नागालैंड (Nagaland) सरकार ने राज्य में कई नागरिकों की हत्या होने के मामले में जांच के लिए पांच सदस्यीय स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम (SIT) का गठन कर दिया है. एनडीटीवी की खबर के मुताबिक घटना में हत्या का मामला भी दर्ज किया गया है.
अल जजीरा के मुताबिक, नागालैंड में अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजी) संदीप एम ने कहा कि एसआईटी टीम को एक महीने के अंदर मामले की जांच करने के लिए कहा गया है.
नागालैंड में 13 आम नागरिकों की जान चली गई थी जब वे ओटिंग की यात्रा कर रहे थे. सुरक्षाबलों ने गलती से इन आम नागरिकों को निशाना बनाया था. इसमें चौदह अन्य गंभीर रूप से घायल भी हो गए थे.
दरअसल इस घटना के बाद रविवार, 5 दिसंबर को हिंसा शुरू हो गई, जब सैकड़ों नागरिकों ने मोन जिले में असम राइफल्स के शिविर में तोड़फोड़ की. इस हिंसा में विरोध करने वाले एक नागरिक की मौत हो गई.
नतीजा ये हुआ कि नगालैंड प्रशासन ने तनाव के चलते में मोन शहर में सीआरपीसी की धारा 144 लागू कर दिया. सरकार ने कथित तौर पर पूरे जिले में मोबाइल इंटरनेट और एसएमएस सेवाओं पर भी प्रतिबंध लगा दिया है.
नगा छात्र संघ ने छह घंटे 'बंद' का आह्वान किया
इस बीच नगा स्टूडेंट्स फेडरेशन (NSF) ने हत्याओं के मद्देनजर उन इलाकों में बंद का आह्वान किया, जहां नगा लोग अधिक मात्रा में बसे हुए हैं. यह बंद सोमवार को सुबह छह बजे से दोपहर 12 बजे तक प्रभावी रहेगा.
साथ ही इसके अध्यक्ष केगवेहुन टेप और महासचिव सुपुनी एन फिलो द्वारा जारी किया गया कि अगले पांच दिनों तक कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाएगा. NSF ने नागरिकों से हॉर्नबिल उत्सव में भाग न लेने का भी आग्रह किया है.
आम नागरिकों पर सुरक्षाबलों द्वारा अंधाधुंन गोलीबारी नागा मातृभूमि पर अभूतपूर्व नहीं है. भारत सरकार सैन्य साधनों के माध्यम से वैध लोगों के आंदोलन को दबाने की कोशिश कर रही है.NSF का बयान
संघ ने मामले में अधिकारियों से क्या अपील की?
संघ की अपील है-
हमले की जांच के लिए जो समिति बने वो अदालत की निगरानी में स्थापित हो
जहां भी नागा बसे हुए हैं उन क्षेत्रों से सशस्त्र बल अधिनियम को निरस्त करें, जिसे उन्होंने नागा लोगों के खिलाफ "मनोवैज्ञानिक युद्ध" करार दिया है
नागालैंड विधानसभा की विशेष सभा बुलाएं
हमले से प्रभावित सभी लोगों को उचित मुआवजे की घोषणा करें
रविवार को हुए हमले में सेना ने बताया कि आम नागरिकों को गलती से निशाना बनाया गया वहीं स्थानीय लोगों का कहना है कि गोलियों की आवाज सुनने के बाद कई ग्रामीण मौके पर पहुंचे और सशस्त्र बलों द्वारा कई शवों को छिपाने की कोशिश करते देखा गया था.
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