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किसानों की आंखों में आंसू,प्याज बिक रहा है एक रुपये किलो

मंडी में प्याज की भरमार से किसान को नहीं मिल रहे दाम 

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भारत
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देश में प्याज की सबसे बड़ी मंडियों में से एक नासिक के लासलगांव में प्याज एक रुपये किलो बिक रहा है. किसानों कीआंखों से आंसू निकाल रहे प्याज की कीमत इससे पहले पिछले साल जुलाई में भी गिर कर एक रुपये पर आ गई थी.

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ये है प्याज की कीमतें गिरने की वजह

मार्च-अप्रैल में आने वाले प्याज छह महीने तक मार्केट में रहता है. खरीफ के प्याज की आखिरी खेप अक्टूबर के मध्य तक मंडियों में पहुंचती है. इसके बाद खरीफ का प्याज खत्म हो जाता है. किसानों ने इस बार अच्छी कीमत मिलने की उम्मीद में प्याज का स्टॉक कर रखा था. लेकिन इस बीच मांग कम और मंडी में ज्यादा प्याज आ जाने की वजह से किसानों की इस उम्मीद पर पानी फिर गया. अब नए खरीफ सीजन के प्याज की भी कीमत नहीं मिल रही है. नया प्याज भी दो से पांच रुपये किलो बिक रहा है.

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मंडी तक प्याज की ढुलाई का खर्च निकालना भी मुश्किल

किसानों के लिए खेत से मंडी तक प्याज की ढुलाई का खर्चा निकालना भी मुश्किल हो रहा है. इसके अलावा उनके पास पहले से ही प्याज का ज्यादा स्टॉक है. तापमान कम होने की वजह से ये प्याज अब अंकुरित भी होते जा रहे हैं. मंडी में इस तरह के प्याज की कीमत कम होती है.

पिछले साल अक्टूबर में प्याज 21.51 रुपये किलो बिक रहा था. जबकि इस साल दिसंबर तक कीमतें घट कर दो रुपये प्रति किलो पर पहुंच गईं. दरअसल सप्लाई ज्यादा होने की वजह से कीमतों में गिरावट आई है. एपीएमएसी के अधिकारियों का कहना है कि प्याज किसान ज्यादा कीमत पाने की उम्मीद में प्याज का स्टॉक कर लेते हैं. इसके बाद नई फसल आने के बाद कीमतें और गिर जाती हैं.

दो साल पहले नोटबंदी होने के बाद देश में कैश की किल्लत का खामियाजा प्याज किसानों को भुगतना पड़ा था. इसके बाद से प्याज किसानों की स्थिति में बहुत अधिक सुधार नहीं हुआ है.

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