नगालैंड (Nagaland) में खराब होती स्थितियों से बढ़ते तनाव को देखते हुए, रविवार 26 दिसंबर को गृह मंत्रालय (Home Ministry) ने सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) (AFSPA) को वापस लेने की संभावना पर विचार करने के लिए विवेक जोशी की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है. विवेक जोशी एक सचिव स्तर के अधिकारी हैं.
बता दें कि AFSPA को वापस लेने के लिए कई जिलों में विरोध प्रदर्शन चल रहे हैं.
पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक भारत के रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना कमिश्नर विवेक जोशी, सरकार के द्वारा बनाई गई इस पांच सदस्यीय समिति के प्रमुख होंगे.
पिछले दिनों नागालैंड में हुई घटना पर सेना ने फिर से खेद प्रकट किया और बताया गया कि इससे संबंधित जांच तेजी से चल रही है, जिसको जल्द से जल्द पूरा करने के प्रयास जारी हैं.
सेना ने आश्वासन दिया कि सभी नागरिकों के लिए इंसाल दिलवाने के लिए मामले में कानून के मुताबिक कार्रवाई की जाएगी. इसी के साथ राज्य के लोगों से आग्रह किया गया कि वो धैर्य रखें और सेना की जांच होने व इसका रिजल्ट आने का इंतजार करें.
नगालैंड सरकार ने एक बयान में कहा कि उसके मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक (DGP) केंद्रीय पैनल का हिस्सा होंगे.
23 दिसंबर को केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने इस मामले को लेकर नगालैंड के मुख्यमंत्री नेप्यू रिओ और हिमंत बिस्वा सरमा के साथ मीटिंग की थी, जिसके तीन दिनों बाद कमेटी का गठन किया गया.
गुरुवार, 23 दिसंबर की बैठक में नगालैंड के डिप्टी सीएम वाई पैटन और नगालैंड के पूर्व मुख्यमंत्री टीआर जेलियांग भी शामिल थे. यह सुनिश्चित किया गया है कि पैनल 45 दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपेगा.
मंत्रालय द्वारा बनाई गई समिति नगालैंड में अफस्पा को वापस लेने की संभावना पर गौर करेगी. राज्य में यह कानून पिछले दस सालों से लागू है, जो सशस्त्र बलों को ऑपरेशन करने, बिना कोई नोटिस दिए किसी को भी गिरफ्तार करने और अपनी रक्षा में किसी को भी गोली मारने का अधिकार देता है.
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