ADVERTISEMENTREMOVE AD

सेंट्रल विस्टा को राहुल ने बताया आपराधिक बर्बादी, मंत्री का पलटवार

कोरोना महामारी के बीच सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को लेकर सरकार पर हमलावर है विपक्ष

Updated
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

केंद्रीय आवास और शहरी कार्य मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को लेकर कांग्रेस पर तीखा पलटवार किया है. पुरी ने शुक्रवार को इस मामले पर कई ट्वीट किए हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

केंद्रीय मंत्री ने कहा है, ''सेंट्रल विस्टा पर कांग्रेस की बातें अजीब हैं. सेंट्रल विस्टा की लागत कई सालों में लगभग 20000 करोड़ रुपये है. भारत सरकार ने टीकाकरण के लिए लगभग दो बार इतनी राशि आवंटित की है! इस साल भारत का स्वास्थ्य बजट 3 लाख करोड़ से ज्यादा था. हम अपनी प्राथमिकताएं जानते हैं.''

0

इसके अलावा उन्होंने कहा,''

  • ''अलग-अलग विभागों की ओर से सैकड़ों प्रोजेक्ट चलाए जा रहे हैं. कांग्रेसकाल के पॉलिसी पैरालिसिस की तरह गवर्नेंस रुकी नहीं है. सेंट्रल विस्टा एक और चालू परियोजना है. केवल कांग्रेस ही इसे लेकर एक धुन में है, और कोई नहीं है.''
  • ''कांग्रेस का पाखंड देखिए. कांग्रेस और उसके सहयोगी महाराष्ट्र में एक एमएलए हॉस्टल के पुनर्निर्माण और छत्तीसगढ़ में एक नया विधानसभा भवन बनाने में पैसे उड़ा रहे हैं. अगर यह ठीक है, तो सेंट्रल विस्टा के साथ क्या समस्या है?''
ADVERTISEMENTREMOVE AD

पुरी ने कहा, ''यूपीए के दौरान, कांग्रेस नेताओं ने एक नई संसद की जरूरत के बारे में लिखा था. 2012 में स्पीकर ने उसी के लिए शहरी विकास मंत्रालय को एक लेटर लिखा था.''

ADVERTISEMENTREMOVE AD

कोरोना महामारी के बीच सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को लेकर विपक्ष हमलावर

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने शुक्रवार को सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को लेकर कहा, ''सेंट्रल विस्टा एक आपराधिक बर्बादी है. लोगों की जिंदगियां केंद्र में रखिए - एक नया घर पाने के लिए अपना अंधा अहंकार नहीं!’’

सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट की घोषणा सितंबर 2019 में की गई थी. इसके तहत त्रिकोण के आकार वाले नए संसद भवन का निर्माण किया जाएगा जिसमें 900 से 1200 सांसदों के बैठने की व्यवस्था होगी. सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के हिस्से के तौर पर नया प्रधानमंत्री आवास भी बनना है.

राष्ट्रीय राजधानी में लॉकडाउन जारी रहने के बीच भी इस प्रोजेक्ट का काम जारी रहा है. सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत निर्माण के काम को ‘‘जरूरी सेवाओं’’ में शामिल किए जाने की विपक्ष जमकर आलोचना कर चुका है.

सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी ने कोरोना वायरस महामारी के बावजूद सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को जारी रखने की सरकार की योजना को ‘‘बेतुका’’ बताया है.

येचुरी ने प्रोजेक्ट के तहत बाकी भवनों के लिए केंद्र की ओर से जरूरी पर्यावरण मंजूरी देने संबंधी रिपोर्ट का जिक्र करते हुए मंजूरी के समय को लेकर सवाल किया है.

उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘‘यह बेतुका है. ऑक्सीजन और टीकों के लिए पैसे नहीं हैं जबकि हमारे भाई और बहन अस्पताल में बेड के लिए इंतजार करते करते दम तोड़ रहे हैं, लेकिन मोदी अपनी दंभी महत्वकांक्षा को पूरा करने के लिए जनता के पैसों की बर्बादी करेंगे. इस अपराध को बंद करिए.’’

तृणमूल कांग्रेस नेता डेरेक ओ ब्रायन कह चुके हैं कि इस प्रोजेक्ट पर खर्च होने वाले रुपये भारत के लोगों को टीका लगाने पर खर्च किए जाएं.

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी चीफ ममता बनर्जी केंद्र सरकार से कह चुकी हैं कि अगर संसद भवन की नई बिल्डिंग और स्टेच्यू बनाने के लिए 20 हजार करोड़ रुपये खर्च हो सकते हैं, तो लोगों को फ्री में कोरोना वैक्सीन देने के लिए फंड क्यों नहीं दिया जा रहा है?

सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को लेकर कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा था कि यह ऐसे ‘तानाशाह’ की गलत प्राथमिकताओं का विषय है जो अपना नाम इतिहास में दर्ज कराना चाहते हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

सुप्रीम कोर्ट ने किया मामले में दखल देने से इनकार

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को इस बात के मद्देनजर सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के मामले में दखल देने से इनकार कर दिया कि यह पहले से ही दिल्ली हाई कोर्ट में है. बार एंड बेंच की रिपोर्ट में इस बात की जानकारी दी गई है. हालांकि, उसने दिल्ली हाई कोर्ट से इस मामले पर जल्द सुनवाई के लिए विचार करने को कहा है.

बता दें कि दिल्ली हाई कोर्ट में मंगलवार को एक जनहित याचिका दायर कर COVID-19 महामारी के दौरान केंद्र सरकार को सेंट्रल विस्टा एवेन्यू पुनर्विकास प्रोजेक्ट की निर्माण गतिविधियां रोकने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था.

दिल्ली हाई कोर्ट में चीफ जस्टिस डीएन पटेल और जस्टिस जसमीत सिंह की बेंच के सामने केंद्र ने इस जनहित याचिका का विरोध किया. बेंच ने संक्षिप्त सुनवाई के बाद कहा कि पहले वो सुप्रीम कोर्ट के फैसले का अध्ययन करना चाहती है कि उसने प्रोजेक्ट को अनुमति देते हुए क्या फैसला दिया था. इस टिप्पणी के साथ अदालत ने मामले को स्थगित कर दिया और सुनवाई की अगली तारीख 17 मई तय कर दी.

अनुवादक के तौर पर काम करने वाली अन्या मल्होत्रा और इतिहासवेत्ता और डॉक्युमेंटरी फिल्म निर्माता सोहेल हाशमी ने याचिका दायर कर दावा किया है कि महामारी के दौरान अगर प्रोजेक्ट पर काम चलता रहा तो इसके ‘सुपर स्प्रेडर’ बनने की आशंका है. याचिका में कहा गया है कि इस प्रोजेक्ट के निर्माण को एक 'जरूरी गतिविधि' नहीं बताया जा सकता है.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×