ADVERTISEMENTREMOVE AD

Pegasus Project: बड़े फोन टैपिंग कांड का निचोड़ समझिए 10 प्वाइंट में

पेगासस क्या है..पेगासस प्रोजेक्ट क्या है..किन लोगों के फोन हैक हुए हैं ...जानें हर सवाल का जवाब

Published
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

18 जुलाई को सरकारों द्वारा पेगासस (Pegasus) जैसे स्पाइवेयर के प्रयोग से जासूसी की रिपोर्टो ने पूरी दुनिया में निजता और सुरक्षा के खतरों पर बहस को तेज कर दिया. एक भारतीय ऑनलाइन न्यूज़ पोर्टल ने अपने रिपोर्ट में दावा किया कि कम से कम 40 भारतीय पत्रकारों की जासूसी के लिए इजरायली स्पाइवेयर पेगासस का प्रयोग किया गया है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

ऐसे में इस बड़े फोन टैपिंग कांड से जुड़े आपके 10 बड़े सवालों का यह रहा आसान भाषा में जवाब :

पेगासस क्या है?

पेगासस इजराइल स्थित कंपनी ,NSO ग्रुप द्वारा बनाया हुआ एक मिलिट्री ग्रेड स्पाइवेयर है, जिसका प्रयोग किसी भी iPhone या एंड्रॉयड फोन पर किया जा सकता है. इसकी सहायता से हजारों मील दूर बैठकर किसी सर्विलांस डिवाइस की मदद से किसी भी फोन के मैसेज फोटो,कैमरा, लोकेशन को देखा या फोन कॉल को रियल टाइम में सुना तथा रिकॉर्ड किया जा सकता है.

पेगासस प्रोजेक्ट क्या है?

सबसे पहले 'फॉरबिडन स्टोरीज' और 'एमनेस्टी इंटरनेशनल' के हाथ पेगासस स्पाइवेयर से जुड़ी कुछ ऐसी संवेदनशील जानकारी लगी, जिससे यह साबित होता था कि 2016 से लगभग 50 हजार फोनों पर 10 देशों में सरकारों ने जासूसी की है. बाद में उन्होंने 17 अन्य मीडिया संस्थानों से यह जानकारी शेयर की और इसको 'पेगासस प्रोजेक्ट' का नाम दिया.

किन लोगों ने पेगासस प्रोजेक्ट को अंजाम दिया ?

शुरुआत में इसमें सिर्फ पेरिस स्थित 'फॉरबिडन स्टोरीज' और लंदन स्थित 'एमनेस्टी इंटरनेशनल' के कुछ खास पत्रकार जुड़े थे. लेकिन फिर उन्होंने 17 अन्य मीडिया संस्थानों को इससे जोड़ा और उनसे अपनी जानकारी साझा की.फिर 80 पत्रकारों की टीम तैयार हुई. उन्होंने महीनों पेगासस लिक्ड डेटा की जांच की और अब खुलासा कर रहे हैं.

फॉरबिडन स्टोरीज क्या है ?

फ्रांस की राजधानी पेरिस स्थित फॉरबिडन स्टोरीज (Forbidden Stories) पत्रकारों का एक साझा मंच है जिसकी स्थापना 2015 में इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट लॉरेंट रिचर्ड ने की थी.यह एक ऐसी नॉन-प्रॉफिट जर्नलिज्म ऑर्गनाइजेशन(गैर-लाभकारी पत्रकारिता संगठन) है जो पत्रकारों के उन संवेदनशील जानकारियों की रक्षा करती है ,जिसकी वजह से उनको खतरा है.

किन लोगों के फोन हैक हुए हैं ?

पेगासस प्रोजेक्ट के पास कम से कम 10 देशों के 50 हजार फोन नंबरों की लिस्ट है,जिन पर कथित तौर पर 2016 से जासूसी की गई है.

18 जुलाई को हुए खुलासे के अनुसार भारत में कम से कम 40 पत्रकारों की जासूसी की जा रही थी .इसमें द वायर, हिंदुस्तान टाइम्स, इंडियन एक्सप्रेस, द हिंदू के पत्रकारों के अलावा कई स्वतंत्र पत्रकारों का नंबर शामिल है.
  • 01/02
  • 02/02
ADVERTISEMENTREMOVE AD

क्या और भी लोगों के फोन हैक हुए हैं ?

द वायर के मुताबिक भारत में 300 वेरीफाइड फोन नंबरों की जासूसी हुई है, जिसमें मंत्रियों, विपक्षी नेताओं, पत्रकारों, बिजनेसमैन, सरकारी अधिकारियों, वैज्ञानिकों मानवाधिकारियों और एक जज का नंबर भी शामिल है.18 जुलाई को सिर्फ पत्रकारों की जासूसी का खुलासा हुआ है. आगे एक-एक करके और भी खुलासे की उम्मीद है. कुल 50 हजार नंबर रडार पर थे.

किस पर है जासूसी का आरोप ?

चूंकी पेगासस स्पाइवेयर बनाने वाली इजरायल स्थित कंपनी,NSO ग्रुप सिर्फ सरकारों को ही अपना मिलिट्री ग्रेड स्पाइवेयर टेक्नोलॉजी बेचती है इसलिए जासूसी का सीधा आरोप सरकारों पर ही लग रहा है.

हैकर' पेगासस को कैसे 'हैक' किया गया?

2018 में एमनेस्टी इंटरनेशनल के कर्मचारी और सऊदी कार्यकर्ता याह्या असिरी को पेगासस स्पाइवेयर का निशाना बनाए जाने के बाद एमनेस्टी इंटरनेशनल ने NSO ग्रुप के पेगासस पर अपनी तकनीकी जांच तेज कर द.साथ में फॉरबिडन स्टोरीज के तकनीकी टीम ने क्रास चेक करके 2016 से हुऐ 50 हजार से अधिक फोनो की जासूसी का डेटा इकट्ठा किया.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

क्या है भारत सरकार का जवाब

सरकार ने जासूसी की खबर को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि "मौलिक अधिकार के रूप में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की प्रतिबद्धता भारत के लोकतांत्रिक व्यवस्था की आधारशिला है"

"खास लोगों पर सरकारी सर्विलांस के आरोप का कोई ठोस आधार या इससे जुड़ी सच्चाई नहीं है...अतीत में भी भारत सरकार द्वारा व्हाट्सएप पर पेगासस के उपयोग के संबंध में इसी तरह के दावे किए गए थे... यह समाचार रिपोर्ट भी भारतीय लोकतंत्र और उसकी संस्थाओं को बदनाम करने का अभियान प्रतीत होता है"

'पेगासस कांड' के बाद क्या बड़े सवाल उठते हैं ?

एक तरफ NSO ग्रुप का दावा है कि वह सिर्फ सरकारों से डीलिंग करती है तो दूसरी तरफ भारत सरकार का दावा है कि उसने जासूसी नहीं करायी.तो फिर सबसे बड़ा सवाल है कि

  • अगर किसी और देश ने महत्वपूर्ण भारतीयों की जासूसी कराई है तो फिर तो यह हमारे संप्रभुता पर हमला है.सरकार क्या कदम उठा रही?

  • यह प्रकरण राष्ट्रीय सुरक्षा पर भी बड़ा सवाल उठाता है .अगर किसी और देश ने जासूसी की है तो क्या भारत अपने राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए इस स्थिति से निपटने के लिए तकनीकी तौर पर तैयार है?

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×