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हाथरस केस- 5 दिन बाद FIR, 15 दिन बाद मौत, हैवानियत की पूरी कहानी

हाथरस केस में पुलिस के रवैये पर उठ रहे है गंभीर सवाल

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भारत
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उत्तर प्रदेश में एक तरफ जहां अपराधियों को ठोक देने और एनकाउंटर की बात होती है, वहीं दूसरी तरफ अपराध कम होने की बजाय लगातार बढ़ता जा रहा है. उत्तर प्रदेश के हाथरस में हुई वारदात के बाद कानून व्यवस्था की एक बार फिर पोल खुल गई. गैंगरेप और हैवानियत का शिकार हुई युवती करीब 15 दिन तक इंसाफ की मांग करती रही और आखिरकार उसकी मौत हो गई. रेप पीड़िता के मरने के बाद इस घटना पर सत्ता पक्ष से लेकर विपक्ष तक तमाम बयानबाजी होनी लगी. लेकिन पिछले 15 दिनों में क्या-क्या हुआ ये काफी कम लोग जानते हैं. हम आपको बताते हैं शुरू होने से लेकर अब तक की पूरी कहानी.

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दिल्ली से करीब 200 किमी दूर उत्तर प्रदेश के हाथरस में 14 सितंबर को एक 19 साल की युवती के साथ हैवानियत की घटना हुई. आरोप है कि चार युवकों ने मिलकर उससे मारपीट की और गैंगरेप किया. उसकी जीभ काट दी गई और हड्डियां तोड़ी गईं. लेकिन इस बार भी वही हुआ, जो देश में सैकड़ों मामलों में होता आया है. इस घटना पर कोई संज्ञान नहीं लिया गया.

कैसे दिया गया घटना को अंजाम

पहले आप ये जान लीजिए कि घटना को कैसे अंजाम दिया गया. रेप पीड़िता के भाई ने मीडिया को पूरी कहानी बताई. बताया गया कि, युवती और उसकी मां जब घास लेकर लौट रही थीं, तभी चार युवकों ने पीछे से युवती की चुन्नी खींच ली और उसे घसीटते हुए बाजरे के खेत की तरफ से गए. जहां युवती के साथ जमकर मारपीट की गई और गैंगरेप किया गया.

जब मां को पता लगा कि बेटी पीछे नहीं है तो वो खेतों की तरफ आगे बढ़ीं, आगे जाते ही उन्हें बेटी की चप्पल और कान के कुंडल नजर आए, जिसके बाद मां चिल्लाने लगी, शोर सुनकर चारों आरोपी युवती को वहीं खेत में छोड़कर भाग गए. चारों आरोपियों का नाम संजीव, रवि, लवकुश और राजकुमार बताया गया है.

यूपी पुलिस की लापरवाही

घटना के तुरंत बाद युवती के परिवार ने पुलिस से इसकी शिकायत की. लेकिन पुलिस ने शुरुआत में इसे कोई भी केस मानने से ही इनकार कर दिया. परिवार का आरोप है कि पुलिस को मामला दर्ज करने में करीब 7 दिन लगे. इस दौरान परिवार ने कई बार पुलिस को बताया कि उनकी बेटी के साथ गैंगरेप हुआ है और उसकी हड्डियां तक तोड़ दी गईं हैं. लेकिन पुलिस ने मामला दर्ज करने से साफ इनकार कर दिया.

एनडीटीवी से बात करते हुए परिवार ने बताया कि, शुरुआत में सिर्फ मारपीट का मामला दर्ज किया, लेकिन बाद में करीब 5-7 दिन बाद अन्य सामाजिक लोगों के दबाव में आकर पुलिस ने गैंगरेप का केस दर्ज कर लिया. इसके बाद एक आरोपी को गिरफ्तार किया जाता तो दूसरे को छोड़ दिया जाता था.
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कई दिन बाद पुलिस ने गैंगरेप का किया खंडन

पुलिस ने गैंगरेप का मामला दर्ज करने के कई दिन बाद फिर सामने आकर इस बात का खंडन कर दिया कि युवती के साथ दुष्कर्म हुआ है. आईजी अलीगढ़ रेंज पीयूष मोर्डिया मीडिया के सामने आते हैं और कहते हैं कि मेडिकल जांच में इस तरह के किसी भी दुष्कर्म का तथ्य सामने नहीं आया है. सभी सैंपल आगरा फॉरेंसिक लैब में भेजे गए हैं. जिसकी रिपोर्ट भी जल्द आ जाएगी.

यानी अब तक 15 दिन बीत जाने के बाद भी यूपी पुलिस ये भी पता नहीं लगा पाई है कि बलात्कार हुआ था या फिर नहीं. जिससे यही साबित होता है कि इस मामले में यूपी पुलिस ने कहीं न कहीं लापरवाही दिखाई. जबकि युवती जब कुछ देर के लिए होश में आई थी तो उसने अपने साथ हुई हैवानियत की पूरी कहानी बताई थी.

सही इलाज मिलने में क्यों हुई देरी

अब दूसरा सवाल ये उठता है कि युवती की हालत जब इतनी नाजुक थी और कई घंटों तक वो बेहोश पड़ी रही तो उसे अच्छे हॉस्पिटल में क्यों भर्ती नहीं कराया गया. पीड़िता की हड्डियां तोड़ दी गईं थीं और उसे कई चोटें आईं थीं, ऐसे में 11 दिनों तक उसे हाथरस के ही जेएन मेडिकल कॉलेज में रखा गया.

लेकिन लगातार हालत बिगड़ते हुए देखकर जन प्रतिनिधियों और समाज के अन्य लोगों ने युवती को दिल्ली के एम्स में भर्ती करने की मांग की. परिवार भी यही चाहता था कि एम्स में बेटी का इलाज हो और किसी तरह उसकी जान बच जाए, लेकिन युवती को एम्स की बजाय दिल्ली के सफदरजंग हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया. जहां एक ही दिन बाद उसकी मौत हो गई.

स्नैपशॉट
  • 14 सितंबर को युवती के साथ सामूहिक बलात्कार और मारपीट
  • घटना के पांच दिन बाद 19 सितंबर को बलात्कार का मामला दर्ज किया गया
  • एससी-एसटी, 307 और 354 के तहत दर्ज किया गया था मामला
  • फास्ट ट्रैक कोर्ट में होगी सुनवाई, सीएम योगी ने सख्त कार्रवाई की कही बात
  • राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने यूपी पुलिस कमिश्नर को नोटिस जारी किया
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देशभर में चारों तरफ से गुस्सा

करीब 13 दिन बाद जब ये घटना सामने आई और मीडिया ने इसे दिखाना शुरू किया तो देशभर से गुस्सा देखने को मिला. बॉलीवुड सेलिब्रिटीज से लेकर नेताओं तक सभी ने इस घटना को लेकर गुस्सा जताया और दोषियों को सख्त सजा देने की मांग की. बॉलीवुड एक्टर अक्षय कुमार ने इस घटना को लेकर अपना गुस्सा जताते हुए कहा कि आखिर ये सब कब बंद होगा? उन्होंने ट्विटर पर लिखा,

“हाथरस में हैवानियत भरे गैंगरेप को लेकर गुस्सा और फ्रस्ट्रेट हूं. आखिर ये कब बंद होगा? हमारे कानून और एजेंसियों को इसके लिए काफी सख्त होना चाहिए और ऐसी सख्त सजा होनी चाहिए, जिससे रेपिस्ट के मन में डर पैदा हो. दोषियों को फांसी दी जानी चाहिए. बेटियों और बहनों को बचाने के लिए अपनी आवाज उठाएं, कम से कम हम इतना तो कर ही सकते हैं.”

अक्षय कुमार के अलावा एक्टर कंगना रनौत, दिया मिर्जा, हुमा कुरैशी, फरहान अख्तर, रिचा चड्ढा, स्वरा भास्कर समेत कई बॉलीवुड सितारों ने इस घटना पर गुस्सा जाहिर किया.

कंगना रनौत ने अपने ट्वीट में दुष्कर्मियों को सार्वजनिक रूप से गोली मारने की बात कही.

अभिषेक बच्चन से लेकर विराट कोहली और सुरेश रैना तक इस मामले में गुस्सा जता रहे हैं

देवदत्त पटनायक ने ट्वीट कर कहा, “एक राजपूत स्टार ड्रग का सेवन करता है और आत्महत्या कर लेता है. वे इसे हत्या का नाम देते हैं. एक वाल्मीकि लड़की के साथ बर्बरता की जाती है, उसकी जीभ काट दी जाती है. वे कहेंगे कि यह आत्महत्या है। हिंदुत्व फैक्ट्स की भी अपनी ही एक कहानी है. हिंदुत्व अद्वैत कहता है कि सभी प्रकार के विभेद माया हैं. हर कोई एक-सा है.”

कांग्रेस नेता और सांसद राहुल गांधी ने भी इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया और सरकार पर जमकर हमला बोला. "UP के ‘वर्ग-विशेष’ जंगलराज ने एक और युवती को मार डाला. सरकार ने कहा कि ये फेक न्यूज है और पीड़िता को मरने के लिए छोड़ दिया. ना तो ये दुर्भाग्यपूर्ण घटना फेक थी, ना ही पीड़िता की मौत और ना ही सरकार की बेरहमी." तमाम विपक्षी दलों के नेताओं और अन्य लोगों ने सोशल मीडिया पर इस घटना को लेकर ट्वीट किए.

विप्रो के चेयरमैन रिशद प्रेमजी ने कहा कि इंसाफ तब तक नहीं मिलेगा जब जिनके सा नाइंसाफी नहीं हुई वो न खड़े हो जाएं.

देशभर से लगातार बन रहे दबाव और आलोचनाओं के बाद आखिरकार यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने इस मामले पर अपनी चुप्पी तोड़ी. उन्होंने बताया कि पीएम मोदी ने इस घटना को लेकर उनसे बात की है. साथ ही बताया कि जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया है जो 7 दिन में रिपोर्ट सौंपेगी.
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युवती की मौत के बाद क्या हुआ?

अब गैंगरेप के करीब 15 दिनों बाद जब पीड़िता ने दिल्ली के हॉस्पिटल में दम तोड़ दिया तो पुलिस ने परिवार को शव सौंपने से साफ इनकार कर दिया. इसी बीच तमाम विपक्षी दलों के प्रतिनिधि भी वहां पहुंचे और परिवार को इंसाफ दिलाने की मांग की. परिवार हॉस्पिटल में ही धरने पर बैठ गया, उनकी मांग थी कि उन्हें सुरक्षा और न्याय दिया जाए. हाथरस के एसडीएम मौके पर पहुंचे और उन्होंने परिवार को आश्वासन दिया.

दिल्ली पुलिस की तरफ से बाद में बताया गया कि परिवार धरने पर नहीं बैठा था, बल्कि बाकी दलों के लोग हालात को हाईजैक करने में जुटे थे और डीएम से बातचीत के बाद परिवार वहां से चला गया था.

पुलिस ने आधी रात को कर दिया अंतिम संस्कार

लेकिन इसके बाद यूपी पुलिस ने जो किया, उससे एक बार फिर लोगों का गुस्सा बढ़ गया. यूपी पुलिस ने युवती के शव को आधी रात करीब ढाई बजे एक सुनसान जगह ले जाकर जला दिया. परिवार की तरफ से आरोप लगाया गया कि उन्हें कमरे में बंद कर दिया गया था, वहीं कुछ ग्रामीणों ने एंबुलेंस रोककर इसका विरोध किया, लेकिन उन्हें भी पुलिस ने हटा दिया.

घटना की सूचना मिलते ही मीडिया मौके पर पहुंची, लेकिन वहां मौजूद पुलिसकर्मियों ने कुछ भी बताने से साफ इनकार कर दिया. परिवार को बेटी को आखिरी बार देखने का मौका तक नहीं दिया गया और उन्हें अंत में सिर्फ बेटी की राख मिली. इस तरह से अंतिम संस्कार किए जाने के बाद एक बार फिर लोगों को गुस्सा भड़का और हाथरस में जमकर प्रदर्शन और तोड़फोड़ हुई. 30 सितंबर को पीएम ने सीएम योगी से इस बारे में बात की. जांच के लिए एक SIT का गठन किया गया.

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