ADVERTISEMENTREMOVE AD

प्रशांत किशोर को नीतीश की दो टूक का मतलब-BJP से अलग नहीं होगी JDU

नागरिकता कानून और एनआरसी के खिलाफ प्रशांत किशोर काफी मुखर हैं

Updated
भारत
3 min read
छोटा
मध्यम
बड़ा
ADVERTISEMENTREMOVE AD

वीडियो प्रोड्यूसर: संदीप सुमन

जहां जाना हो वहां जाएं...जो करना हो वो करें.... आजकल बिहार के सीएम नीतीश कुमार की ये फेवरिट लाइन सी बन गई है. पहले ये बात नीतीश कुमार ने अपनी ही पार्टी यानी जेडीयू के वरिष्ठ नेता पवन वर्मा के लिए कही थी, बाद में यही लाइन फिर दोहरा दी... इस बार बारी थी, पार्टी के उपाध्यक्ष और सियासी गलियारों में रणनीतिकार के रसूख से जाने जाने वाले प्रशांत किशोर की.

0

नागरिकता कानून और एनआरसी के खिलाफ प्रशांत किशोर काफी मुखर हैं और पुरजोर विरोध कर रहे हैं. अमित शाह को हर दो तीन दिन में एक बार निशाने पर ले रहे हैं. वहीं नीतीश की पार्टी जेडीयू का स्टैंड नागरिकता कानून को लेकर केंद्र सरकार के साथ है. ऐसी असहजता की स्थिति में आकर नीतीश कुमार ने कह ही दिया कि प्रशांत किशोर अगर पार्टी छोड़कर जाना चाहते हैं तो जा सकते हैं. लेकिन इस दौरान उन्होंने ये भी बता दिया कि आखिर प्रशांत किशोर की पार्टी में एंट्री कैसे हुई थी.

अब वो आया कैसे पार्टी में..हमसे अमित शाह जी बोले ज्वाइन कराइए...ज्वाइन करवाइए.  
नीतीश कुमार, अध्यक्ष, JDU

नीतीश का ये बयान वाकई चौंकाने वाला है. सवाल ये उठता है कि क्या प्रशांत किशोर जेडीयू में बीजेपी के प्लांटेड नेता थे? क्योंकि नीतीश ने प्रशांत किशोर को अपने कई नेताओं की नाराजगी के बाद भी पार्टी में बड़ा ओहदा दिया था.

बहरहाल इस बयान के बाद प्रशांत किशोर ने नीतीश पर तीखा हमला किया है. प्रशांत किशोर ने ट्वीट किया है कि आप इतने गिर जाएंगे कि मेरे JDU में शामिल होने को लेकर झूठ बोलेंगे... और अगर आप सच बोल रहे हैं तो कौन यकीन करेगा कि आप अमित शाह की सिफारिश पर आए किसी शख्स की बात नहीं मान रहे.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

आखिर दिक्कत कहां पर है?

ये मसला शुरू कहां से होता है. उसे समझने के लिए प्रशांत किशोर के कामकाज को समझ लेते हैं. प्रशांत किशोर सियासी रणनीतिकार हैं, उनकी कंपनी अलग-अलग पार्टियों के लिए चुनावी रणनीति बनाते हैं... फिलहाल, पश्चिम बंगाल में वो बीजेपी की धुर विरोधी पार्टी टीएमसी यानी ममता बनर्जी के लिए रणनीति बना रहे हैं. वहीं दिल्ली में आम आदमी पार्टी के साथ मिलकर काम कर रहे हैं. ऐसा वो लगातार कहते आए हैं कि वो और उनकी कंपनी दो अलग-अलग चीजें हैं और वो जेडीयू में हैं उनकी कंपनी अलग-अलग पार्टियों के लिए रणनीति बनाती है. अब ये घालमेल अगर आपको समझ आ गया होगा तो दिक्कत भी समझ आ जाएगी.

नागरिकता कानून और NRC के खिलाप टीएमसी, आम आदमी पार्टी भी मुखर है. प्रशांत किशोर भी मुखर हैं. अभी हाल ही में जब अमित शाह का शाहीन बाग में करंट वाला बयान आया तो उस वक्त तपाक से प्रशांत किशोर का भी एक ट्वीट आया जिसमें उन्होंने शाह को जवाब के तौर प लिखा-

8 फरवरी को दिल्ली में EVM का बटन तो प्यार से ही दबेगा. जोर का झटका धीरे से लगना चाहिए ताकि आपसी भाईचारा और सौहार्द खतरे में ना पड़े.

इससे पहले भी वो अमित शाह पर नागरिकता कानून को लेकर सीधा हमला करते दिख चुके हैं. फिलहाल स्थिति ये है कि CAA से लेकर दिल्ली चुनाव तक में BJP के साथ जाने को लेकर JDU में घमासान मचा है और नीतीश अपने नेताओं से कह रहे हैं कि जाना है तो जाइए.

बिहार की राजनीति के लिए इसका मतलब निकालें तो यही समझ आता है कि भले ही हाल फिलहाल चर्चा चली हो कि जेडीयू एक बार फिर गैर बीजेपी दलों के साथ जा सकती है लेकिन नीतीश के तेवर लगता है कि फिलहाल उनका बीजेपी से अलग होने का कोई इरादा नहीं है.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×