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इन तस्वीरों से कश्मीर के बारे में फैलाई जा रही फेक न्यूज

सोशल मीडिया पर पुरानी तस्वीरों को संदर्भ से काट कर वायरल किया जा रहा है

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भारत
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आजकल सोशल मीडिया में कई ऐसी तस्वीरें वायरल हो रही है, जिन्हें कश्मीर के मौजूदा हालात का सबूत बताया जा रहा है. कुछ तस्वीरों में महिलाएं दुआ करती और चिल्लाती दिख रही हैं. वहीं कुछ में बच्चे रो रहे हैं. कुछ में घायल बच्चे दिख रहे हैं, जिन्हें चोट लगी है. ‘द क्विंट’ ने इन तस्वीरों की पड़ताल कर यह जानने की कोशिश की आखिर असलियत क्या है.

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क्या है सच?

‘द क्विंट’ ने अपनी पड़ताल में पाया कि ज्यादातर तस्वीरें संदर्भ से काट कर वायरल की जा रही हैं. इनका कश्मीर के मौजूदा हालात से कोई लेना-देना नहीं है.

फोटो नं- 1

सोशल मीडिया पर पुरानी तस्वीरों को संदर्भ से काट कर वायरल किया जा रहा है
(Photo Courtesy: WhatsApp)
वायरल फोटो का स्क्रीन शॉट 

रिवर्स इमेज सर्च के जरिेये क्विंट ने पता किया कि यह फोटो सिंतबर 2016 की है यह एक ब्लॉग में पब्लिश हुई थी, जिसमें कश्मीर के हालात पर नज्मा मुस्तफा का लेख था. फोटो की क्रेडिट लाइन में लिखा गया है. photoblog.nbcnews.com.

सोशल मीडिया पर पुरानी तस्वीरों को संदर्भ से काट कर वायरल किया जा रहा है

हालांकि हम इस फोटो को NBC न्यूज पोर्टल पर नहीं खोज पाए.लेकिन इतना साफ है कि यह फोटो 2016 से ही ऑनलाइन मौजूद है. और यह किसी भी तरह से कश्मीर की मौजूदा हालात का सबूत नहीं है.

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फोटो नं. 2

सोशल मीडिया पर पुरानी तस्वीरों को संदर्भ से काट कर वायरल किया जा रहा है
(Photo Courtesy: WhatsApp)
फोटो का स्क्रीनशॉट 

रिवर्स इमेज सर्च के जरिये पता चला कि यह फोटो एक ब्लॉग ‘Forum Against War on People’, से लिया गया है.जिसमें The New York Times का लेख और फोटो साझा किया गया था. यह आर्टिकल 14 अगस्त 2010 का है. जाहिर है यह कश्मीर के मौजूदा हालात बयान नहीं करता.

सोशल मीडिया पर पुरानी तस्वीरों को संदर्भ से काट कर वायरल किया जा रहा है

यह इस फोटो की क्रेडिटलाइन एपी की थी. कैप्शन था - श्रीनगर में पिछले सप्ताह पुलिस की गोलियों से घायल हुए युवक अहमद खान के जनाजे के दौरान की तस्वीर. हालांकि क्विंट को यह इमेज नहीं मिल सकी लेकिन यही फोटो अलग एंगल से खिंची हुई मिल गई. इस बार इसकी क्रेडिट लाइन में Getty Images. लिखा है. दोनों फोटो में वही महिलाएं दिख रही हैं.

इस कैप्शन से यह पता चलता है कि युवक 4 अगस्त को मारा गया था. फोटो खींचे जाने के चार दिन पहले. जबकि फोटो 9-10 अगस्त, 2010 का है. इसकी क्रेडिट लाइन में एएफपी लिखा है. साफ है कि यह कश्मीर के मौजूदा हालात का फोटो नहीं है.

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फोटो नं-. 3

सोशल मीडिया पर पुरानी तस्वीरों को संदर्भ से काट कर वायरल किया जा रहा है
(Photo Courtesy: WhatsApp)
वायरल फोटो का स्क्रीन शॉट 

रिवर्स इमेज सर्च के बाद क्विंट को यह तस्वीर मिली.

सोशल मीडिया पर पुरानी तस्वीरों को संदर्भ से काट कर वायरल किया जा रहा है
फोटो सौजन्य : हिंदुस्तान टाइम्स 
फोटो का स्क्रीनशॉट 

यह हिंदुस्तान टाइम्स की खबर की तस्वीर है. 30 अगस्त 2017 को छपी एक खबर के मुताबिक यह तस्वीर अनंतनाग में आतंकियों की गोलियों के शिकार हुए असिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर अब्दुल राशिद शाह की बेटी जोहरा की है. वहीं दूसरी तस्वीर बुरहान फयाज की है जो अपने दोस्त आमिर नजीर को सुपुर्दे खाक के दौरान रो रहा है. नाजिर क्लास नौवीं का छात्र था जिसे सिक्योरिटी फोर्स और आतंकवादियों के के बीच पुलवामा में हुई मुठभेड़ में गोली लग गई थी.

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फोटो नं. 4

सोशल मीडिया पर पुरानी तस्वीरों को संदर्भ से काट कर वायरल किया जा रहा है
(Photo Courtesy: WhatsApp)
वायरल फोटो का स्क्रीन शॉट 

इस तस्वीर की रिवर्स इमेज सर्च की गई तो यह पाकिस्तानी अखबार डॉन में छपी मिली. यह खबर डॉन अखबार में सितंबर 2016 को छपी थी. उसमें इस फोटो का इस्तेमाल किया गया था. खबर का शीर्षक था. कश्मीर में प्रदर्शनकारियों का पैलैट गन यह हश्र करती है. फोटो में कोई तारीख नहीं थी इसकी क्रेडिट लाइन में लेखक अहमर खान का था. जाहिर है यह फोटो कश्मीर के मौजूदा हालात का नहीं है.

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फोटो नं. 5

सोशल मीडिया पर पुरानी तस्वीरों को संदर्भ से काट कर वायरल किया जा रहा है
(Photo Courtesy: WhatsApp)
वायरल फोटो का स्क्रीन शॉट 

इस फोटो की रिवर्स इमेज सर्च करने पर पता चला कि यह किसी ट्यूनिशियन फेसबुक पेज से लिया गया है. वहां के किसी फेसबुक पेज पर यह फोटो 14 अगस्त को अपलोड हुई है.

सोशल मीडिया पर पुरानी तस्वीरों को संदर्भ से काट कर वायरल किया जा रहा है

इसके कमेंट सेक्शन पर जाने से पताच चला कि यह पशुओं की कुर्बानी से किसी इस्लामी आयोजन से जुड़ा है. तस्वीर में साफ तौर पर इन पशुओं को देखा जा सकता है.

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