मध्यप्रदेश में कोरोना की दूसरी लहर में जान गंवाने वाले लोगों की संख्या, सरकारी आंकड़ों से कहीं ज्यादा हो सकती है. सिविल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (CRS) में इस साल कोरोना पीक के दौरान कुल दर्ज मौतों की संख्या, पिछले दो सालों में इस अवधि में दर्ज मौतों से चार गुना ज्यादा है.
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक सबसे पहले पत्रकार रुक्मणी ने इस सिस्टम तक एक्सेस कर इस अंतर के बारे में बताया था.
सिविल रजिस्ट्रेशन सिस्टम के मुताबिक 2018 और 2019 में अप्रैल-मई की 2 महीने की अवधि में मध्यप्रदेश में औसतन 59,000 मौतें हुई थीं. लेकिन 2021 में इस अवधि में, कोरोना की दूसरी लहर के पीक के दौरान 2.3 लाख मौतें हुईं. मतलब चार गुना ज्यादा मौतें, कुल 1.74 लाख अतिरिक्त लोगों ने जान गंवाई. इन अतिरिक्त मौतों में से 1.3 लाख मौतें मई में हुई हैं.
लेकिन मध्यप्रदेश का सरकारी आंकड़ा कोरोना के चलते इन दो महीनों में सिर्फ 4100 लोगों की मौत होने की बात कहता है. इस अवधि में जो अतिरिक्त मौतें हुई हैं, कोरोना का सरकारी आंकड़ा उनका एक बेहद छोटा सा हिस्सा ही है.
द इकनॉमिस्ट ने लगाया भारत में मौतों का अनुमान, सरकार ने किया खंडन
इस बीच द इकनॉ़मिस्ट पत्रिका ने एक रिपोर्ट छापी है, जिसमें भारत में कोरोना से मरने वालों की संख्या आधिकारिक आंकड़ों से पांच से सात गुना तक ज्यादा होने की संभावना जताई गई थी.
लेकिन सरकार ने इस लेख को कयास लगाने वाला, बिना किसी आधार वाला और भ्रामक करार दिया. मंत्रालय ने कहा है कि पत्रिका में जिन स्टडी का इस्तेमाल मौतों का अनुमान लगाने के लिए किया गया है वे किसी भी देश या क्षेत्र के मृत्युदर का पता लगाने के लिए विधिमान्य टूल्स नहीं है
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