अभी हाल ही में राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) ने 2021 के आंकड़ें जारी किए हैं. क्राइम इन इंडिया 2021 नाम से जारी रिपोर्ट के मुताबिक 2021 में आपराधिक घटनाओं में 7.6% की कमी आई. लेकिन हत्या, अपहरण, महिलाओं, बच्चों के खिलाफ अपराध बढ़ा है. महिलाओं के खिलाफ अपराध में 2020 की तुलना में 15.3 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. ये तो हुई देशभर की बात लेकिन अपराध को लेकर उत्तर प्रदेश और बिहार लगातार सवालों के घेरे में रहे हैं, ऐसे में आइए जानते हैं कि NCRB के ताजे आंकड़े बिहार और उत्तर प्रदेश की कैसी तस्वीर दिखा रहे हैं.
इस लेख में किन मुद्दों पर रहेगा फोकस?
दोनों राज्यों में क्राइम का हाल
उत्तर प्रदेश और बिहार में महिलाओं के खिलाफ अपराध की स्थिति
दलित और आदिवासी यानी SC-ST समुदाय के खिलाफ अपराध की घटनाएं
उत्तर प्रदेश-बिहार में क्राइम
देशभर में सबसे ज्यादा हत्या के मामले उत्तर प्रदेश में दर्ज हुए हैं. आंकड़ों के अनुसार, 2021 में भारत में हत्या के 29,272 मामले दर्ज किए गए हैं. जिसमें सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश में 3,717 हत्या के मामले दर्ज किए गए. हालांकि, 2020 के मुकाबले उत्तर प्रदेश में हत्या के मामलों में करीब 1.6% की कमी आई है.
वहीं उत्तर प्रदेश के बाद हत्या के मामले बिहार में दर्ज किए गए हैं. बिहार में साल 2021 में 2799 हत्या के मामले सामने आए हैं.
अगर भारतीय दंड संहिता (IPC) के तहत दर्ज अपराध की बात करें तो ओवरआल दर्ज मामलों में उत्तर प्रदेश दूसरे और बिहार सातवें नंबर पर है. इसमें सबसे पहले नंबर पर महाराष्ट्र है. महाराष्ट्र में 3.67 लाख मामले दर्ज हुए थे, वहीं दूसरे नंबर पर यूपी है, जहां 3.57 लाख, तमिलनाडु 3.22 लाख और बिहार में 1.86 लाख क्राइम से जुड़े मामले दर्ज किए गए हैं.
हालांकि उत्तर प्रदेश सरकार अपराध की दर को लेकर अपनी पीठ थपथपाती नजर आ रही है. यूपी सरकार के मुताबिक अपराध की दर के मामले में उत्तर प्रदेश 23वें स्थान पर है.
जमीन विवाद झगड़े में बिहार नंबर वन
रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2021 में देश भर में जमीन विवाद के कारण झगड़े-फसाद के कुल 8848 मामले दर्ज किए गए, जिनमें बिहार टॉप पर रहा. बिहार में जमीन विवाद से जुड़े 3336 मामले दर्ज हुए. महाराष्ट्र 1259 मामलों के साथ दूसरे और 1227 मामलों के साथ कनार्टक तीसरे नंबर पर रहा. बिहार में 635 हत्याएं संपत्ति या जमीन विवाद में हुईं हैं. बिहार में 2021 में भूमि विवाद को लेकर कुल 815 लोगों की मौत हुई थी.
बिहार और यूपी से जुड़े कुछ और क्राइम के आंकड़े
पुलिस और सरकारी अधिकारियों पर हमले के मामले में भी बिहार सबसे ऊपर है, और 150 मामले दर्ज किए गए हैं.
हत्या के प्रयास से जुड़े मामलों में 8,393 मामलों के साथ बिहार पश्चिम बंगाल के बाद दूसरे स्थान पर है.
आंकड़ों के अनुसार, बिहार में फिरौती के लिए या शादी के लिए मजबूर करने के लिए महिलाओं के अपहरण के 6,589 मामले दर्ज किए गए, जबकि यूपी 8,599 मामलों के साथ लिस्ट में सबसे ऊपर है.
एटीएम से जुड़े धोखाधड़ी के मामलों में 557 केस के साथ बिहार लिस्ट में दूसरे नंबर पर है वहीं इस मामले में राजस्थान 741 मामलों के साथ सबसे ऊपर है.
साल 2021 में बिहार में भीड़ हिंसा, लूटपाट के सबसे ज्यादा 9,422 मामले सामने आए. महाराष्ट्र में 9,157 और उत्तर प्रदेश में 6,126 केस दर्ज किए गए.
महिलाओं के खिलाफ अपराध
NCRB की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2021 के दौरान महिलाओं के खिलाफ अपराध के कुल 4,28,278 मामले दर्ज किए गए, जो 2020 (3,71,503 मामले) की तुलना में 15.3 प्रतिशत ज्यादा है. वहीं अगर उत्तर प्रदेश की बात करें तो यहां महिलाओं ने 2021 में देश में सबसे अधिक अपराधों का सामना किया है.
NCRB के आंकड़ों के मुताबिक साल 2021 में उत्तर प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ 56083 मामले सामने आए हैं. जोकि दूसरे राज्यों की तुलना में सबसे ज्यादा हैं. साल 2020 में 49385 केस दर्ज हुए थे, वहीं 2019 में 59853 मामले दर्ज हुए थे. यानी 2019 के मुकाबले 2021 में मामले कम जरूर हुए हैं, लेकिन 2020 के मुकाबले 2021 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के केस बढ़े हैं.
रेप केस में उत्तर प्रदेश तीसरे नंबर पर
अगर रेप की बात करें तो साल 2021 में पूरे भारत में बलात्कार के कुल 31,677 मामले दर्ज किए गए. जिसमें सबसे ज्यादा राजस्थान (6,337), उसके बाद मध्य प्रदेश (2,947) और तीसरे नंबर पर उत्तर प्रदेश (2,845) में केस दर्ज किए गए हैं.
वहीं साल 2021 में बिहार में रेप से जुड़े 786 मामले दर्ज हुए थे और बिहार इस लिस्ट में 13 वें स्थान पर है.
दहेज हत्या में उत्तर प्रदेश सबसे ऊपर
दहेज हत्या में उत्तर प्रदेश पहले नंबर पर है. यहां 2222 महिलाओं को दहेज के लिए मार दिया गया. इस मामले में बिहार दूसरे नंबर पर है. बिहार में दहेज की वजह से 1000 महिलाओं की हत्या कर दी गई.
दलितों के खिलाफ अपराध
अनुसूचित जातियों के खिलाफ दर्ज अपराधों में उत्तर प्रदेश सबसे ऊपर है, जहां हर रोज औसतन 36 मामले दर्ज किए गए. उत्तर प्रदेश में दलितों के खिलाफ अपराध के 13146 मामले दर्ज किए गए हैं. साल 2020 में 12714 और साल 2019 में 11829 मामले दर्ज हुए थे. वहीं साल 2021 में बिहार में दलितों पर अत्याचार के 5,842 केस दर्ज हुए थे. जहां यूपी में दलितों के खिलाफ अपराध के मामले बढ़े हैं वहीं बिहार में इसमें कमी देखने को मिली है.
दलितों के खिलाफ अपराध में यूपी पहले नंबर पर है, राजस्थान दूसरे, मध्यप्रदेश तीरे और बिहार चौथे नंबर पर है.
हालांकि इन सभी आंकड़ो के बीच उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार अपनी कामयाबी बता रही है. उत्तर प्रदेश सरकार के मुताबिक जहां देश भर में सांप्रदायिक हिंसा के 378 मामले दर्ज किए गए, वहीं उत्तर प्रदेश में सिर्फ एक मामला सामने आया है. वहीं, महाराष्ट्र में 100, झारखंड में 77, बिहार में 51 और हरियाणा में 40 मामले दर्ज हुए.
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