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"आप ग्रेस मार्क्स कैसे दे सकते हैं?" NEET के छात्रों और याचिकाकर्ता ने क्या कहा?

Supreme Court ने NEET-UG 2024 परीक्षा में ग्रेस नंबर पाने वाले छात्रों की ग्रेस मार्किंग को रद्द कर दिया है.

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भारत
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"मैंने तीसरी बार NEET की परीक्षा दी है, और ये पूरी तरह से गलत हुआ है, टेलीग्राम पर पेपर लीक हो जाता है, एक ही सेंटर के बच्चों को नंबर दे दिए गए. अगर सबकी दोबारा परीक्षा होती तो अच्छा होता."

ये कहना है वाराणसी की रहने वाली स्नेहा का, जिन्होंने क्विंट हिंदी से बातचीत में बताया कि वो ऑनलाइन ही नीट की तैयारी कर रही हैं.

दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने नीट परीक्षा में ग्रेस नंबर पाने वाले बच्चों के ग्रेस नंबर को रद्द कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि अब या तो वे बिना ग्रेस के नंबरों को ही अपने फाइनल नंबर माने या दोबारा परीक्षा दें. हालांकि सभी के पास दोबारा परीक्षा देने का विकल्प नहीं है ये केवल 1563 के पास ही विकल्प है जिन्हें ग्रेस मार्किंग मिली है.
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"आप मेडिकल की परीक्षा में ग्रेस मार्क्स कैसे दे सकते हैं?"

स्नेहा ने आगे कहा, "टाइम के आधार पर ग्रेस मार्क मिलना पूरी तरह से गलत है. हां, कोर्ट ने ये अच्छा किया कि ग्रेस मार्क रद्द कर दिया, लेकिन अगर वापस से नीट परीक्षा होती तभी ये मैटर पूरी तरह से सही हो सकता था."

दिल्ली में रहने वाले एक अन्य नीट के छात्र ने नाम न बताने की शर्त पर क्विंट हिंदी से बातचीत में कहा, "कई सारी समस्याएं हैं, पहली बात तो आप मेडिकल की परीक्षा में ग्रेस मार्क्स कैसे दे सकते हैं? फिर पेपर लीक के आरोप, हमने ये भी सुना है कि किसी छात्र के बदले कोई और उसकी जगह परीक्षा में बैठा है, किसी सेंटर में घड़ी नहीं लगी थी और आप खुद घड़ी सेंटर में नहीं ले जा सकते. तो बहुत परेशानी है और एनटीए इसके लिए जिम्मेदार है और एनटीए को ही सावधानी बरतनी होगी."

इसके अलावा क्विंट हिंदी ने और भी छात्रों को संपर्क किया जिन्होंने एक ही सुर में एनटीए की व्यवस्था पर संशय जताया.

उनका कहना है कि पेपर लीक हुआ या नहीं, धांधली हुई या नहीं लेकिन अगर सवाल उठ रहे हैं तो हमें आशंका तो होगी. छात्रों का कहना है कि वे इन परीक्षा के लिए बहुत मेहनत करते हैं, कई छात्र दोबारा तो कई तीसरी बार परीक्षा में बैठे थे.

"ये पहली बार है जब किसी परीक्षा में इतनी सारी समस्याएं आई हैं"

नीट की परीक्षा करवाने वाली एजेंसी एनटीए ने कोर्ट को बताया कि 1563 में से जिन बच्चों को दोबारा परीक्षा देनी है उनकी परीक्षा 23 जून को ली जाएगी और 30 जून को नतीजे जारी किए जाएंगे. इसके बाद 6 जुलाई से कॉलेज के लिए काउंसलिंग शुरू होगी.

तीन याचिकाकर्ताओं में से एक SIO (स्टूडेंट इस्लामिक ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इंडिया) के राष्ट्रीय सचिव अब्दुल्ला मोहम्मद फैज और डॉ शेख रोशन मोहिद्दीन ने इसमें कथित पेपर लीक और अन्य गड़बड़ियों के चलते नीट-यूजी 2024 के नतीजों को वापस लेने और नए सिरे से परीक्षा आयोजित करने की मांग की थी.

क्विंट हिंदी ने डॉ शेख रोशन मोहिद्दीन से संपर्क किया, उन्होंने कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा,

"हम कोर्ट के फैसले से पूरी तरह खुश नहीं है. हम तो चाह रहे थे कि नए सिरे से परीक्षा हो. होना ये चाहिए था कि एक पोर्टल खोला जाना चाहिए, जिससे सभी बच्चें ईमेल के जरिए एनटीए को बता सकें कि उनका भी समय खराब हुआ. SIO (हमने) ने एक सर्वे भी कराया उसमें कई सारे बच्चों ने कहा कि उनका समय भी बिगड़ा था लेकिन उन्हें कोई अलग से मार्किंग नहीं दी गई है. क्लैट की परीक्षा को लेकर उठी समस्या में ऐसा ही हुआ था. जिन बच्चों का समय बिगड़ा था फिर बाद में उन्हें ग्रेस मार्किंग दी गई. वे एक प्रोसेस के जरिए आगे बढ़े. लेकिन यहां सब मनमाने तरीके से हुआ है."

इसके साथ ही उन्होंने कहा, "दरअसल बच्चों का इस सिस्टम से विश्वास ही उठ गया है. उन्हें अभी भी लगता है कि स्कैम हुआ है. पार्दर्शिता की भारी कमी है. जो बच्चे दोबारा परीक्षा दे रहे हैं ऐसे में जो परीक्षा नहीं दे पाएंगे उनका मानना है कि हो सकता है उन बच्चों का पेपर आसान हो. बच्चों के बराबरी के अधिकार का यहां उल्लंघन होता है. इसके अलावा पेपर लीक और भी कई गड़बड़ियां हुई है, जिसपर कोर्ट ने 8 जुलाई को सुनवाई के लिए कहा है."

डॉ रोशन ने क्विंट हिंदी से कहा, "ये पहली बार हो रहा है कि किसी परीक्षा में इतनी सारी समस्याएं आ रही हैं. इतनी तो पहले किसी परीक्षा में नहीं हुई."

"परेशानी ये है कि परीक्षाओं में गड़बड़ियां हो जाती हैं, व्यवस्था खराब होती है. इस सब में अधिकतर बच्चों को पता ही नहीं है कि करना क्या है. उन्हें नहीं पता कोर्ट में अपील कर सकते हैं. अगर पता है तो ये नहीं पता प्रोसेस क्या है. सच तो ये भी है कि कई बच्चों को परीक्षा को लेकर भी सारे नियम नहीं मालूम होते हैं. लेकिन इसमें बच्चों का ही नुकसान होता है. कई बच्चों का मानसिक रूप से भी नुकसान होता है. एनटीए इसके लिए जिम्मेदार है."
याचिकाकर्ता SIO के राष्ट्रीय सचिव डॉ शेख रोशन मोहिद्दीन
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NEET के रिजल्ट पर बवाल कैसे शुरू हुआ?

NTA ने 4 जून को NEET-UG का रिजल्ट जारी किया था इसमें कुल 67 अभ्यर्थियों ने 720 में 720 अंक हासिल किए. यानी ये सभी टॉपर घोषित हुए. सवाल इसलिए उठे क्योंकि 2019 के बाद से, NEET UG के किसी भी साल में तीन से ज्यादा टॉपर नहीं हुए.

वहीं ये टॉपर इसलिए बने क्योंकि इन सभी को ग्रेस मार्क दिए गए. ग्रेस मार्किंग इसलिए हुई क्योंकि उन्होंने गलत जवाब दिए थे लेकिन उनका कहना है कि कक्षा 12 की पुरानी NCERT साइंस की किताब में भी वही जवाब है.

इसके अलावा एक ही सेंटर के आठ छात्रों को 720 में से 720 अंक मिले, इसपर भी सवाल उठे. यानी 8 टॉपर एक ही सेंटर के हैं. कुछ अभ्यर्थियों को 718 और 719 नंबर भी मिले हैं. छात्रों का इसपर सवाल हैं कि जब सही जवाब पर 4 नंबर मिलते हैं और गलत जवाब देने पर एक नंबर काट लिया जाता है, तो किसी भी हालत में किसी को 718 या 719 मार्क्स नहीं आ सकते क्योंकि यह गणित के हिसाब से संभव ही नहीं है.

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