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RSS प्रमुख बोले- "मणिपुर हिंसा में अलगाववादी ताकतें शामिल, समाज को बांटने वालों से बचें"

RSS चीफ मोहन भागवत ने अपनी स्पीच में अगले साल की शुरुआत में अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन का जिक्र नहीं किया.

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने मंगलवार (24 अक्टूबर) को मतदाताओं को उन विभाजनकारी ताकतों से सतर्क रहने के लिए आगाह किया, जो पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों के दौरान परेशानी पैदा कर सकती हैं और उनसे आग्रह किया कि वे विभाजनकारी ताकतों से सतर्क रहें व उम्मीदवारों के बीच "सर्वोत्तम" का चयन करें.

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भागवत ने कहा, "वोट डालना हर व्यक्ति का कर्तव्य है. नागरिक, और हमें इसका पालन करना चाहिए. देश की एकता, अखंडता, अस्मिता और विकास जैसे अहम मुद्दों को ध्यान में रखकर ही अपना वोट डालें.

"समाज को बांटने वाले लोगों से बचे"

आरएसएस प्रमुख डॉ. मोहन भागवत ने कहा, "उन लोगों के आगे न झुकें, जो आपको समाज को विभाजित करने के लिए उकसाने की कोशिश करते हैं." उन्होंने उनसे अपने मताधिकार का प्रयोग करने का राष्ट्रीय कर्तव्य निभाने का आग्रह किया.

महाराष्ट्र के नागपुर में विशाल रेशिमबाग मैदान में वार्षिक विजयदशमी समारोह को संबोधित करते हुए, भागवत ने भारत में प्रतिष्ठित जी20 शिखर सम्मेलन की सफलतापूर्वक मेजबानी करने और भागीदार देशों को भारतीय आतिथ्य प्रदान करने के लिए सभी की प्रशंसा की.

उन्होंने कहा, "भारत में मेहमानों ने भारतीय परंपराओं और संस्कृति का आनंद लिया और उनका गर्मजोशी से स्वागत किया गया."

यह वास्तव में एक उपलब्धि है कि भारत में अपने सत्र के दौरान जी20 ने अफ्रीकी संघ का गर्मजोशी से स्वागत किया. विज्ञान, कृषि और रक्षा क्षेत्र में भारत की सर्वांगीण प्रगति का प्रदर्शन किया गया.
डॉ. मोहन भागवत, RSS, चीफ

"मणिपुर हिंसा में अलगाववादी ताकतें शामिल"

मणिपुर संकट पर उन्होंने कहा कि हिंसा में कुछ अलगाववादी ताकतें शामिल है. कुकी मैतेई दोनों समूह वर्षों से वहां शांतिपूर्वक रह रहे थे, लेकिन सीमावर्ती इलाकों में परेशानी पैदा हो गई.

आरएसएस प्रमुख ने उन एथलीटों की सराहना की, जिन्होंने हाल ही में चीन में आयोजित एशियाई खेलों में देश को गौरवान्वित किया. वह 18 स्वर्ण, 28 रजत और 47 कांस्य पदकों की कुल संख्या 107 का उल्लेख करना नहीं भूले.

भागवत ने डिजिटल इंडिया, कृषि और रक्षा क्षेत्र में प्रगति की भी सराहना की. उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था हाल में 10वें स्थान से शीर्ष पांच में पहुंच गई है.

आरएसएस प्रमुख ने ये भी कहा कि कुछ असामाजिक लोग स्वयं को सांस्कृतिक मार्क्सवादी या जाग्रत कहते हैं लेकिन वे मार्क्स को भूल गये हैं.

लेकिन आरएसएस प्रमुख ने अगले साल की शुरुआत में अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन का जिक्र नहीं किया.

बता दें कि आरएसएस ने 98वें आरएसएस के विजयादशमी उत्सव के उपलक्ष्य में "पथ संचलन" या रूट मार्च का आयोजन किया. आरएसएस 1925 में अपनी स्थापना के बाद से हर साल नागपुर में दशहरे पर एक कार्यक्रम आयोजित करता है. इस बार कार्यक्रम में प्रमुख अतिथि के रूप में पद्मश्री शंकर महादेवन शामिल हुए.

शंकर महादेवन ने कहा, " जब मैं स्वयंसेवकों को देखता हूँ वो देश में कोई भी घटना हो, कोई भी प्रॉब्लम हो, जब जरूरत है वो भी पीछे खड़े होकर silently अपने देश के लिए काम करते हैं तो अगर हम कहेंगे कि हमारा देश एक गीत है तो हमारे स्वयंसेवक उसके पीछे की सरगम हैं। जो गीत को जान देते हैं."

(इनपुट-IANS के साथ)

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