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मुंबई: कमला मिल्स अग्‍न‍िकांड में असली गुनहगार को बचाने की कोशिश?

दस्‍तावेज बताते हैं कि बड़े अधिकारियों की लापरवाही और रेस्टोरेंट मालिकों के साथ मिलीभगत की वजह से इतना बड़ा हादसा हुआ.

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मुंबई के कमला मिल्स में भीषण आग के बाद कार्रवाई के नाम पर बीएमसी ने 5 अधिकारियों को सस्पेंड तो कर दिया, लेकिन अब इस कार्रवाई पर सवाल खड़े हो रहे हैं. BMC पर आरोप लग रहे हैं कि उसने जान-बूझकर एक 'खास तरह' की प्रक्रिया के तहत ऐसे अधिकारियों पर कार्रवाई की है, जो जांच के बाद साफ बच निकलेंगे.

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दस्तावेज कुछ और कहानी बताते हैं

क्विंट को मिले दस्तावेज बताते हैं कि बड़े अधिकारियों की लापरवाही और रेस्टोरेंट मालिकों से मिलीभगत की वजह से इतना बड़ा हादसा हुआ.

क्विंट के पास वो लेटर मौजूद है, जो 24 अगस्‍त, 2017 को हेल्थ डिपार्टमेंट के AE  साउथ वार्ड, को लिखा गया था. इसमें साफ बताया गया था कि 1 अवब और मोजो, इन दोनों रेस्टोरेंट में बीएमसी के नियम 394 की धज्‍ज‍ियां उड़ाई जा रही हैं.

लेटर में ये भी अनुरोध किया गया था कि कमला मिल्स में जांच करके उचित कार्रवाई की जाए. लेकिन इसके बावजूद AE ने कोई कार्रवाई नहीं की. इतनी बड़ी लापरवाही के बाद भी बीएमसी क्यों अफसर का बचाव कर रही है, ये सवाल बना हुआ है.

दस्‍तावेज से जाहिर हो रहा है कि इलाके के वार्ड ऑफिसर ने भी इलाके में चल रहे अवैध निर्माण की अनदेखी की, जिसकी वजह से कमला मिल्स कम्पाउंड में ही 10 से ज्यादा रुफटॉप रेस्टोरेंट बिना परमिशन के चल रहे थे. लेकिन बीएमसी ने वार्ड ऑफिसर के खिलाफ कार्रवाई करने की बजाए उनका तबादला दूसरे वार्ड में कर दिया.

ऐसे चला कार्रवाई का 'खेल'

फायर डिपार्टमेंट के अधिकारियों को भी बचाने में बीएमसी का जवाब नहीं. मोजो और 1 अवब में नियमों के उल्लंघन होने की रिपोर्ट सामने आने के बाद भी फायर डिपार्टमेंट ने रेस्टोरेंट को एनओसी दे दिया. एनओसी पर असिस्‍टेंट फायर ऑफिसर और फायर स्टेशन ऑफिसर, दोनों के हस्ताक्षर हैं. लेकिन यहां भी बीएमसी ने कार्रवाई के नाम पर असिस्‍टेंट फायर ऑफिसर को सस्पेंड कर दिया.

सस्पेंड किए अधिकारियों के नाम

  • धनराज शिंदे, जूनियर इंजीनियर
  • महाले, सब इंजीनियर
  • एस एन शिंदे, असिस्टेंट फायर ऑफिसर
  • मधुकर शेलार, जूनियर वार्ड अधिकारी
  • पड़घीरे, हेल्थ ऑफिसर

इस मामले में क्विंट ने जब विपक्ष के कुछ नेताओं से बात की, तो उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि बीएमसी जान-बूझकर बड़े अधिकारियों को बचा रही है. इनका कहना है कि इस मामले का सच तभी सामने आएगा, जब मामले की निष्‍पक्ष जांच की जाए.

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