प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने कई मीडिया ग्रुप के जरिए केवल प्रचार और विज्ञापनों पर 4,343.26 करोड़ रुपये की भारी भरकम खर्च की है. मुंबई के आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने केंद्र सरकार के ब्यूरो ऑफ आउटरीच एंड कम्युनिकेशन (बीओसी) से मौजूदा सरकार के कार्यालय संभालने के वक्त से मीडिया में विज्ञापन और प्रचार पर खर्च की गई रकम की जानकारी मांगी थी.
बीओसी के वित्तीय सलाहकार तपन सूत्रधार ने जो जानकारी मुहैया कराई है, उसमें जून 2014 से अब तक हुए खर्च का खुलासा हुआ है. सरकार की चौतरफा आलोचना के कारण 2017 में प्रचार खर्च में थोड़ी कमी आई है. 2017 में विज्ञापन और प्रचार पर करीब 308 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे.
2014-2015: 953 Cr खर्च
जून 2014 से मार्च 2015 तक सरकार ने प्रिंट मीडिया पर 424.85 करोड़ रुपये, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर 448.97 करोड़ रुपये और आउटडोर प्रचार पर 79.72 करोड़ रुपये खर्च किए. कुल मिलाकर यह रकम 953.54 करोड़ रुपये होती है.
2015-2016: 1171 Cr खर्च
साल 2015-2016 में सभी मीडिया पर वास्तविक खर्च में बढ़ोतरी हुई. इसमें प्रिंट मीडिया पर 510.69 करोड़, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर 541.99 करोड़ और आउटडोर प्रचार पर 118.43 करोड़ रुपये खर्च किए गए. कुल मिलाकर यह रकम 1,171.11 करोड़ रुपये होती है.
2016-2017: 1263 Cr खर्च
साल 2016-17 में प्रिंट मीडिया पर खर्च में इसके पहले साल की तुलना में गिरावट दर्ज की गई. इस दौरान 463.38 करोड़ रुपये प्रिंट मीडिया से प्रचार और विज्ञापन पर खर्च हुए. हालांकि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर खर्च में बढ़ोतरी देखी गई. इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर 613.78 करोड़ रुपये विज्ञापन और प्रचार पर खर्च किए गए, जबकि आउटडोर मीडिया पर 185.99 करोड़ खर्च किए गए. कुल मिलाकर इस साल के दौरान विज्ञापन और प्रचार पर 1,263.15 करोड़ रुपये खर्च किए गए.
2017-2018: 147 Cr खर्च
अप्रैल 2017 से मार्च 2018 तक इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर इसके पहले के साल के दौरान किए गए खर्च की तुलना में काफी कमी देखी गई. इस साल इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर 475.13 करोड़ रुपये और आउटडोर प्रचार पर 147.10 करोड़ रुपये खर्च किए गए.
आरटीआई के जवाब में कहा गया है कि अप्रैल-दिसंबर 2017 (नौ महीने) के दौरान सरकार ने अकेले प्रिंट मीडिया पर 333.23 करोड़ रुपये खर्च किए और पिछले साल (अप्रैल 2017-मार्च 2018) में कुल 955.46 करोड़ रुपये खर्च किए गए.
आलोचना के बाद सरकार ने खींचे हाथ
आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने बताया, "एक विश्लेषण से यह साबित होता है कि विपक्ष और सोशल मीडिया पर कड़ी आलोचना झेलने के बाद सरकार ने आखिरकार इस साल प्रचार पर खर्च में कमी की. इस साल सरकार ने 307.69 करोड़ रुपये खर्च किए."
गलगली ने कहा कि हालांकि पिछले साल का कुल खर्च वर्तमान सरकार के पहले साल की तुलना में फिर भी काफी अधिक है, जब उसने सत्ता संभालने के सिर्फ नौ महीनों में ही 953.54 करोड़ रुपये खर्च कर डाले थे.
(इनपुट-IANS)
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