ADVERTISEMENTREMOVE AD

मुंबई ट्रेन धमाके के ‘बेगुनाह कैदी’ की कहानी, उसी की जुबानी

मुंबई ट्रेन धमाके के ‘बेगुनाह कैदी’ अब्दुल वाहिद शेख की कहानी

Published
छोटा
मध्यम
बड़ा

वीडियो एडिटर: संदीप सुमन

वीडियो प्रोड्यूसर: उज्जवल अग्रवाल

ADVERTISEMENTREMOVE AD

2006 मुंबई ट्रेन ब्लास्ट केस में 10 सालों तक बिना किसी गुनाह के सलाखों के पीछे रहने वाले अब्दुल वाहिद शेख ने किताब ‘बेगुनाह कैदी’ में अपनी दास्तान लिखी है. इस केस में पुलिस की ओर से उनके खिलाफ सबूत न पेश करने पर 2015 में, मकोका कोर्ट ने उन्हें क्लीन चिट दे दी थी.

गिरफ्तारी के समय वो खरोली मुंबई के एक सरकारी स्कूल में टीचर थे और उर्दू में पीएचडी कर रहे थे. हालांकि 10 साल की सख्त कैद और पीड़ा के बाद उन्हें रिहाई तो मिल गई लेकिन वो उससे उबर नहीं पाए हैं.

2006 में, जब मुंबई एटीएस ने हमें गिरफ्तार किया तो हमें सदमा लगा था कि इतने बड़े आतंकी हमले में 13 मुस्लिम नौजवानों को गिरफ्तार कर लिया, जो बेगुनाह हैं. पुलिस पूरी तरह से हमें आरोपी साबित करने में लग गई थी.
अब्दुल वाहिद शेख, लेखक और शिक्षक

अब्दुल बताते हैं कि उनकी किताब, उनकी कहानी के जरिये बताती है कि किस तरह इकबालिया बयान लिए जाते हैं. कड़ी सजा के साथ आरोपी के घर वालों को परेशान करना, महिलाओं के साथ बदसलूकी करना और उनके तार भी तमाम झूठे और मनगढ़त मामलों से जोड़ने की धमकियां देकर गिरफ्तार आरोपियों को सादे कागज पर हस्ताक्षर करने पर मजबूर कर देते हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

अब्दुल की किताब उन युवाओं के लिए है जो उनकी ही तरह जिंदगी जीने के लिए मजबूर कर दिए गए हैं.

मैंने अपने साथ बीती सारी बातें इस किताब में लिख दी है. ये युवाओं के लिए एक तरह की गाइडबुक है जो पुलिस के चंगुल में आ जाते हैं.
अब्दुल वाहिद शेख, लेखक और शिक्षक

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×