पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने पीएम मोदी के आर्थिक पैकेज को लेकर कहा कि वित्तमंत्री सीतारमण ने उन लाखों गरीब मजदूरों के लिए कुछ भी नहीं कहा जो भूखे हैं और पैदल ही अपने घरों की ओर जा रहे हैं. 13 करोड़ गरीब परिवारों के खाते में कैश ट्रांसफर को लेकर भी कुछ नहीं कहा गया है, जिन्हें विनाश की ओर धकेला जा रहा है.
चिदंबरम ने फ्रेंच इकनॉमिस्ट प्रोफेसर थॉमस पिकेटी के उस बयान का जिक्र किया जिसमें उन्होंने गरीब लोगों के खाते में कैश ट्रांसफर की बात कही थी. उन्होंने कहा कि गरीबों को पैसे की जरूरत है. चिदंबरम ने आगे कहा कि,
“वित्तमंत्री सीतारमण ने एमएसएमई के लिए कुछ घोषणाएं की हैं. इस पर मेरा ये कहना है कि बड़े एमएसएमई (करीब 45 लाख) के पक्ष में ज्यादा समर्थन उपायों की घोषणा की गई है. मुझे लगता है कि 6.3 करोड़ एमएसएमई को सूखा छोड़ दिया गया है. हालांकि हम सबऑर्डिनेट लोन (20,000 करोड़ रुपये) और इक्विटी कॉरपस फंड (10,000 करोड़ रुपये) का स्वागत करते हैं. लेकिन अब भी हमें नियम और शर्तों का इंतजार है. “
आर्थिक पैकेज का गणित
चिदंबरम ने कहा कि क्रेडिट गारंटी फंड संपूर्ण फंड नहीं है, जो वास्तव में खर्च किया जाएगा. यह खर्च व्यय MSMEs को बकाया गारंटीकृत क्रेडिट में NPA की सीमा तक सीमित होगा. 20-50% के एनपीए स्तर को मानते हुए, ऋणों की अवधि (जो कई साल हो सकती है) पर वास्तविक व्यय अधिकतम 3,00,000 करोड़ रुपये होगा. उन्होंने कहा कि, NBFC को 30,000 करोड़ रुपये की क्रेडिट गारंटी भी गिनाएंगे. इसलिए 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज में 3,60,000 करोड़ रुपये को भी शामिल किया जाएगा.
आर्थिक पैकेज को लेकर पूर्व वित्तमंत्री ने आगे कहा,
“बाकी के 16.4 लाख करोड़ रुपये कहां हैं? यह सरकार अपने ही अज्ञान और भय में कैद है. सरकार को अधिक खर्च करना होगा, लेकिन वह ऐसा करने को तैयार नहीं है. सरकार को अधिक उधार लेना चाहिए, लेकिन वह ऐसा करने को तैयार नहीं है. सरकार को राज्यों को अधिक उधार लेने और अधिक खर्च करने की अनुमति देनी चाहिए, लेकिन वह ऐसा करने के लिए तैयार नहीं है.”पी चिदंबरम, पूर्व वित्तमंत्री
चिदंबरम ने अंत में कहा कि मामूली MSME पैकेज को छोड़कर, हम आज की वित्तमंत्री की तरफ से की गई घोषणाओं से निराश हैं. उन्होंने कहा कि, "मैं लिक्विडिटी से संबंधित उपायों पर टिप्पणी करने से बचता हूं. इससे समर्थन के राजकोषीय उपायों की राशि नहीं मिलती और दुनिया में कहीं भी वे राजकोषीय प्रोत्साहन पैकेज में शामिल या गिने नहीं जाते हैं."
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