कोरोना जैसी महामारी के बीच भारत का पड़ोसी देश नेपाल लगातार बयानबाजी कर रहा है. हर दूसरे दिन नेपाल की तरफ से भारत के खिलाफ कोई न कोई बयान जारी होता है. अब एक बार फिर नेपाल के रक्षामंत्री ईश्वर पोखरेल ने भारतीय सेना प्रमुख के बयान का जवाब दिया है. सेना प्रमुख नरवणे ने चीन की ओर इशारा करते हुए कहा था कि नेपाल किसी और के इशारों पर लिपुलेख मार्ग का विरोध कर रहा है.
आर्मी चीफ नरवणे के इस बयान पर नेपाल के रक्षामंत्री ने कहा कि ये उनके देश के इतिहास का अपमान है. उन्होंने भारतीय सेना प्रमुख पर राजनीतिक बयानबाजी का भी आरोप लगाया. पोखरेल ने ये बयान नेपाली अखबार को दिए एक इंटरव्यू के दौरान दिया.
क्या है लिपुलेख विवाद?
दरअसल भारत ने हाल में लिपुलेख दर्रे को जोड़ने वाली एक लिंक रोड का उद्घाटन किया था. 17 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित लगभग 80 किलोमीटर लंबी यह लिंक रोड, तिब्बत में कैलाश मानसरोवर की यात्रा को कम करने के लिए बनाई जा रही है. यहां के कुछ हिस्से पर नेपाल और भारत का सीमा विवाद है. इसीलिएनेपाल ने इस पर अपना विरोध जताया. नेपाल के विदेश मंत्री ने इसे लेकर कहा था, 'ये एकतरफा कार्रवाई है. यह हमारी आपसी समझ के खिलाफ है. सीमा संबंधी विवाद बातचीत के जरिए ही सुलझाए जाते रहे हैं.'
नेपाल के इस बयान पर भारतीय विदेश मंत्रालय की तरफ से जवाब भी दिया गया था. वहीं सेना प्रमुख एमएम नरवणे ने भी नेपाल को लेकर बयान दिया.
नेपाल की भारत के खिलाफ बयानबाजी
नेपाल पिछले कई दिनों से भारत को किसी न किसी मुद्दे को लेकर घरने की कोशिश कर रहा है. इससे ठीक पहले नेपाल की प्रधानमंत्री केपी शर्मा ने एक विवादित बयान देते हुए कहा था कि, भारत से आने वाले लोग नेपाल में कोरोना फैला रहे हैं. उन्होंने कहा कि भारत से आने वाले लोग बिना अपनी जांच कराए आ रहे हैं. जिससे कोरोना फैल रहा है.
इससे पहले भी नेपाल के पीएम ने एक ऐसा ही बयान दिया था. जिसमें उन्होंने भारत से फैले वायरस को चीन से फैले वायरस से भी ज्यादा खतरनाक बताया था.
सिर्फ इतना ही नहीं इसी महीने नेपाल कैबिनेट ने एक पॉलिटिकल मैप को मंजूरी दी थी. जिसमें उसने कुछ भारतीय इलाकों को अपना बताया. इस नक्शे में लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा को नेपाल के क्षेत्र में दिखाया गया था.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)