यह आर्टिकल मध्य प्रदेश के दमोह में चल रही हमारी कवरेज का हिस्सा है, जहां हिजाब विवाद के बाद इंग्लिश मीडियम गंगा जमुना स्कूल को बंद करने से 1,000 से अधिक बच्चों का भविष्य खतरे में पड़ गया है. हम आपके लिए दमोह से ग्राउंड रिपोर्ट लाते रहेंगे, और हमें आपकी मदद की जरूरत भी है.
"मैंने अपनी क्लास में कभी किसी को हिजाब ( Hijab) पहनने के लिए मजबूर होते हुए या किसी हिंदू छात्र को तिलक या कलावा के लिए डांट खाते नहीं देखा." यह बात मध्य प्रदेश के दमोह के उस गंगा जमुना स्कूल (Ganga Jamuna School, Damoh) के कक्षा 10 के छात्र तरूण ने कही, जिसकी अब मान्यता रद्द कर दी गई है.
तरुण ने गंगा जमना में नर्सरी से पढ़ाई की है और वह उस स्कूल से महज एक किलोमीटर की दूरी पर रहता है. हाल ही में ये स्कूल 10वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा में टॉप करने वाले छात्रों को बधाई देने वाले पोस्टर के बाद से विवाद में आ गया है. पोस्टर में सभी छात्राओं को कथित रूप से हिजाब पहनने के लिए 'मजबूर' किया गया था, जिसमें हिंदू छात्राएं भी शामिल हैं.
जब छात्र से पूछा गया कि क्या उन्होंने अपने किसी दोस्त या अन्य लड़कियों को हिजाब पहनने के लिए मजबूर किए जाते या कलावा या तिलक न पहनने के लिए कहे जाते देखा है, तो उसने कहा:
मैंने अपनी क्लास में कभी किसी को हिजाब पहनने के लिए मजबूर किए जाते नहीं देखा, या किसी हिंदू छात्र को तिलक या कलावा के लिए डांटते नहीं देखा.तरूण अहिरवार
दमोह हिजाब विवाद अब तक
स्कूल पहली बार विवाद कम उस समय आया जब दामोह के गंगा जमुना स्कूल के एक पोस्टर की तस्वीरें वायरल हुईं जिसमें 18 छात्राएं दिख रही थीं. सोशल मीडिया पर दावा किया गया कि स्कूल में हिंदू लड़कियों को भी हिजाब पहनने के लिए मजबूर किया जा रहा है.
सोमवार, 29 मई को, जिला कलेक्टर ने जांच के आदेश दिए और जिला शिक्षा अधिकारी और स्थानीय पुलिस स्टेशन प्रभारी को दावों की जांच करने का काम सौंपा.
अधिकारियों ने दावों की जांच और अभिभावकों तथा स्कूल प्रशासन से बातचीत के बाद अपनी रिपोर्ट सौंपी. उसके आधार पर जिला प्रशासन ने स्कूल को क्लीन चिट देते हुए कहा, ''जांच में आरोप साबित नहीं हुए.''
लेकिन मामला यहीं खत्म नहीं हुआ. यह तब और बढ़ गया जब दमोह के कट्टरपंथी समूहों ने राज्य की राजधानी भोपाल से लगभग 250 किलोमीटर दूर स्थित स्कूल के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया. इसमें हिंदू जागरण मंच, विश्व हिंदू परिषद और अन्य शामिल थे.
बाद के दिनों में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने इस विवाद पर टिप्पणी की और स्कूल के खिलाफ आरोपों ने और तूल पकड़ लिया.
11 जून को स्कूल के प्रिंसिपल, एक शिक्षक और स्कूल के चपरासी को तीन छात्राओं की शिकायत के बाद दमोह पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था. उन्होंने आरोप लगाया था कि स्कूल ने उन्हें हिजाब पहनने के लिए मजबूर किया और उनकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई.
द क्विंट से बात करते हुए स्कूल के वकील अनुनोदय श्रीवास्तव ने कहा कि गंगा जमना एक मान्यता प्राप्त अल्पसंख्यक संचालित शैक्षणिक संस्थान है, जिसकी स्थापना छात्रों, खासकर हाशिए के समुदायों से आने वाले छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से की गई थी.
"2021 में स्कूल का निरीक्षण किया गया और मान्यता को 2022-25 की अवधि के लिए आगे बढ़ा दिया गया. कुछ महीनों के भीतर ऐसा क्या हुआ कि मान्यता निलंबित कर दी गई और 1,000 से अधिक छात्रों का भविष्य खतरे में पड़ गया?"अनुनोदय श्रीवास्तव
स्कूल की मान्यता रद्द है. इस बीच कई माता-पिता जो अपने बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित हैं, उन्होंने द क्विंट को बताया कि इस विवाद का कोई तुक नहीं है.
हिंदू माता-पिता का क्या कहना है?
70 वर्षीय राज कुमार साहू आटा चक्की चलाते हैं. उनकी बेटी की तस्वीर भी उस विवादास्पद पोस्टर में थी जो वायरल हुई थी. उन्होंने द क्विंट से बात करते हुए कहा कि उन्होंने अपनी बेटी से कभी कोई शिकायत नहीं सुनी है कि उसे हिजाब पहनने के लिए 'मजबूर' किया जाता है.
"हमारी बेटी ने कभी भी हिजाब को लेकर स्कूल की ओर से किसी दबाव की शिकायत नहीं की. यह उनके ड्रेस कोड का हिस्सा था और इसमें कुछ भी गलत नहीं है. हम जानते थे कि ड्रेस कोड क्या था. और फिर भी हमने अपने बच्चे का एडमिशन कराया क्योंकि यह मायने नहीं रखता है. असल में शिक्षा की गुणवत्ता मायने रखती है, जो गंगा जमुना स्कूल में बहुत अच्छी थी."राम प्रकाश साहू
रिपोर्टर को पास खींचते हुए साहू ने दबी आवाज में कहा कि कुछ "हिंदुत्व समूहों ने पोस्टर लगाए जाने के बाद हंगामा किया, लेकिन वास्तव में उन माता-पिता की ओर से कोई विरोध नहीं था जिनके बच्चे स्कूल में पढ़ रहे थे."
जैसे ही हम उस क्षेत्र की भीड़भाड़ वाली सड़कों पर आगे बढ़े, हमारी मुलाकात आशा चौहान से हुई जो एक हाउस वाइफ हैं. उनके घर की दीवार स्कूल के साथ लगती हैं.
आशा ने द क्विंट को बताया कि वह इस बात की गवाह हैं कि स्कूल ने इलाके की शिक्षा में कैसे सुधार किया है. उन्होंने गंगा जमुना स्कूल में बच्चों को किसी भी चीज के लिए मजबूर करने की कोई घटना नहीं सुनी है.
"मेरे परिवार के तीन बच्चे गंगा जमना स्कूल में पढ़ रहे थे. मेरा घर स्कूल की इमारत से सटा हुआ है. अगर मैं घर के ऊपर जाती हूं, तो मुझे उनका असेंबली एरिया, उनकी कक्षाएं दिखाई देती हैं. इतने सालो में मैंने ऐसी कोई घटना नहीं देखी है कि स्कूल में किसी को भी हिजाब पहनने के लिए मजबूर किया जा रहा है."आशा चौहान
हालांकि आशा स्थानीय दक्षिणपंथी सदस्यों के विरोध के डर से कैमरे पर बोलने से झिझक रही थीं. उन्होंने द क्विंट को बताया कि गंगा जमुना स्कूल ऐसी जगह नहीं थी, जहां छात्रों को परेशान किया जाता था.
"स्कूल में बहुत सारे कार्यक्रम होते थे. एक कार्यक्रम में मेरे घर के बच्चे कृष्ण और राधा बने थे. सांस्कृतिक कार्यक्रमों में सभी धर्मों के प्रोग्राम होते थे. मैंने पहली बार धर्म परिवर्तन या हिंदू लड़कियों को हिजाब पहनने की बात सुनी है क्योंकि हम उस स्कूल के ठीक बगल में रहते''आशाा
'क्या हिजाब पहनने से कोई मुसलमान हो जाता है?'
कुछ पैरेंट्स दमोह कलेक्टरेट के पास भी गए और मांग की कि स्कूल को फिर से खोला जाए या उनके बच्चों को अन्य अंग्रेजी मीडियम के स्कूलों में एडमिशन दिलाया जाए.
कलक्ट्रेट जाने वालों में से एक मीना नाज ने कहा:
"ये स्कूल मिडिल क्लास परिवारों के बच्चों को अच्छी शिक्षा दे रहा था. पर अचानक सब खत्म हो गया."मीना
द क्विंट से बात करते हुए नाज़ ने कहा कि क्या सिर्फ सर पर हिजाब पहनने से कोई मुस्लिम बन सकता है?
एक और पेरेंट ने कहा कि क्या सरकार हमारे बच्चों को दूसरे स्कूलों में दाखिला दिलाने पर समान स्तर की शिक्षा, आराम और कम फीस का वादा कर सकती है?
"सरकार कह रही हैं कि वे हमारे बच्चों को सरकारी स्कूल में दाखिला देंगे. कितने सरकारी स्कूलों में गंगा जमुना स्कूल जैसी पढ़ाई है? और हम अपने बच्चों को हिंदी मीडियम में नहीं पढ़ाएंगे और हम प्राइवेट स्कूल का खर्च नहीं उठा सकते."पैरेंट
एक पैरेंट ने पूछा "हम मुख्यमंत्री से पूछते हैं क्या वह खुद को केवल हिंदू भतीजियों का मामा मानते हैं? क्या वह मेरी बेटी या मुस्लिम लड़कियों के मामा नहीं हैं? क्या वह मुस्लिम महिलाओं के भाई नहीं हैं, और क्या वह अपनी मुस्लिम बहनों के साथ खड़े नहीं होंगे? "
एक समय में शांतिप्रय रहा दमोह अब सांप्रदायिक तनाव पैदा करने का मैदान बन गया है
इन सबके बीच गंगा जमुना स्कूल का भविष्य अधर में लटका हुआ है. जब स्कूल की मान्यता के रद्द करने और क्या इसे बहाल किया जाएगा, के बारे में पूछा गया तो जिला शिक्षा अधिकारी एसके नेमा ने कहा
"हमने सभी फाइलें और रिपोर्ट अपने उच्च अधिकारियों को भेज दी है. स्कूल की मान्यता जारी रखने/रद्द करने पर निर्णय एक हफ्ते के भीतर किया जाएगा. और उसके आधार पर फैसला लिया जाएगा. और अगर छात्रों को अंग्रेजी मीडियम स्कूल में दाखिला नहीं मिलता है नया स्कूल बन जाएगा.”
एसके नेमा को एसके मिश्रा की जगह शिक्षा अधिकारी बनाया गया है. एसके मिश्रा ने शुरू में स्कूल को क्लीन चिट दे दी थी जिसके बाद उन्हें हटा दिया गया.
बीजेपी के एक स्थानीय नेता जिन्होंने नाम न छापने की शर्त पर द क्विंट से बात की और कहा कि जिस तरह से हिंदुत्व ब्रिगेड ने इस घटना के आसपास अराजकता पैदा की है, वह दोनों समुदायों के बीच और दरार पैदा करेगी.
"धार्मिक तनाव के मामले में दमोह एक बहुत ही शांतिपूर्ण जगह रहा है. हम दशकों से मुसलमानों के साथ रह रहें है, लेकिन यह घटना और जिस तरह से गंगा जमुना स्कूल को निशाना बनाया गया है, वह दोनों के बीच और दरार का पैदा करेगी."स्थानीय नेता
स्कूल के वकील श्रीवास्तव ने भी छात्रों के भविष्य पर चिंता जताई और कहा कि अगर ऐसे मुद्दों को सांप्रदायिक रंग दिया गया, तो इससे इलाके में मौजूद भाईचारे पर असर पड़ेगा.
"स्कूल मु्स्लिम शिक्षा संस्थान के कानूनों और नियमों के मुताबिक काम कर रहा है. जिन मुद्दों को सांप्रदायिक रंग दिया गया है, वे दमोह की शांति में असर डालेंगे. ये प्यार और भाईचारे का शहर रहे हैं. दमोह का मोह बना रहे."वकील श्रीवास्तव
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