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लक्षद्वीप के सांसद की दोषसिद्धि को निलंबित करने का आदेश SC में रद्द: अब आगे क्या?

Mohammed Faizal की संसद सदस्यता बनी रहेगी या तत्काल चली जायेगी? यहां समझने

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भारत
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सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार, 22 अगस्त को हत्या के प्रयास के मामले में एनसीपी (NCP) नेता और लक्षद्वीप के सांसद मोहम्मद फैजल (Mohammed Faizal) की सजा को निलंबित करने के केरल हाई कोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया.

सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा करते हुए हाई कोर्ट से मामले पर पुनर्विचार करने और छह सप्ताह के भीतर नया निर्णय लेने को कहा.

फिर उनके निलंबन का क्या होगा? मामले को पुनर्विचार के लिए हाई कोर्ट में वापस भेजने के बावजूद, सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि फैजल की सजा का निलंबन तब तक प्रभावी रहेगा जब तक कि हाई कोर्ट एक नए फैसले पर नहीं पहुंचता.

यह फैसला एनसीपी नेता फैजल को सांसद के रूप में काम करना जारी रखने की अनुमति देता है.

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अब तक क्या हुआ?: जनवरी में एक सत्र अदालत ने 2009 की एक घटना से संबंधित हत्या के प्रयास के मामले में फैजल और तीन अन्य को 10 साल की जेल की सजा सुनाई थी, जिसके बाद उन्हें लोकसभा से अयोग्य घोषित कर दिया गया था.

इसके बाद फैजल ने केरल हाई कोर्ट का रुख किया, जिसने 25 जनवरी को सत्र अदालत द्वारा सुनाई गयी उसकी सजा पर रोक लगा दी थी.

केरल HC द्वारा अपनी दोषसिद्धि पर रोक लगाए जाने के बाद, फैजल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि हाई कोर्ट द्वारा उसकी दोषसिद्धि पर रोक लगाए जाने के बावजूद लोकसभा सचिवालय अधिसूचना वापस लेने में विफल रहा.

लेकिन इससे पहले कि सुप्रीम कोर्ट याचिका पर सुनवाई करती, लोकसभा सचिवालय ने बुधवार, 29 मार्च को संसद में उनकी सदस्यता बहाल कर दी थी.

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सुप्रीम कोर्ट का फैसला: मंगलवार, 22 अगस्त को अपने फैसले में, जस्टिस बीवी नागरत्ना और उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा कि हाई कोर्ट ने सजा पर रोक लगाने के कानूनी पहलुओं का सही मूल्यांकन नहीं किया था.

पीठ ने बताया कि हाई कोर्ट के फैसले में नए चुनाव की संभावना को ध्यान में रखा गया था, जो कि सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक सजा को निलंबित करने के फैसले को प्रभावित नहीं करना चाहिए था.

"इस संक्षिप्त आधार पर, हमने विवादित आदेश को रद्द कर दिया और हाई कोर्ट को वापस भेज दिया. हालांकि, हमने पाया कि इस आदेश तक (फैजल) सांसद बने रहे और अपने सभी कर्तव्यों का निर्वहन किया. चूंकि हम पुनर्विचार के लिए रिमांड भेज रहे हैं, इसलिए इस स्तर पर, वैक्यूम पैदा करना उचित नहीं होगा क्योंकि हम हाई कोर्ट से 6 सप्ताह के भीतर आवेदन का निपटान करने का अनुरोध कर रहे हैं.

(इनपुट्स - लाइव लॉ )

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