निर्भया मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों की फांसी की सजा को बरकरार रखा है. चार में से तीन दोषियों ने कोर्ट के सामने रिव्यू पिटीशन दाखिल की थी. जिसे कोर्ट ने ठुकरा दिया. जस्टिस अशोक भूषण ने कहा, “आपराधिक मामलों में रिव्यू तभी संभव है, जब कानून में कोई स्पष्ट गलती हो.”
सुप्रीम कोर्ट ने 5 मई 2017 को दिल्ली हाई कोर्ट की तरफ से सुनाए गए फांसी की सजा पर मुहर लगाई थी. दोषियों ने इस फैसले पर पुनर्विचार करने को कहा था.
पिता ने कहा, जल्द हो फांसी
निर्भया के पिता ने फैसले के बाद कहा, हम जानते थे कि पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी जाएगी. लेकिन अब आगे क्या होगा? काफी समय हो चुका है और इस दौरान महिलाओं के लिए खतरा बढ़ता ही गया है. मैं चाहता हूं कि जल्द ही दोषियों को फांसी दी जाए.
'दोषियों को फांसी से ही हमें तसल्ली मिलेगी'
फैसले से पहले निर्भया के पिता ने कहा था कि जब आरोपियों को फांसी मिलेगी, तभी उनको तसल्ली मिलेगी. वहीं निर्भया की मां ने कहा कि इस घटना को 6 साल हो गए हैं. इस तरह की घटनाएं आज भी लगातार हो रही हैं. हमारा सिस्टम ऐसी घटनाएं रोकने में नाकाम रहा है. मुझे उम्मीद है कि फैसला हमारे पक्ष में आएगा और दोषियो को सजा मिलेगी.
तीन ने दायर की रिव्यू पिटीशन
चार दोषियों अक्षय ठाकुर, विनय शर्मा, पवन गुप्ता और मुकेश में से तीन ने रिव्यू पिटीशन दाखिल की है. 4 मई को चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस आर भानुमति और जस्टिस अशोक भूषण की बेंच ने दोषियों विनय, पवन और मुकेश की पुनर्विचार याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा था. दोषी अक्षय ने रिव्यू पिटीशन अभी दायर नहीं की है.
क्या कहा था सुप्रीम कोर्ट ने
सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा था कि निर्भया कांड सदमे की सुनामी थी. कोर्ट ने कहा कि वारदात को क्रूर और राक्षसी तरीके से अंजाम दिया गया. और इस वारदात ने समाज की सामूहिक चेतना को हिला दिया था. जस्टिस भानुमति ने कहा कि बचपन से ही बच्चों को ये शिक्षा दी जानी चाहिए कि कैसे महिलाओं की इज्जत करें.
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कब हुआ था निर्भया कांड?
16 दिसंबर, 2012 की रात दिल्ली में 6 आरोपियों ने चलती बस में निर्भया के साथ गैंगरेप किया था. उसे बुरी तरह घायल कर बस से फेंक दिया था. बाद में इलाज के दौरान सिंगापुर के अस्पताल में निर्भया की मौत हो गई थी.
गैंगरेप के आरोप में 6 लोग गिरफ्तार किए गए थे. एक आरोपी रामसिंह ने तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर ली थी. जबकि एक नाबालिग आरोपी 3 साल की सजा पूरी कर सुधार गृह से रिहा हो चुका है. बाकी चार दोषियों मुकेश, अक्षय, पवन और विनय को साकेत की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी. 14 मार्च, 2014 को दिल्ली हाईकोर्ट ने भी इस पर मुहर लगा दी थी. और बाद में सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे बरकरार रखा.
निर्भया के पिता ने SC के फैसले को बताया था परिवार की जीत
सुप्रीम कोर्ट के फैसले को निर्भया के माता-पिता ने परिवार की जीत बताया था. फैसले के दिन जैसे ही कोर्ट ने मौत की सजा के फैसले को बरकार रखने का ऐलान किया निर्भया के माता पिता खुशी से ताली बजाने लगे.
हालांकि इस फैसले पर बलात्कारियों के वकील एपी सिंह ने कहा था कि उनके क्लाइंट को इंसाफ नहीं मिला. समाज में सन्देश देने के लिए किसी को फांसी नहीं दे सकते. मानव अधिकार की धज्जियां उड़ गयी.
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