मध्य प्रदेश के सिवनी जिले में 2 आदिवासियों की गोकशी के शक में हत्या के मामले में गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा और एसपी कुमार प्रतीक सहित शीर्ष पुलिस अधिकारी भले ही कह रहे हैं कि हमलावर बजरंग दल और श्रीराम सेना के सदस्य थे, इसकी पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन क्विंट के हाथ ऐसे कई सबूत लगे हैं जिससे साबित होता कि दरअसल हमलावरों का इन दोनों संगठनों से संबंध है.
2 मई 2022 की रात को मध्य प्रदेश के सिवनी में गोकशी के शक में 2 आदिवासियों को पीट-पीट कर दी गई थी. मध्य प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्र और सिवनी के एसपी का कहना है कि अभी इस बात की जांच की जानी है कि हमलावर बजरंग दल और श्रीराम सेना के सदस्य थे.
हमलावर बजरंग दल/श्रीराम सेना के थे-सबूत नंबर 1
उस रात तीन लोगों को पीटा गया था. दो की मौत हो गई और एक व्यक्ति जो जीवित बचे उनका नाम है ब्रजेश बट्टी. ब्रजेश बट्टी ने क्विंट से बात करते हुए साफ कहा है कि हमलावर बजरंग दल के थे.
उस रात परिवार के साथ घर पर सो रहा था. रात 2 बजे आवाज आने लगी बाहर से. मैं दरवाजे के पास गया तो बजरंग दल वाले अंदर घुस गए और बाहर पकड़ कर ले गए और मुझसे मारपीट की.हमले में जिंदा बचे ब्रजेश बट्टी
इस वारदात का एक वीडियो भी सामने आया है जिसमें कुछ लोग मरने वाले दो आदिवासियों से पूछताछ करते दिख रहे हैं. उनके हाथों में लाठी-डंडे नजर आ रहे हैं. ब्रजेश के मुताबिक जब ये वीडियो बनाया गया, उस वक्त वो वहीं थे-
पूछताछ वाले वीडियो के वक्त मैं पुलिस के साथ गाड़ी में था और बजरंग दल वाले बाकी दोनों से मारपीट कर रहे थे.हमले में जिंदा बचे ब्रजेश बट्टी
हमलावर बजरंग दल/श्रीराम सेना के थे-सबूत नंबर 2
बड़ी अजीब बात है कि जो पुलिस मान नहीं रही और खुद हमला करने वाले कैमरे पर कबूल कर रहे हैं कि आदिवासियों को उन्होंने ही पकड़ा. इतना ही नहीं वो तो पुलिस को ही कठघरे में खड़ा कर रहे हैं.
बजरंग दल और श्री राम सेना दोनों के सिवनी जिला पदाधिकारियों ने द क्विंट से पुष्टि की है कि यह वास्तव में उनके संगठनों के सदस्यों ने ही आदिवासियों को पकड़ा और उन्हें पुलिस के हवाले किया है. हालांकि, उन्होंने लिंचिंग के आरोपों से इनकार किया है.
क्विंट से बातचीत में श्री राम सेना के प्रदेश अध्यक्ष शुभम सिंह ने कहा,."
हम लोग थे, हमारे संगठन के सदस्य, जिन्होंने आदिवासियों को गाय के मांस के साथ पकड़ा और हमने उन्हें जब्त किए गए गाय के मांस के साथ पुलिस को सौंप दिया. जब पुलिस ने आदिवासियों को अपने कब्जे में लिया तो उन्हें इतनी चोटें नहीं आई थीं और वे अपने दम पर चलने में सक्षम थे."
शुभम सिंह ने आगे आरोप लगाया -
"वे ठीक थे और जब हमने उन्हें पुलिस को सौंप दिया तो उन्हें उतना नुकसान नहीं हुआ. अगर वे गंभीर रूप से घायल थे, तो पुलिस उन्हें पहले अस्पताल क्यों नहीं ले गई? इसके बजाय पुलिस आदिवासियों को बादलपार चौकी ले गई. उनके बयान दर्ज करने के लिए.
एक और दक्षिणपंथी समूह जिसका नाम लिंचिंग की घटना में सामने आया है, वह बजरंग दल है. बजरंग दल के जिला समन्वयक देवेंद्र सेन ने क्विंट से बातचीत में बजरंगी (बजरंग दल के सदस्यों के लिए एक उपनाम) की संलिप्तता के बारे में फिर से पुष्टि की है. हालांकि देवेंद्र ने आदिवासियों की पीट-पीट कर हत्या करने के आरोपों से भी इनकार किया है.
बजरंगी और अन्य समूहों के सदस्यों ने आदिवासियों को गाय के मांस के साथ पकड़ लिया और उन्हें पुलिस के हवाले किया. कोई हिंसा नहीं हुई थी और आदिवासियों को हमारे लोगों ने नहीं पीटा.देवेंद्र सेन, जिला समन्वयक, बजरंग दल
श्रीराम सेना और बजरंग के लोगों ने पुलिस पर दो गंभीर आरोप लगाए हैं? फिर समझिए कितने गंभीर हैं आरोप-
1. हमने पुलिस को आदिवासियों को सही सलामत सौंपा था, पता नहीं थाने में उनके साथ क्या किया गया? एक तरह से ये लोग कह रहे हैं कि पुलिस ने उन्हें मारा या उनकी हिरासत में मौत हुई
2. अगर आदिवासी मारपीट में गंभीर रूप से जख्मी थे (इतनी की उनकी मौत हो जाए), तो पुलिस उन्हें चौकी ले जाने की जगह अस्पताल क्यों नहीं ले गई?
विडंबना देखिए कि जिन संगठनों का नाम लेने से पुलिस बच रही है, वही संगठन पुलिस पर गंभीर आरोप लगा रहे हैं. इन आरोपों में कितनी सच्चाई है, इसका जवाब नरोत्तम मिश्र और उनका पुलिस महकमा ही दे सकता है.
हमलावर बजरंग दल/श्रीराम सेना के थे-सबूत नंबर 3
बीजेपी जिलाध्यक्ष के साथ लिंचिंग के आरोपियों की तस्वीरें वायरल
लिंचिंग के इस मामले के बाद आरोपियों की और मामले में गिरफ्तार लोगों की बीजेपी नेताओं के साथ कई तस्वीरें वायरल हुई हैं.
मामले में 13 लोग गिरफ्तार किए गए हैं,इनमें से 10 नाम सामने आए हैं-
शेरसिंह राठौर
दीपक अवधिया
अजय साहू
वेदांत चौहान
बसंत रघुवंशी
रघुनंदन रघुवंशी
अंशुल चौरसिया
शिवराज
रिंकु पाल
नीलम चौहन
इनमें से दो के बारे में जानिए
दीपक अवधिया
2 मई 2022 को बजरंग दल और श्री राम सेना के सदस्यों द्वारा कथित तौर पर पीट-पीट कर मारे गए 2 आदिवासियों की मौत के बाद बीजेपी के जिलाध्यक्ष आलोक दुबे के साथ एक आरोपी दीपक अवधिया की एक तस्वीर वायरल हो गई है.
दीपक अवधिया का एक वीडियो वायरल हो रहा है जिससे ऐसा लगता है कि वो आरएसएस का हिस्सा है.
शेरसिंह राठौर
मामले के एक और आरोपी शेर सिंह राठौड़ के भी सिवनी जिले के विश्व हिंदू परिषद के गोरक्षा प्रमुख के सदस्य होने का दावा किया जा रहा है.
हमलावर बजरंग दल/श्रीराम सेना के थे-सबूत नंबर 4
सिवनी पुलिस के अधिकारियों के विरोधाभासी बयान
एक तरफ सिवनी जिले के पुलिस अधीक्षक कुमार प्रतीक ने दावा किया था कि वह इस बात की पुष्टि नहीं कर सकते कि गिरफ्तार किए गए लोगों का दक्षिणपंथी समूहों से कोई संबंध है या नहीं.
"गिरफ्तार किए गए लोगों का बजरंग दल या अन्य समूहों से संबंध होने की कोई पुष्टि नहीं हुई है. यह जांच का मामला है और जांच में जो कुछ भी सामने आएगा उसे सभी साझा करेंगे."कुमार प्रतीक, एसपी, सिवनी
दूसरी ओर जिनकी सीमा में घटना स्थल आता है यानि कुराई थाना प्रभारी जी एस उइके ने स्पष्ट रूप से कहा कि गिरफ्तार किए गए लोगों में से 3 बजरंग दल के हैं और 6 श्री राम सेना के हैं.
"हमने कुछ लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनमें से तीन बजरंग दल के हैं और छह श्री राम सेना के हैं."जी एस उइके, थाना प्रभारी,कुराई, सिवनी
घटना के बाद इलाके के कांग्रेस विधायक अर्जुन सिंह काकोडिया पीड़ित परिवारों और ग्रामीणों के साथ इंसाफ की मांग को लेकर धरने पर बैठे थे. उन्होंने भी आरोप लगाया था कि हमलावर बजरंग दल और श्रीराम सेना के थे. उधर कांग्रेस विधायक कांतिलाल भूरिया ने आरोप लगाया है कि सरकार आरोपियों को बचा रही है.
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