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Nagaland: नागरिक हत्या मामलें में चार्जशीट दायर, आर्मी के 30 जवानों के नाम शामिल

पिछले साल दिसंबर में नागालैंड के मोन जिले में सुरक्षाबलों की गोलीबारी में 14 आम नागरिकों की मौत हुई थी.

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भारत
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पिछले साल दिसंबर में नागालैंड (Nagaland) के मोन जिले में सुरक्षाबलों की गोलीबारी में 14 आम नागरिकों की मौत हुई थी. इसी मामले में नागालैंड पुलिस ने चार्जशीट दाखिल कर दी है जिसमें सेना के स्पेशल फोर्सेज के 30 जवानों का नाम शामिल किया गया है. राज्य पुलिस चीफ ने कहा कि उनके स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) ने आरोपपत्र कोर्ट को सौंप दिया है. इसमें एक सेना अधिकारी और 29 जवानों के नाम शामिल हैं.

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एसआईटी ने आरोप लगाया कि सैनिकों ने एसओपी और इंगेजमेंट के नियमों का पालन नहीं किया. एसआईटी की जांच में ये पाया गया कि 21 पैरा स्पेशल फोर्स के सैनिकों ने घात लगाकर किए गए ऑपरेशन के दौरान एसओपी का पालन नहीं किया, जिसमें रात में एक पिकअप ट्रक में घर लौट रहे 14 नागरिकों की मौत हो गई. 4 दिसंबर 2021 को हुई घटना के बाद गुस्से में जवानों को घेरने वाले ग्रामीणों के हमले में एक सिपाही की मौत हो गई.

नागालैंड सरकार ने केंद्र सरकार से चार्जशीट में नामजद जवानों के खिलाफ कार्रवाई की इजाजत मांगी है. राज्य पुलिस ने भी रक्षा मंत्रालय को पत्र भेजकर कार्रवाई की मंजूरी मांगी है.

नागालैंड सशस्त्र बल (विशेष) अधिकार अधिनियम (AFSPA) के तहत है, जो सुरक्षा बलों को केंद्र की मंजूरी के बिना उत्पीड़न से बचाता है.

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सेना द्वारा मारे गए लोगों के परिजनों ने क्या कहा था ?

पिछले साल दिसंबर में ये घटना होने के बाद दिवंगत फोकम कोन्याक की पत्नी फामसा कोन्याक ने क्विंट से बात करते हुए कहा था कि हम नहीं चाहते कि भारतीय सेना ओटिंग गांव आए, हम नहीं चाहते कि कोई सोम को परेशान करे.

यह घटना नागालैंड के मोन जिले के तिरु गांव में हुई, जो ओटिंग गांव से करीब 5-6 किलोमीटर दूर है. यहां कोयला खदान में काम करने वाले मजदूर रहते थे.

AFSPA को निरस्त किया जाए और दोषियों को सजा मिले

स्वर्गीय शोमवांग कोन्याक के पिता ने कहा था कि हम चाहते हैं कि मेरे बेटे की हत्या में शामिल भारतीय सेना के जवानों और कमांडो की पहचान की जाए और उनके खिलाफ दीवानी अदालत में मुकदमा चलाया जाए. मैं चाहता हूं कि कठोर अफ्सपा को निरस्त किया जाए.

गांव के लोग AFSPA को निरस्त करने और हत्याओं के पीछे सुरक्षा बलों की पहचान करके कोर्ट में पेश करने के लिए एकमत थे.

उन्होंने यह भी मांग की कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, जिन्होंने संसद में कहा था कि सेना ने "आत्मरक्षा में जवाबी गोलीबारी का सहारा लिया", को अपना बयान वापस लेना चाहिए.

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