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सेना की गोलीबारी में 13 नागरिकों की मौत के बाद नागा जनजाति समूह ने रखी 5 मांगें

Nagaland के मोन जिले में 4 दिसंबर की रात सुरक्षाबलों की गोलीबारी में 13 आम नागरिकों की मौत हो गई.

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नागालैंड (Nagaland) के मोन जिले में 4 दिसंबर की रात सुरक्षाबलों की गोलीबारी में 13 आम नागरिकों की मौत हो गई. अब इस हत्या के बाद मोन जिले के कोन्याक नागा जनजाति के निकाय कोन्याक यूनियन ने अपनी पांच मांगे रखी हैं. ज्ञापन में सरकार से कहा गया है कि इस घटना के लिए जिम्मेदार सेना कर्मियों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई हो. साथ ही राज्य में सुरक्षा बलों को दिए गए विशेष अधिकारों को वापस लेने की मांग की.

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ये ज्ञापन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा सोमवार को संसद को संबोधित करने के कुछ घंटों बाद आया है, जिसमें सुरक्षा बलों के हाथों 13 ग्रामीणों की मौत पर खेद व्यक्त किया गया था.

अमित शाह ने संसद में कहा था, "भारत सरकार नागालैंड में हुई इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना पर खेद जताती है और जान गंवाने वालों के परिवारों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करती है."

कोन्याक संघ की पांच मांगें:

  • एक सक्षम जांच एजेंसी के तहत एक स्वतंत्र जांच समिति का गठन करें, जिसमें जांच में नागा नागरिक समाज के दो सदस्य शामिल हों.

  • इसमें शामिल सभी सैन्य कर्मियों के खिलाफ देश के कानून के तहत मामला दर्ज किया जाना चाहिए और उन्हें दंडित किया जाना चाहिए.

  • सेना के जवानों के खिलाफ की गई कार्रवाई को 30 दिनों के भीतर सार्वजनिक किया जाना चाहिए.

  • मोन जिले से असम राइफल्स की तत्काल वापसी हो

  • भारत के पूरे पूर्वोत्तर से सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम (AFSPA) को निरस्त किया जाए.

इस बीच, नागालैंड के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो और मेघालय के सीएम कोनराड संगमा दोनों ने अफस्पा को निरस्त करने की मांग की है.

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कानून के तहत, देश भर में "अशांत क्षेत्रों" में सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए आवश्यक समझे जाने पर सेना को तलाशी और बिना किसी पूर्व वारंट के गिरफ्तारी का अधिकार है.

हालांकि मानवाधिकार समूहों के साथ-साथ अन्य सिविल सोसाइटी के सदस्यों ने 'कठोर' कानून के तहत मानवाधिकारों के उल्लंघन और ज्यादतियों का आरोप लगाते हुए कानून को खत्म करने की मांग की है.

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