तृणमूल कांग्रेस (TMC) सांसद महुआ मोइत्रा (Mahua Moitra) ने मंगलवार, 13 दिसंबर को अर्थव्यवस्था (Indian Economy) के विकास को लेकर आकंड़ों को बताते हुए केंद्र सरकार पर हमला बोला. उन्होंने कहा कि हर फरवरी में सरकार लोगों को विश्वास दिलाती है कि अर्थव्यवस्था बहुत अच्छा कर रही है. सभी को गैस सिलेंडर, आवास और बिजली जैसी सभी बुनियादी सुविधाएं मिल रही हैं. लेकिन दिसंबर आते-आते दावों की हवा निकल जाती है और सच्चाई लंगड़ाती नजर आने लगती है.
असली पप्पू कौन?
महुआ मोइत्रा ने सरकार पर निशाना साधते हुए पूछा कि अब असली पप्पू कौन है? किसी को नीचा दिखाने के लिए पप्पू शब्दावली का इस्तेमाल किया गया. सत्ताधारी पार्टी ने ‘पप्पू’ नाम का शब्द गढ़ा लेकिन डेटा बताते हैं कि असली पप्पू कौन है.
आईआईपी, मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर गिरा, विदेशी मुद्रा भंडार एक साल 72 बिलियन डॉलर गिरा है. आपको लगता है कि आप देश को डरा पाएंगे, बार-बार चुनाव जीतते चले जाएंगे लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा है. आपने अभी तीन राज्यों में चुनाव लड़ा...पूरी ताकत, आपने जीता सिर्फ एक राज्य. सत्ताधारी पार्टी के अध्यक्ष अपना गृह राज्य तक नहीं बचा सके. अब पप्पू कौन है?महुआ मोइत्रा, टीएमसी सांसद
उन्होंने आगे सदन में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बयान का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री ने कल हमारे बारे में कहा कि हम विदेश के दुश्मन हैं और हमारे भीतर जलन की भावना है. सरकार से सवाल पूछना विपक्ष का अधिकार है और जवाब देना उसका राजधर्म है.
‘पागल के हांथ में माचिस किसने दी?’
सवाल ये नहीं है कि बस्तियां किसने जलाईं, सवाल ये है कि पागल के हांथ में माचिस किसने दी. ये वो सवाल है, जिसका जवाब भारत जानता है. यह सरकार यकीन दिलाना चाहती है कि इकनॉमी तरक्की कर रही है. सरकार कहती है कि सबको रोजगार, बिजली और गैस मिल रही है.
सत्ताधारी पार्टी के नेताओं ने नोटबंदी के फायदे बिना सही डेटा के लगातार गिनाते रहे. 6 साल के बाद भी आप कैशलेस डिजिटल इकॉनमी का लक्ष्य नहीं प्राप्त कर सके हैं. नोटबंदी फेल हुई तो पप्पू कौन?
पिछले दिनों ही मेरे बारे में बिना सिर-पैर की बात कही गई. कहा गया कि मनरेगा फंड में घालमेल हुआ है. मैं माउंट होलियोक कॉलेज में पढ़ी, मां काली की पूजा करती हूं. मैं बॉर्डर संसदीय सीट से 2 बार चुनी गई हूं. आपकी ही भाषा में मैं आपसे कहती हूं और यह असंसदीय नहीं है...पंगा मत लेना.महुआ मोइत्रा
उन्होंने आगे कहा कि गांव दो तिहाई रोजगार देते हैं लेकिन मनरेगा को पर्याप्त पैसा नहीं दिया जा रहा है.
"मंहगाई पर लगातार काम कर रही है सरकार"
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने 14 दिसंबर को संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा में अपने संबोधन में कहा कि भारत सरकार महंगाई को कम करने के लिए काम कर रही है. जरूरी चीजों की कीमतों पर लगातार नजर रखी जा रही है. इससे पहले, फूड, ईंधन और मैन्यूफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स की कीमतों में कमी की वजह से नवंबर में थोक महंगाई घटकर 5.85 फीसदी के साथ 21 महीने के निचले स्तर पर आ गई, नवंबर 2021 में महंगाई दर 14.87 फीसदी थी.
नवंबर में खाद्य वस्तुओं की महंगाई पिछले महीने के 8.33 प्रतिशत के मुकाबले 1.07 प्रतिशत थी. जबकि सब्जियों की महंगाई अक्टूबर के 17.61 फीसदी की तुलना में महीने के दौरान (-)20.08 फीसदी रही. थोक महंगाई मई से गिरावट की ओर है और अक्टूबर में 8.39 प्रतिशत पर सिंगल प्वाइंट पर आ गई थी.निर्मला सीतारमण, वित्रमंत्री
उन्होंने कहा कि मौजूदा वैश्विक परिदृश्य में भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया की तमाम उभरती अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में मजबूत है और दबाव झेलने में समर्थ है. सरकार राजकोषीय घाटे, महंगाई एवं भारतीय मुद्रा की स्थिरता के लिए मेहनत से काम कर रही है.
लोकसभा में 2022-23 के लिये अनुदान की अनुपूरक मांगों के पहले बैच और 2019-20 के लिए अनुदान की अतिरिक्त मांगों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा
पूर्ववर्ती संप्रग सरकार के समय वर्ष 2008-09 में वैश्विक आर्थिक संकट के बाद दो अनुपूरक मांगें प्रस्तुत की गई थीं और तब इसमें बजट के अतिरिक्त 20 प्रतिशत राशि की मांग रखी गयी थी.
विश्व बैंक की रिपोर्ट का जिक्र करते हुए निर्मला सीतारमण ने कहा कि विदेशी मुद्रा भंडार सबसे बड़ा है और सरकार वैश्विक स्पिलओवर के खिलाफ पर्याप्त बफर प्रदान करेगी. हम मौजूदा फाइनेंसियल इयर के लिए सकल घरेलू उत्पाद के 6.4 प्रतिशत के राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को पूरा करने में सक्षम होंगे.
मनरेगा से जुड़े एक सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में मनरेगा की मांग कम हो रही है. यह एक मांग आधारित योजना है.
आज संसद में क्या हुआ?
संजय सिंह
आम आदमी पार्टी के सांसद संजय ने सवाल करते हुए कहा कि मैं मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि कौशल विकास में जो प्रशिक्षण का कार्यक्रम है...2019 में महिलाओं को आपने 1821 प्रशिक्षित किया, 2020-21 में घटकर यह संख्या 8 लाख हो गई, 2021-22 में घटकर तीन लाख हो गया. इसी तरह पुरुषों में 2019-20 में ये आंकड़ा 27 लाख था, फिर घटकर 10 लाख हो गया और 21-22 में घटकर तीन लाख हो गया.
मैं ये पूछना चाहता हूं कि प्रधानमंत्री जी हर साल दो करोड़ नौकरियां देने का वादा किए हैं इस देश को, तो अगर नौजवानों को सरकारी नौकरी नहीं मिल पा रही है तो कौशल विकास के माध्यम से ये प्रशिक्षण देने का कार्यक्रम लगातार कम क्यों हो रहा है? और दूसरा जिन लोगों प्रशिक्षित कर रहे हैं, उनको रोजगार कितना मिल रहा है.संजय सिंह, आम आदमी पार्टी सांसद
स्मृति ईरानी
दत्तक पुत्र और पुत्री से संबंधित योजना पर उठाए गए एक सवाल का जवाब देते हुए स्मृति जुबिन ईरानी ने कहा कि हमने सभी राज्य सरकारों, जिलाधिकारियों और देश भर की चाइल्ड वेलफेयर कमेटियों के साथ चर्चा करने के बाद ही हमने नए रेगुलेशन प्रस्तावित किए. इसकी प्रस्तावना के बाद जब नए रेगुलेशन्स घोषित होने के बाद भी जिलाधिकारियों, वेलफेयर कमेटियों और प्रोस्पेक्टिव पैरेंट के साथ लगभग 18 सौ स्टेकहोल्डर्स के साथ हमारा समन्वय रहा.
जब नए रेगुलेशन्स प्रस्तावित हुए और नोटिफाई हुए तब लगभग 900 केसेज देश भर में पेंडिंग थे. हमने राज्य सरकारों से ये निवेदन किया कि जितने भी मामले हैं आप उसको विड्रॉ करें. इसके बाद 23 सितंबर से लेकर दिसंबर के पहले महीने में 580 से ज्यादा बच्चे एडॉप्ट हो चुके हैं. इसके अलावा सभी जिलाधिकारी नेशनल पोर्टल पर उसमें संबद्ध हैं और एडॉप्शन के सारे प्रोसीजर कर रहे हैं.स्मृति ईरानी, केंद्रीय मंत्री
इसके अलावा उन्होंने बताया कि पहली बार जिला के मेडिकर ऑफिसर्स हैं, वो भी अब इस एडॉप्शन के प्रोसेस का अभिन्न अंग बन चुके हैं. इसके अलावा बालक और बालिका की दिव्यांगता को प्रमाणित करने के लिए एक जिलास्तरीय व्यवस्था बैठा दी गई है.
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