लेकिन मिग-21 केवल भारत में ही इस्तेमाल होता है. जिसे अब रिटायर किया जा रहा है.
रिटायर होने वाली स्क्वाड्रन को जानिए
सबसे पहले मिग-21 की 51 स्क्वाड्रन को रिटायर किया गया है, जिसमें ग्रुप कैप्टन अभिनंदन वर्धमान भी सेवाएं दे रहे थे. आपको याद होगा किस तरह अभिंदन वर्धमान ने पाकिस्तान का F-16 मार गिराया था. जिसके बाद उनका विमान पाकिस्तानी सीमा में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, वो मिग-21 ही था. दरअसल ये स्क्वाड्रन श्रीनगर एयरफोर्स स्टेशन पर तैनात था. यहीं से दस्ते उड़ान भरते थे और यहीं पर ट्रेनिंग भी होती थी. इसके अलावा सीमा पर पेट्रोलिंग भी यहां से की जाती थी. 51 स्क्वाड्रन पेट्रोलिंग के लिए मिग-21 विमानों का इस्तेमल करता था.
वायुसेना के विमानों के रिटायर होने की क्या प्रक्रिया है और पायलटों का क्या होता है?
वायुसेना में किसी स्क्वाड्र के बंद होने की प्रक्रिया को ‘नंबर प्लेटिंग’ कहा जाता है. अगर बंद हुई स्क्वाड्रन को दोबारा शुरू किया जाता है तो उसे ‘री-रेजिंग’ (पुनरुत्थान) कहा जाता है. ये दुनियाभर की एयरफोर्स में एक कॉमन प्रैक्टिस की तरह है. इसे उदाहरण के जरिये ऐसे समझिये कि 2016 में भारतीय वायुसेना की 18 स्क्वाड्रन को रिटायर किया गया था. ये इकलौती स्क्वाड्रन थी जिसे परमवीर चक्र से नवाजा गया था. लेकिन जब बाद में तेजस विमान आये तो इस स्क्वाड्रन को फिर से ‘री-रेज’ कर दिया गया. ऐसा ही सितंबर 2019 में रिटायर हुई 17 स्क्वाड्रन के साथ भी किया गया.
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