अहमदाबाद की एक विशेष अदालत ने गुजरात (Gujarat) के नरोदा गाम (Naroda Gam Massacre Case) में हुए सांप्रदायिक दंगों मामले में गुरुवार, 20 अप्रैल को फैसला सुनाया है. SIT मामलों के विशेष जज एस के बक्शी की कोर्ट ने पूर्व मंत्री और बीजेपी नेता माया कोडनानी और बजरंग दल के बाबू बजरंगी सहित 68 आरोपियों को बरी कर दिया है.
NDTV की रिपोर्ट के अनुसार फैसले के बाद पीड़ित पक्ष के वकील समशाद पठान ने कहा कि वो बरी किए जाने के फैसले को गुजरात हाई कोर्ट में चुनौती देंगे.
यह फैसला सिर्फ पीड़ितों के खिलाफ नहीं है, बल्कि SIT के खिलाफ है, जिसने अपना काम ठीक से किया और 86 आरोपियों को आरोपित किया. यह फैसला सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ है. पीड़ितों को न्याय मिलेगा भले ही 20 साल से अधिक बीत गए हों.समशाद पठान, पीड़ित पक्ष के वकील
वहीं, फैसला आने के बाद राजनीतिक दलों ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी. कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. शमा मोहम्मद ने ट्वीट कर लिखा, "नरोडा गाम नरसंहार मामले में सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया है. बहुत जल्द, हम यह भी सुनेंगे कि कोई जनसंहार नहीं हुआ था! नरेंद्र मोदी के अमृत काल में संशोधनवादी इतिहास!"
कांग्रेस विधायक जिग्नेश मेवाणी ने कहा, "इंसाफ का तराजू जिनके खिलाफ हत्या, नर संहार और सामूहिक बलात्कार के आरोप थे, वैसे 66 अभियुक्त आज नरोडा पाटिया हत्याकांड केस में बरी हो गए. दूसरी तरफ, राहुल गांधी की सजा बरकरार. जय जय गरवी गुजरात. भारत माता की जय! मेवाणी के इस ट्वीट को कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी ने री-ट्वीट किया.
क्या है मामला?
दरअसल, 2002 में हुए इन दंगों में 11 लोगों की मौत हुई थी. इसके बाद पुलिस ने जांच के आधार पर गुजरात की पूर्व मंत्री और बीजेपी नेता माया कोडनानी व बजरंग दल के नेता बाबू बजरंगी समेत 86 लोगों को आरोपी बनाया था. इन 86 आरोपियों में से 18 की पहले ही मौत हो चुकी है. मामले में 21 साल बाद फैसला आया है.
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