बालाकोट एयर स्ट्राइक के ठीक बाद अपने ही Mi-17 चॉपर को मार गिराने वाले मामले को लेकर बड़ा फैसला आया है. मिलिट्री कोर्ट ने इस चॉपर क्रैश में शामिल एयरफोर्स अधिकारियों पर लिए जाने वाले किसी भी एक्शन पर स्टे लगा दिया है. इस पूरे मामले में जांच के बाद भारतीय वायुसेना के 6 अधिकारियों को दोषी पाया गया था. इन सभी पर आरोप था कि इन्होंने हवा में उड़ते अपने ही चॉपर को मिसाइल से मार गिराया, जिसमें दो पायलटों और चार क्रू मेंबर्स की मौत हो गई थी.
अधिकारियों ने कोर्ट ऑफ इनक्वॉयरी को दी थी चुनौती
जब ये हादसा हुआ तो चॉपर श्रीनगर एयरबेस से बडगाम लौट रहा था. ये करीब वही वक्त था जब पाकिस्तानी एयरफोर्स की तरफ से भारतीय सीमा में घुसने की कोशिश हुई थी. इस दौरान गलती से अपने ही चॉपर को निशाना बना लिया गया.
इस पूरे मामले को लेकर कुल 6 अधिकारियों को आरोपी बनाया गया था, जिनमें से दो को कोर्ट मार्शल का फैसला सुनाया गया. इन दोनों अधिकारियों ने कोर्ट ऑफ इनक्वॉयरी में दिए गए इस फैसले को मिलिट्री कोर्ट में चुनौती दी थी.
इस मामले को लेकर मिलिट्री कोर्ट में इन दोनों अधिकारियों के वकील ने कई दलीलें देते हुए कहा कि अधिकारियों पर लिया गया फैसला सही नहीं है. पूरी बहस के बाद कोर्ट ने ये तय किया कि इस मामले को लेकर अधिकारियों के खिलाफ फिलहाल कोई एक्शन नहीं लिया जाएगा. हालांकि एयरफोर्स अधिकारियों को 30 सितंबर तक की राहत मिली है, इसके बाद कोर्ट मामले की दोबारा सुनवाई करेगा.
क्या है पूरा मामला?
बता दें कि 14 फरवरी को हुए पुलवामा हमले के जवाब में 26 फरवरी को भारत ने बालाकोट में आतंकी कैंप तबाह करने के लिए एयर स्ट्राइक की थी. इसके अगले दिन 27 फरवरी की सुबह पाकिस्तान ने बालाकोट हवाई हमले को लेकर जवाबी हमला किया. इसी दिन ये चॉपर भी क्रैश हुआ था. तब इसे सिर्फ एक क्रैश बताया गया था, लेकिन बाद में पता चला कि चॉपर को मिसाइल ने हिट किया था.
इस घटना को लेकर हुई जांच के बाद उस वक्त के एयरफोर्स चीफ भदौरिया ने कहा था, “कोर्ट ऑफ इंक्वायरी पूरी हो चुकी है. यह हमारी ही गलती थी, हमारी मिसाइल ने अपने ही चॉपर को हिट कर दिया. जिसके बाद हमने दो अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की. हम मानते हैं कि ये हमारी एक बड़ी गलती थी और भविष्य में ऐसी गलती दोबारा नहीं होने का भरोसा दिलाते हैं.”
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