ओडिशा के बालासोर में शुक्रवार, 2 जून की रात हुए भीषण ट्रेन दुर्घटना (Odisha Train Accident) में अब तक 275 यात्रियों की मौत हो गई है, जबकि 700 से अधिक लोग घायल हैं. राहत-बचाव और मरम्मत कार्यों का जायज केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ले रहे हैं. रविवार, 4 मई को रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि ओडिशा के बालासोर में हुए इस हादसे की वजह इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग में बदलाव है.
केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने एएनआई को बताया कि "रेलवे सुरक्षा आयुक्त ने मामले की जांच की है और घटना के कारणों के साथ-साथ इसके लिए जिम्मेदार लोगों की पहचान की है. यह 'इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग' में बदलाव के कारण हुआ."
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के 'कवच' प्रणाली की अनुपस्थिति के सवाल का जवाब देते हुए अश्विनी वैष्णव ने कहा कि...
"दुर्घटना का 'टक्कर-रोधी प्रणाली' से कोई लेना-देना नहीं है. उन्होंने कहा कि 'ये पूरी तरह से अलग मुद्दा है, इसमें प्वाइंट मशीन, इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग शामिल है. इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग के दौरान जो बदलाव हुआ, वह इसके कारण हुआ. ये किसने किया और कैसे हुआ, यह उचित जांच के बाद पता चलेगा."
'इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग में बदलाव' का क्या अर्थ?
'इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग' क्या है? इसे समझने के लिए हमें सबसे पहले ये जानना होगा कि 'इंटरलॉकिंग' क्या है?
दरअसल, इंटरलॉकिंग सिस्टम एक सुरक्षा तंत्र को संदर्भित करता है जो रेलवे जंक्शनों, स्टेशनों और सिग्नल बिंदुओं पर ट्रेन की आवाजाही के सुरक्षित और कुशल संचालन को सुनिश्चित करता है. इसमें आमतौर पर सिग्नल, पॉइंट (स्विच) और ट्रैक सर्किट का एकीकरण शामिल होता है.
इंटरलॉकिंग सिस्टम ये सुनिश्चित करता है कि पॉइंट-ट्रैक के मूवेबल सेक्शन जो ट्रेनों को एक ट्रैक से दूसरे ट्रैक पर दिशा बदलने की अनुमति देता है. इसके अलावा ट्रैक सर्किट ट्रैक पर स्थापित विद्युत सर्किट होते हैं जो ट्रेन की उपस्थिति का पता लगाते हैं. वो ये निर्धारित करने में मदद करते हैं कि ट्रैक का एक हिस्सा भरा हुआ है या खाली है और इंटरलॉकिंग सिस्टम को नियंत्रित करने में सक्षम बनाता है.
इंटरलॉकिंग सिस्टम सिग्नल, पॉइंट और ट्रैक सर्किट की स्थिति की निगरानी करता है और असुरक्षित स्थितियों को रोकने के लिए इन घटकों को एकीकृत करता है.
इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग क्या है?
इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग, इंटरलॉकिंग तकनीक का आधुनिक रूप है, जिसमें सॉफ्टवेयर और इलेक्ट्रॉनिक घटकों के माध्यम से ट्रेन की आवाजाही का नियंत्रण और ऑब्जर्वेशन किया जाता है.
ये सिग्नलिंग, पॉइंट और ट्रैक सर्किट को प्रबंधित और समन्वयित करने के लिए कंप्यूटर, प्रोग्रामेबल लॉजिक कंट्रोलर (PLCs) और संचार नेटवर्क को कंट्रोल करता है.
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने ये कहा था कि, इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग में 'बदलाव' जो गलत सिग्नल या अनुचित रूट का कारण है. जिसने कोरोमंडल एक्सप्रेस को मुख्य लाइन से दूर धकेल दिया और 120 किमी प्रति घंटे से अधिक की रफ्तार से चल रही ट्रेन ने लूप लाइन यानी साइड ट्रैक ले लिया और खड़ी मालगाड़ी से टकरा गई. हालांकि, मंत्री ने कहा कि दुर्घटना का सही कारण रेलवे सुरक्षा आयुक्त द्वारा विस्तृत तकनीकी जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने के बाद ही पता चलेगा.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)