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फैसले पंसद न आने पर जजों को बदनाम करना नया चलन - CJI एनवी रमना

चीफ जस्टिस ने कहा कि पहले निजी पार्टियां जजों के खिलाफ ऐसा करती थीं. अब हम इसे हर दिन देखते हैं.

Published
भारत
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सुप्रीम कोर्ट(Supreme court) ने शुक्रवार को फैसले पंसद नहीं आने पर सरकारी जजों को बदनाम करने के चलन को 'दुर्भाग्यपूर्ण' करार दिया है. जस्टिस एनवी रमना(NV Ramana) की अध्यक्षता वाली पीठ ने छत्तीसगढ़ सरकार और एक कार्यकर्ता द्वारा दायर दो अलग-अलग अपीलों पर सुनवाई करते हुए एक पूर्व आईएएस अधिकारी के खिलाफ कथित तौर पर ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति अर्जित करने के लिए दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने के उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देते हुए यह टिप्पणी की.

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छत्तीत्तसगढ़ हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ राज्य सरकार की अपील पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस एनवी रमना ने कहा, आप जो भी लड़ाई लड़े, वह ठीक है.किन अदालतों को बदनाम करने की कोशिश मत करो. मैं इस अदालत में भी देख रहा हूं, यह एक नया चलन है.

रिपोर्ट के अनुसार इस पर छत्तीसगढ़ राज्य की ओर से पेश वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी ने कहा कि वे उस बिंदु पर बिल्कुल भी दबाव नहीं डाल रहे हैं

इस पर चीफ जस्टिस ने जोर देकर कहा कि पहली निजी पार्टियां जजों के खिलाफ ऐसा करती थीं. अब हम इसे हर दिन देखते हैं ... आप एक वरिष्ठ वकील हैं, आपने इसे हमसे ज्यादा देखा है. यह एक नया चलन है. सरकार ने जजों को बदनाम करना शुरू कर दिया है. यह दुर्भाग्यपूर्ण है.

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