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देखा अनदेखा हिंदुस्तान: 48 पैसे बजट बढ़ने से बच्चों को मिलेगा बेहतर मिड डे मील?

तो अब तक जो शानदार, पोषणयुक्त,साफ-सुथरा भोजन बच्चों को 4.97 पैसे का मिलता था अब उस पर सरकार 5.45 पैसे खर्च करेगी

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भारत
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नेताओं के वादों के दलदल में फंस गया बुज़ुर्ग,मिड डे मील से जुड़ी गुड न्यूज़ कितनी गुड? किस नेता ने कहा कि बाप को गाली देलो मगर मोदी जी को मत देना? अब किस सरकारी बैंक को सरकार कर रही प्राइवेट? दिल्ली दंगों पर आई रिपोर्ट ने खोल दी गृहमंत्रालय की पोल? लोग क्यों बांधना चाहते हैं वन्दे भारत ट्रेन के इंजन में नींबू मिर्ची? कद्दावर नेता मुलायम सिंह यादव का निधन. ये सारी इस हफ़्ते की हिंदुस्तान की खबरें हैं कुछ छपी कुछ नहीं छिपी,तो आइए हम आपको दिखाते हैं इस हफ्ते का देखा-अनदेखा हिंदुस्तान.

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बात देखी अनदेखी खबरों की...'मिड डे मील', इस शो में हम आपको अक्सर दिखाते हैं कि मिड डे मील में कभी सूखी रोटी परोसी गई, कभी नमक-भात. आज खबर है कि ढाई साल बाद मिड डे मील परिर्वतन लागत को बढ़ाया गया है. सत्र 2022-23 के लिए इसमें प्रति विद्यार्थी 9.6 प्रतिशत की वृद्धि की गई है. अब आप सोच रहे होंगे कि ये बढ़ोतरी कितनी है तो भैया. केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने प्राथमिक स्तर पर परिर्वतन लागत 4.97 से बढ़ाकर 5.45 रुपये और उच्च प्राथमिक स्तर पर 7.45 से बढकर 8.17 रुपये कर दी है यानी प्राथमिक स्तर पर 0.48 पैसे और उच्च प्राथमिक स्तर पर 72 पैसे प्रति विद्यार्थी की दर से वृद्धि की है. तो अब जो शानदार, पोषणयुक्त,साफ-सुथरा भोजन बच्चों को 4.97 पैसे का मिलता था अब उस पर सरकार 5.45 पैसे खर्च करेगी. वो कहावत सुनी है आपने 'ऊंट के मुंह में जीरा'? लेकिन यहां मुंह ऊंट का नहीं हमारे अपने बच्चों का है.. ख़ैर

समाजवादी पार्टी सरंक्षक और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव का 10 अक्टूबर को निधन हो गया. वे 82 साल के थे. मुलायम की मौत पर उनके समर्थकों का रोना देखा तो मन में एक सवाल उठा, क्या आज के दौर में ऐसे नेता हैं जिनके जाने को लोग अपना पर्सनल नुकसान मानते हैं और बिलखते हैं.

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उधर इन नेता जी का अपने नेता के प्रति 'प्रेम' लोगों को पचा नहीं. ये साहब हैं महाराष्ट्र BJP के पूर्व प्रमुख और उच्च शिक्षा मंत्री चंद्रकांत पाटिल.साहब ने एक समारोह में कहा कि ‘ बाप को गाली देना कोल्हापुर में आम बात है… लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित भाई शाह के खिलाफ एक भी अपशब्द बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.’ अब इस पर लोग चंद्रकांत जी की खिंचाई कर रहे हैं.

मगर असली खिंचाई तो जनता की हो रही है, कौन कर रहा है ये तो जानते ही हैं इतने भोले थोड़ी न हैं आप लोग, सरकर ने देशहित मे अब IDBI बैंक में कुल 60.72 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचकर बैंक का निजीकरण करने के लिए निवेशकों से बोलियां आमंत्रित कीं.सरकार एलआईसी के साथ मिलकर इस वित्तीय संस्थान में यह हिस्सेदारी बेचेगी.

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IDBI बैंक के बाद अब बात विश्व बैंक की कर लेते हैं.विश्व बैंक की एक नई रिपोर्ट बताती है कि 2020 में भारत में गरीबों की संख्या 2.3 करोड़ से बढ़कर 5.6 करोड़ हो गई है.वैश्विक स्तर पर गरीबी में वृद्धि 1998 के बाद पहली बार हुई है, जबकि भारत में यह वृद्धि 2011 के बाद पहली बार हुई है. एक चीज़ है जो हिंदुस्तान में बार बार होती रहती है, वो है दंगे. दंगों के बाद होती है जांच. फिर आती है रिपोर्ट. ऐसी ही एक रिपोर्ट आई है. पूर्वोत्तर दिल्ली में 2020 में हुए सांप्रदायिक दंगों की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश मदन बी. लोकुर की अध्यक्षता में गठित एक फैक्ट फाइंडिंग समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने साफ तौर पर हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में अतिरिक्त बलों की तैनाती में देरी की, जबकि सांप्रदायिक दंगे 23 फरवरी से 26 फरवरी 2020 के बीच बेरोकटोक जारी रहे.

समिति ने पाया कि दिल्ली पुलिस नेतृत्व को 23 फरवरी को विशेष शाखा और खुफिया इकाइयों से कम से कम छह आंतरिक चेतावनी (अलर्ट) मिली थीं, इसके बावजूद भी अतिरिक्त बलों की तैनाती 26 फरवरी को की गई. अलर्ट में चेतावनी दी गई थी कि समुदायों के बीच हिंसा बढ़ सकती है.

हिंसा के बाद एक और बढ़त की बात कर लेते हैं, बात व्यापार घाटे की जो कि बढ़ रहा है, इस साल अप्रैल से सितंबर के बीच व्यापार घाटा 149.47 अरब डॉलर पहुंच गया.पिछले साल अप्रैल से सितंबर के बीच 76.25 अरब डॉलर था.व्यापार घाटे में करीब दोगुना विकास दर्ज किया गया है.

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दर्ज और भी बहुत कुछ हो रहा है जैसे UAPA के मामले. राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा संभाले गए मामलों के एक अध्ययन से पता चला है कि 2009 से 2022 के बीच गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत दर्ज कुल 357 मामलों में से 80 फीसदी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली वर्तमान बीजेपी सरकार के दौरान दर्ज किए गए हैं, जबकि शेष मामले मनमोहन सिंह सरकार के दौरान दर्ज किए गए थे.यह अध्ययन पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) द्वारा किया गया.नेशनल हेराल्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, यूपीए शासन (2009-मई 2014) के दौरान एनआईए द्वारा प्रतिवर्ष दर्ज किए गए यूएपीए के मामलों की औसत संख्या 13 है. इसके विपरीत, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के शासन के दौरान प्रति वर्ष दर्ज मामलों की औसत संख्या 34 है

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