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निर्भया केस: अक्षय की रिव्यू पिटीशन पर थोड़ी देर में फैसला

अक्षय के वकील ने कहा कि उसके मुवक्किल को झूठी रिपोर्ट के आधार पर फंसाया गया है 

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भारत
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निर्भया कांड के 4 दोषियों में से एक अक्षय ठाकुर की रिव्यू पिटीशन पर सुप्रीम कोर्ट में थोड़ी ही देर में फैसला आने वाला है. इससे पहले आज सुनवाई के दौरान अक्षय के वकील ने कहा कि उसका मुवक्किल गरीब है इसलिए उसे फांसी देने की मांग हो रही है. वकील ने कहा कि झूठी रिपोर्ट के आधार पर अक्षय को फंसाया गया है. चीफ जस्टिस एस.ए बोबड़े ने इस मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है. जिसके बाद जस्टिस भानुमति की अध्यक्षता वाली पीठ आज इस मामले पर सुनवाई कर रही है.

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अक्षय के वकील ने जांच पर उठाए सवाल

दोषी अक्षय की तरफ से वकील ने यह भी कहा कि मुझे फांसी इसलिए दी जा रही है क्योंकि मैं गरीब हूं. इस मामले में सब कुछ राजनीतिक एजेंडे की तरह हो रहा है. वकील सिंह ने याचिका पढ़ते हुए वेद, पुराण, त्रेता युग का जिक्र किया और कहा कि कलयुग में लोग केवल 60 साल तक जीते हैं जबकि दूसरे युग में कहीं ज्यादा. अक्षय के वकील एपी सिंह ने कहा कि उसके मुवक्किल को गलत तरीक से फंसाया गया. उसे फंसाने के लिए फर्जी रिपोर्ट्स तैयार की गई.

इससे पहले भी अक्षय के वकील एपी सिंह ने जांच पर सवाल उठा थे. वकील एपी सिंह ने तिहाड़ के जेलर सुनील गुप्ता की किताब का जिक्र किया था. सिंह ने कहा था कि इस किताब में निर्भया केस के एक दोषी राम सिंह की आत्महत्या पर भी सवाल उठाए गए थे. इस पर जस्टिस अशोक भूषण ने कहा कि ट्रायल पूरी होने के बाद कोई किताब लिखे ये खतरनाक ट्रेंड है. उन्होंने ट्रायल के दौरान यह बात क्यों नहीं बताई? बाद में कोई कुछ भी लिख दे इसका कोई मतलब नहीं.

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अक्षय के वकील एपी सिंह ने TIP यानी ‘टेस्ट इन परेड’ को लेकर भी सवाल उठाए थे.जस्टिस भानुमति ने कहा कि इस बात पर सुनवाई में गौर किया गया था. सिंह ने कहा कि नहीं, ये नया फैक्ट है. बता दें, सुप्रीम कोर्ट ने बहस के लिए सभी पक्षों को 30-30 मिनट का समय दिया था.
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दरअसल, सोमवार को चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने इस मामले में खुद को सुनवाई से अलग कर लिया था. इसलिए जस्टिस भानुमति की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मामले में सुनवाई . बेंच के एक दूसरे सदस्य जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस बोपन्ना थे. फांसी की सजा पाए चारों आरोपियों में से एक अक्षय ठाकुर ने सुप्रीम कोर्ट से रहम की गुहार लगाई थी. सोमवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट रूम में निर्भया के पैरंट्स भी सुनवाई के दौरान मौजूद थे. करीब दस मिनट की सुनवाई के बाद ही इसे टाल दिया था.

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