संसद के मॉनसून सत्र (Parliament Monsoon Session) के आखिरी दिन यानी 11 अगस्त को सरकार ने न्याय व्यवस्था में आमूल-चूल बदलाव वाले विधेयक पेश किए. ये इंडियन पीनल कोड (IPC), क्रिमिनल प्रोसीजर कोड (CrPC) और इंडियन एविडेंस एक्ट की जगह लेंगे. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में पेश किए तीन विधेयक: भारतीय न्याय संहिता विधेयक (The Bharatiya Nyaya Sanhita, 2023), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता विधेयक (The Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita 2023) और भारतीय साक्ष्य विधेयक (The Bharatiya Sakshya Bill, 2023) पेश किए.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में भारतीय न्याय संहिता विधेयक, 2023, भारतीय साक्ष्य विधेयक, 2023 और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता विधेयक 2023 पर बोलते हुए कहा कि राजद्रोह कानून को खत्म किया जाएगा इसे लेकर सरकार की तरफ से एक प्रस्ताव पेश किया गया.
1860 से 2023 तक देश की आपराधिक न्याय प्रणाली अंग्रेजों द्वारा बनाए गए कानूनों के अनुसार कार्य करती रही. तीन कानून बदल जाएंगे और देश में आपराधिक न्याय प्रणाली में बड़ा बदलाव होगा.अमित शाह, केंद्रीय गृहमंत्री
उन्होंने आगे कहा कि इस विधेयक के तहत हमने लक्ष्य रखा है कि सजा का अनुपात 90% से ऊपर ले जाना है. इसीलिए, हम एक महत्वपूर्ण प्रावधान लाए हैं कि जिन धाराओं में 7 साल या उससे अधिक जेल की सजा का प्रावधान है, उन सभी मामलों में फॉरेंसिक टीम का अपराध स्थल पर जाना अनिवार्य कर दिया जाएगा.
"मॉब लिंचिंग पर भी सजा का प्रावधान होगा"
केंद्र मॉब लिंचिंग के मामलों में मौत की सजा का प्रावधान भी करेगा. अन्य प्रस्तावित दंडों में गैंग रेप के लिए 20 साल की जेल से लेकर आजीवन कारावास और नाबालिग से रेप के लिए मौत की सजा शामिल है.अमित शाह, केंद्रीय गृहमंत्री
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि देशद्रोह कानून निरस्त कर दिया गया है. प्रस्तावित कानून में ''देशद्रोह'' शब्द नहीं है. इसे भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्यों के लिए धारा 150 द्वारा प्रतिस्थापित किया गया है.
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