कोरोना वायरस महमारी के इस दौर में पूरा देश ऑनलाइन मोड में हैं. इसका बड़ा असर शिक्षा पर पढ़ा है, लॉकडाउन के बाद अचानक ही छात्रों और शिक्षकों को ऑनलाइन एजुकेशन का रास्ता अपनाना पड़ा. लेकिन क्या अपना देश और इंफ्रास्ट्रक्चर ऑनलाइन एजुकेशन के लिए तैयार हैं. कई रिपोर्ट में इसको लेकर गहरी चिंता जताई जा चुकी है. अब NCERT का सर्वे सामने आया है, जिसमें कहा गया है कि हर तीन में से एक छात्र को ऑनलाइन क्लासेज में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, खासकर ये दिक्कतें खराब इंटरनेट कनेक्टिविटी, इलेक्ट्रिक सप्लाई में दिक्कत और डिवाइसेज जैसे मोबाइल-लैपटॉप के न होने के कारण आ रही हैं. स्टूडेंट्स का मानना ये भी है कि सांइस और गणित ऑनलाइन मोड में सबसे कठिन विषय हैं. NCERT के इस सर्वे में एजुकेशन मिनिस्ट्री के द्वारा संचालित केंद्रीय विद्यालयों, जवाहर नवोदय विद्यालयों और सीबीएसई के स्कूलों में छात्रों और शिक्षकों में शामिल हुए थे. इंडियन एक्सप्रेस ने इस सर्वे पर एक रिपोर्ट की है, उसकी अहम बाते हैं-
- इन स्कूलों के 27 फीसदी छात्रों के पास फोन-लैपटॉप की सुविधा नहीं है
- जिनके पास सुविधाएं हैं, उनका मानना है कि ऑनलाइन क्लास ज्यादातर “जॉयफुल” या “संतोषजनक” होती हैं.
- ऑनलाइन क्लास 33 फीसदी स्टूडेंट्स को कठिन या बोझिल लगती है.
- 84 फीसदी स्टूडेंट्स स्मार्टफोन के भरोसे ही ऑनलाइन क्लास अटेंड करते हैं.
- लैपटॉप का इस्तमाल करने वाले सिर्फ 17 फीसदी स्टूडेंट ही हैं
- 28 फीसदी लोगों का कहना है कि, स्लो इंटरनेट और बिजली की समस्याएं सबसे बड़ी दिक्कत है.
- सर्वे में आगे स्टूडेंट्स की सभी तरह की समस्याएं भी हैं. स्टूडेंट्स के मुताबिक,
- गणित समझने में सबसे ज्यादा दिक्कत आ रही है. गणित के सूत्रों के समझने के लिए इंटरएक्शन जरूरी है, लेकिन ऑनलाइन क्लास में ये संभव नहीं है.
- साइंस में प्रैक्टिकल क्लास और लैब जरूरी हैं, लेकिन अब वो भी संभव नहीं है. इससे सांइस के कुछ चैप्टरों में भी स्टूडेंट्स को खासी दिक्कत आ रही है.
- सर्वे का मुख्य उद्देश्य स्टूडेंट्स की समस्याएं और ऑनलाइन क्लासों के कारण जो गैप बन रहा है उससे समझना था. बिना फोन और लैपटॉप के जो स्टूडेंट्स हैं उनके पास पर्याप्त किताबें है या नहीं शिक्षकों को ध्यान देना होगा.
- साथ ही सभी स्टूडेंट्स को ज्यादा से ज्यादा किताबें , पजल, क्विज, वर्कशीट, आर्ट जैसी एक्टिविटी पर समय बिताने के लिए बी कहा गया है. सितंबर में स्कूल वापस खोलने की तैयारी चल रही है.
आंकड़ों का आईना
UNESCO के आंकड़ों के मुताबिक, देशभर में COVID-19 के कारण लॉकडाउन का असर कुल 32 करोड़ छात्रों पर पड़ा है. ये छात्र प्री-प्राइमरी से लेकर ग्रेजुएशन-पीजी तक के छात्र हैं. वहीं दुनियाभर की बात करें तो 191 देशों में स्कूलों के बंद होने से करीब 150 करोड़ छात्र और 6.3 करोड़ प्राइमरी और सेकेंडरी टीचर प्रभावित हुए हैं.
वहीं कुछ महीने पहले आई Quacquarelli Symonds (QS) की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत का इंटरनेट इंफ्रास्ट्रक्चर अभी ऑनलाइन लर्निंग पर शिफ्ट होने के लिए तैयार नहीं है. QS दुनियाभर के विश्वविद्यालयों की रैंकिंग तैयार करता है. "COVID-19: A wake up call for telecom service providers" नाम की ये रिपोर्ट QS के एक सर्वे पर आधारित है. रिपोर्ट में कनेक्टिविटी और सिग्नल की दिक्कतों पर बात की गई है. बताया गया है कि ऑनलाइन क्लासेज के दौरान छात्र इन दिक्कतों का सबसे ज्यादा सामना करते हैं.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)