न्यूजक्लिक (Newsclick) के संस्थापक पत्रकार प्रबीर पुरकायस्थ (Prabir Purkayastha) को आतंकवाद विरोधी कानून, गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत गिरफ्तार किया गया है. न्यूयॉर्क टाइम्स की जांच में आरोप लगाया गया था कि न्यूजक्लिक को चीनी प्रचार को बढ़ावा देने वाले नेटवर्क से पैसा मिला था.
न्यूज पोर्टल के एचआर हेड अमित चक्रवर्ती को भी गिरफ्तार किया गया है.
30 ठिकानों पर छापेमारी
इससे पहले दिन में, न्यूजक्लिक वेबसाइट से जुड़े पत्रकारों के घरों की तलाशी से राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया, विपक्ष ने नरेंद्र मोदी सरकार पर प्रेस की स्वतंत्रता को खत्म करने का आरोप लगाया.
दिल्ली पुलिस के एक बयान के मुताबिक, "37 पुरुष संदिग्धों से परिसर में पूछताछ की गई है, 9 महिला संदिग्धों से उनके रहने के स्थानों पर पूछताछ की गई है."
दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल द्वारा आज पोर्टल और उसके पत्रकारों से जुड़े तीस स्थानों की तलाशी ली गई. जिन पत्रकारों से पूछताछ हुई है उनमें पत्रकार उर्मिलेश, औनिंद्यो चक्रवर्ती, अभिसार शर्मा, परंजय गुहा ठाकुरता के साथ-साथ इतिहासकार सोहेल हाशमी भी शामिल थे.
इससे पहले पुलिस ने न्यूजक्लिक के कुछ पत्रकारों के लैपटॉप और मोबाइल फोन का डंप डेटा बरामद किया था. अधिकारियों ने बताया कि स्पेशल सेल ने नया मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है. स्पेशल सेल केंद्रीय एजेंसी से मिले इनपुट के आधार पर छापेमारी कर रही है.
वरिष्ठ पत्रकार अभिसार शर्मा ने एक्स पर लिखा था कि, "दिल्ली पुलिस मेरे घर पहुंची. मेरा लैपटॉप और फोन छीन लिया."
इस बीच, प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने न्यूजक्लिक पत्रकारों के घरों पर लगातार छापेमारी को लेकर चिंता व्यक्त की है. प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने एक्स प्लेटफॉर्म पर लिखा, "हम घटनाक्रम पर नजर रख रहे हैं और एक विस्तृत बयान जारी करेंगे."
न्यूयॉर्क टाइम्स की खबर के बाद शुरू हुआ विवाद
इस साल अगस्त में अमेरिकी अखबार द न्यूयॉर्क टाइम्स ने आरोप लगाया कि भारतीय समाचार पोर्टल न्यूजक्लिक चीनी प्रचार को बढ़ावा दे रहा है, और इसमें अमेरिकी करोड़पति नेविल रॉय सिंघम से जुड़े नेटवर्क द्वारा फंडेड संगठनों में से एक है.
भारत की एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग एजेंसी, प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने पहले भी कंपनी के धन के स्रोतों की जांच करते हुए उसके परिसरों पर छापेमारी की थी.
ED ने फरवरी 2021 में कथित मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में न्यूजक्लिक के परिसरों और उसके संपादकों के आवासों पर छापेमारी की और तलाशी और जब्ती अभियान चलाया था. कथित विदेशी फंडिंग से जुड़ा इसका मामला दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा द्वारा दर्ज एक एफआईआर पर आधारित है.
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