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नागालैंड से AFSPA हटाने के लिए समिति का होगा गठन, गृहमंत्री की मौजूदगी में फैसला

जांच समिति नागालैंड से AFSPA को वापस लेने या नहीं लेने संबंधी अपनी राय 45 दिनों के अंदर देगी.

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नागालैंड (Nagaland) सरकार ने रविवार, 26 दिसंबर को जानकरी दी कि राज्य से सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (AFSPA) को वापस लेने की जांच के लिए जल्द ही एक समिति का गठन किया जाएगा.

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राज्य सरकार की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में हुई बैठक में यह फैसला लिया गया. इस बैठक में गृह मंत्री अमित शाह के अलावा नागालैंड के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो, असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा, नागालैंड के डिप्टी सीएम वाई पैटन और एनपीएफएलपी नेता टीआर जेलियांग भी शामिल थे.

गौरतलब है कि विवादास्पद AFSPA कानून सशस्त्र बलों को "अशांत" के रूप में नामित क्षेत्रों में वारंट के बिना लोगों को हिरासत में लेने और गिरफ्तार करने के लिए व्यापक अधिकार देता है.

AFSPA की जांच समिति में कौन- कौन होगा शामिल?

राज्य सरकार की ओर से जारी बयान के अनुसार बैठक 23 दिसंबर को नागालैंड के वर्तमान परिदृश्य पर चर्चा के लिए हुई थी. समिति की अध्यक्षता पूर्वोत्तर के लिए गृह मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव करेंगे और इसमें नागालैंड के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक शामिल होंगे. इसके अलावा इसमें IGAR(N) और CRPF के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे.

यह समिति नागालैंड से AFSPA को वापस लेने या नहीं लेने संबंधी अपनी राय 45 दिनों के अंदर देगी.

मालूम हो कि इस महीने की शुरुआत में सेना के असफल अभियान और मोन जिले में हुई जवाबी हिंसा में 14 नागरिकों की मौत के बाद राज्य में विवादास्पद कानून को वापस लेने की मांग तेज हो गई थी.

20 नवंबर को, नागालैंड विधानसभा ने सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया जिसमें भारत सरकार से इस क्षेत्र से AFSPA को निरस्त करने की मांग की गई थी.

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