बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay HighCourt) द्वारा सुधा भारद्वाज को दी गई जमानत के खिलाफ नेशनल इनवेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है.
बुधवार, 1 दिसंबर को सुधा भारद्वाज को जमानत मिलने के कुछ दिनों बाद ही एनआईए ने यह फैसला लिया है. सुधा भारद्वाज को जमानत की शर्तें तय करने के लिए 8 दिसंबर को एनआईए की कोर्ट में पेश होने के लिए कहा गया था.
भीमा-कोरेगांव हिंसा को लेकर गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) के आरोप में 2018 से जेल में बंद सुधा भारद्वाज को बॉम्बे हाईकोर्ट से जमानत दी गई थी, लेकिन अभी उनकी रिहाई नहीं हुई है.
भारद्वाज ने तर्क दिया था कि जिस जज ने उनके खिलाफ मामले का संज्ञान लिया था, उन्हें यूएपीए मामलों की सुनवाई के लिए नामित नहीं किया गया था.
मामले के आठ अन्य आरोपियों- सुधीर धवले, वरवर राव, रोना विल्सन, सुरेंद्र गाडलिंग, शोमा सेन, महेश राउत, वर्नोन गोंजाल्विस और अरुण फरेरा ने भी इसी आधार पर हाईकोर्ट में जमानत याचिका दायर की थी.
हालांकि, अन्य सभी आठ आरोपियों की याचिकाओं को बॉम्बे हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था. एनआईए के वकील ने दलील दी थी कि डिफॉल्ट जमानत के इस मुद्दे को लेकर सही समय पर याचिका दायर नहीं दायर की गई थी.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)