कोरोना संकट के बीच 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज से जुड़े ऐलान करने के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने और ऐलानों की संभावना को खारिज नहीं किया है.
सीतारमण ने अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू के दौरान कहा, ''मुझे (आगे बढ़ने के लिए) तैयार रहना होगा... क्योंकि कोई नहीं जानता कि यह कैसे खत्म होने जा रहा है. ऐसे में जाहिर तौर पर, मैं अपनी कहानी को इन ऐलानों के साथ ही खत्म नहीं कर सकती.''
जब सीतारमण से पूछा गया कि इस साल भारतीय अर्थव्यवस्था के संकुचन पर कई अनुमान लगाए गए हैं, वित्त मंत्रालय और उसकी इकनॉमिक डिवीजन का क्या आकलन क्या है? इस पर उन्होंने जवाब दिया, ''मेरे लिए यह (आकलन करना) जल्दबाजी होगी. अनुमान लगाते हुए भी यह कहना मेरे लिए समझदारी की बात नहीं होगी कि अर्थव्यवस्था कहां जा रही है. नहीं, अभी नहीं. इसके बजाए मुझे अपने आपको खुला रखना होगा और देखना होगा कि चीजें कैसे जा रही हैं और थोड़े वक्त बाद आकलन करना होगा.''
जब उनसे अलग-अलग आकलनों के आधार पर आर्थिक पैकेज की असल फिस्कल कॉस्ट से जुड़ा सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘’सबसे पहले, मैं सामने आ रहे अलग-अलग आकलनों पर सवाल या विवाद या बहस नहीं करने जा रही. मैंने जनता से कुछ भी नहीं छिपाया है, मैंने बताया है कि मैंने अपना काम कैसे किया है, इसका प्रसार कैसे किया जा रहा है, यह लिक्विडिटी है. मैंने इसे सबके सामने रखा है.’’
कोरोना लॉकडाउन के बीच बड़ी संख्या में प्रवासी कामगार अपने घर लौटे हैं. ऐसे में मनरेगा के तहत काम की मांग बढ़ेगी. तो क्या इस मांग को पूरा करने के लिए 40000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि का आवंटन पर्याप्त होगा? इस सवाल के जवाब में सीतारमण ने कहा, ''हम सबको इस बात की चिंता करनी होगी कि क्या पर्याप्त होने जा रहा है. इस बारे में सवाल करना बिल्कुल सही है और यह मेरी चिंता भी है. क्या पर्याप्त होने जा रहा है, भले ही मुझे पता हो, फिर भी समस्या की जटिलता को सरल नहीं किया जाए.''
सीतारमण ने कहा है कि इस बात पर अनिश्चितता है कि घर लौटे कितने कामगार वापस काम के लिए शहरों की तरफ लौटेंगे.
उन्होंने कहा, ''मैं इस स्टेज पर ईमानदारी से स्वीकार कर रही हूं कि मुझे नहीं लगता कि किसी भी सरकार के पास कोई आइडिया है. न राज्य सरकारों के पास, न केंद्र के पास और ना ही विदेशों में.''
आर्थिक पैकेज को लेकर किए गए ऐलानों के बाद मिंट को दिए इंटरव्यू में वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार ने कॉर्पोरेट सेक्टर की समस्याओं से निपटने के लिए पर्याप्त कदम उठाए हैं. इस इंटरव्यू में भी उन्होंने इस बात की संभावना को खारिज नहीं किया कि जरूरत पड़ने पर सरकार कारोबारों की मदद के लिए और कदम उठाएगी.
वित्त मंत्री ने माना कि कामगारों के घर लौटने की वजह से आर्थिक विकास पर असर पड़ेगा. उन्होंने कहा, ''मैं विकास में (तुलनात्मक रूप से) वृद्धि की उम्मीद कर रही हूं, लेकिन यह धीरे-धीरे हो सकता है क्योंकि श्रम घटक एक ऐसी चीज है जिसे लेकर इंडस्ट्री या तो स्थानीय श्रमिकों पर ज्यादा निर्भरता बढ़ाकर, उनको स्किल्स देकर या फिर घर लौटे कामगारों का इंतजार करके खुद को फिर से तैयार कर रही हैं.''
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