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मुंबई 7/11 ट्रेन धमाका: 14 साल बीत गए, लेकिन ‘दर्द’ बाकी है

11 मिनट के भीतर 7 धमाके हुए, 2009 लोगों की मौत हो गई और करीब 700 लोग जख्मी हुए.

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11 जुलाई, 2006 की शाम. मुंबई लोकल रोज की तरह ही खचाखच भरी चल रही थी. अचानक 6 बजकर 20 मिनट पर चर्चगेट से बोरीवली जाने वाली ट्रेन में खार और सांता क्रूज के बीच बम धमाका हुआ. यह 7 बम धमाकों की सीरीज में पहला था. 11 मिनट के भीतर 7 धमाके हुए, 2009 लोगों की मौत हो गई और करीब 700 लोग जख्मी हुए.

‘वो दिन कभी-कभी सोने नहीं देता’

14 साल पहले हुए इन धमाकों के सर्वाइवर मोहम्मद सबीर खान अब भी जब इन धमाकों को याद करते हैं, उन्हें रात में नींद नहीं आ पाती. खान उस वक्त, 44 साल के थे, मीरा रोड से वसई जा रहे थे. वो कहते हैं कि जैसे ही ट्रेन प्लेटफॉर्म से आगे बढ़ी, एक भीषण धमाके की आवाज सुनाई पड़ी.

‘’मैं फर्स्ट क्लास कंपार्टमेंट के दरवाजे पर खड़ा था और मेरी बाईं तरफ एक धमाका हुआ. कोई नहीं समझ पा रहा था कि आखिर हो क्या रहा है. हर तरफ अफरातफरी मची हुई थी. मेरे बराबर में खड़े लोग जख्मी थे. मैंने इंजन को पार किया और पीछे की और गया तो देखा कि कंपार्टमेंट का दरवाजा पूरी तरह से उड़ा हुआ था. शव इधर-उधर बिखरे पड़े थे. हॉकर्स थे जो वहां वो शरीर के हिस्से जमा कर रहे थे और उन्हें एक साथ रखने की कोशिश कर रहे थे.’’
मोहम्मद सबीर खान, मुंबई ट्रेन धमाके के सर्वाइवर

धमाके की वजह से खान के हाथ में फ्रैक्चर हुआ था और ईयर ड्रम को नुकसान पहुंचा था. ''आज तक मुझे सुनाई देने में दिक्कत होती है, 25 फीसदी सुनने की क्षमता कम हुई है.''

महेंद्र पिताले ने खो दिया है अपना एक हाथ

महेंद्र पिताले, जो धमाकों से बचने में भाग्यशाली रहे लोगों में से एक थे, उन्होंने याद किया कि उन्हें कुछ काम पूरा करने के लिए जल्दी जाना था.

जब उनकी ट्रेन जोगेश्वरी स्टेशन पर पहुंची तो वहां एक धमाका हुआ. अगले कुछ मिनटों में जो हुआ वो अस्पष्ट है. उन्होंने याद किया, "शुरू में, मुझे समझ नहीं आया कि क्या हो रहा है, लेकिन मुझे याद है कि मैं ट्रेन से बाहर आ गया था. मुझे तब एहसास हुआ कि मेरा हाथ पूरी तरह से खराब हो चुका है.''

“लोगों ने मुझे अस्पताल में भर्ती कराने में मदद की. रात में, डॉक्टरों ने मुझे बताया कि मेरे हाथ को अलग करना होगा. मैं अगली सुबह उठा और देखा कि मेरा हाथ कट चुका है.”
महेंद्र पिताले,मुंबई ट्रेन धमाके के सर्वाइवर

महेंद्र पेशे से मूर्तिकार थे, ऐसे में हाथ गंवा देना उनके लिए काफी बड़ा झटका था. उन्हें अपने करियर के बारे में दोबारा सोचना पड़ा और वो ग्राफिक डिजाइन की क्लास लेने लगे.

'लगातार डर में रहा'

30 साल के विनित पाटिल उस वक्त 12वीं में पढ़ते थे. वो अपने कॉलेज से घर आ रहे थे बोरीवली स्टेशन पर पहुंचे ही थे कि ट्रेन में धमाका हुआ. अपनी जान बचाने के लिए विनित ट्रेन से कूद पड़े थे.

‘’ट्रेन से कूदने पर मुझे आसपास सिर्फ डेड बॉडीज दिखाई पड़ रही थी, या लोग जख्मी हालत में थे , किसी ने अपने हाथ गंवा दिए थे तो किसी ने अपने पैर.’’
विनित पाटिल,मुंबई ट्रेन धमाके के सर्वाइवर

इस खौफनाक हादसे के बाद कई साल तक पाटिल ट्रॉमा से गुजरते रहे. वो कहते हैं,

‘’मैं जब कई ट्रैवल करता था डर और खौफ के साए में करता था. सबसे बड़ी चुनौती थी कि मैं अपनी पढ़ाई कैसे जारी रख सकूं. कुछ साल मुझे लगे, मैं डर से बाहर निकला और अब मैं अपने करियर में सफल हूं.''

सितंबर, 2015 में कुल 13 में से 12 आरोपी दोषी करार दिए गए. 5 को फांसी की सजा का ऐलान हुआ और 7 को उम्रकैद. इंसाफ तो मिल गया लेकिन जिन सर्वाइवर्स ने द क्विंट से बातचीत वो कहते हैं कि अभी उनके अंदर 7/11 धमाके का खौफ बरकरार है.

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