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जिसने भी की पेगासस से जासूसी, वो कितना खर्च कर रहा है

अकेले इंस्टॉलेशन फी 5 लाख डॉलर का,10 आईफोन या एंड्रॉयड यूजर्स पर जासूसी के लिए 6.5 लाख डॉलर..पैसा फेक जासूसी देख

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दुनिया के कई देशों में राजनीतिक हलचल पैदा करने वाले पेगासस (Pegasus) स्पाइवेयर की कीमत कितनी है? 2016 में द न्यू यॉर्क टाइम्स द्वारा अधिग्रहित (acquired) NSO ग्रुप के कॉमर्शियल प्रस्ताव के दस्तावेजों के आधार पर अनुमान के मुताबिक, इजरायली कंपनी ने अपने सर्विलांस प्रोडक्ट्स की कीमत सॉफ्टवेयर कंपनियों के हिसाब से अलग-अलग रखी है.

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NSO पेगासस स्पाइवेयर इंस्टॉल करने की फी 5 लाख डॉलर है. इसके अलावा, 10 आईफोन या एंड्रॉयड यूजर्स पर जासूसी के लिए 6.5 लाख डॉलर, पांच ब्लैकबेरी यूजर्स पर जासूसी करने के लिए 5 लाख डॉलर और 5 सिंबियन यूजर्स पर जासूसी करने के लिए 3 लाख डॉलर की रकम अलग देनी होगी.

रिपोर्ट के मुताबिक, इसके अलावा और टारगेट के लिए क्लाइंट को अतिरिक्त फी देनी होती थी- 100 एक्स्ट्रा टारगेट के लिए 8 लाख डॉलर, 50 एक्स्ट्रा टारगेट के लिए 5 लाख डॉलर और 20 एक्स्ट्रा टारगेट के लिए 1.5 लाख डॉलर.

साथ ही NSO पहले ऑर्डर के बाद, सालना मेंटेनेंस फीस भी लेता है. ये कुल लागत का 17% होता है.

भारत में पेगासस से जासूसी की कीमत क्या है?

ऊपर लिखे रेट लिस्ट के बाद भारत में पेगासस स्पाइवेयर की मदद से जासूसी की कीमत का आंकलन करने की कोशिश करते हैं. अगर लिक्ड लिस्ट में 300 'वेरीफाइड' भारतीय फोन नंबर शामिल हैं तो 2016 से पहले की दर पर भी, और यह मानते हुए कि इन सभी 300 टारगेट के सर्विलांस के लिए एक ही एजेंसी जिम्मेदार थी ,अकेले इंस्टॉलेशन फी 5 लाख डॉलर का बनता है. अगर कई एजेंसियों ने जासूसी की होगी तो फिर इंस्टॉलेशन फी इससे कई गुना ज्यादा होगी.

इंस्टॉलेशन फी के अलावा पहले 10 आईफोन यूजर्स के लिए 1.3 मिलियन डॉलर और बाकी बचे टारगेट के लिए 2.25 मिलियन डॉलर का खर्चा. यानी बिना एनुअल मेंटेनेंस फी जोड़े भी कुल खर्चा 4.05 मिलियन डॉलर का आता है.

अगर 17% की दर से एनुअल मेंटेनेंस फी को जोड़ दें तो 2016-21 के बीच यह खर्चा 7.5 मिलियन डॉलर तक पहुंच जाता है. भारतीय रुपए में बताएं तो लगभग 56 करोड़ रुपये का.

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हालांकि इस बात की पुष्टि नहीं की जा सकती है कि यह कीमतें पेगासस टूल के लिए हैं या नहीं. लेकिन याद रखें कि पेगासस स्पाइवेयर NSO ग्रुप के मुख्य प्रोडक्ट में से एक है और इन अनुमानों का मतलब है कि भारतीय जासूसी की कीमत ₹56 करोड़ से भी बहुत अधिक हो सकती है.

इसके साथ रिन्यूअल और वैलिडिटी पीरियड को बढ़ाने के लिए अलग से फी देना पड़ता है. इस 56 करोड़ के खर्चे में वार्षिक लागत वृद्धि और इस सर्विस के लिए प्रीमियम फ्री को भी शामिल नहीं किया गया है.

इजरायल में साइबर टेक्नोलॉजी का 1 बिलियन डॉलर का मार्केट

इजरायली अखबार Haaretz की रिपोर्ट के मुताबिक साइबर टेक्नोलॉजी इजरायल में एक बड़ा बिजनेस है. इंडस्ट्री सोर्स का हवाला देते हुए इस अखबार ने बताया कि यह उद्योग सालाना तौर पर 1 बिलियन डॉलर का उत्पादन करता है, जिसमें सबसे बड़ी कंपनी NSO ग्रुप है.

NSO ग्रुप का स्टैंड है कि वह "आपराधिक और आतंकी घटनाओं को रोकने के उद्देश्य" से अपनी तकनीक को "पूरी तरह से जांच की गई सरकारों" की कानून प्रवर्तक और खुफिया एजेंसियों को बेचता है.भारत सरकार ने हालांकि इस जासूसी के आरोप को "भारतीय लोकतंत्र को बदनाम करने का प्रयास" कहते हुए खारिज कर दिया है ,लेकिन इसने इस बात से इंकार नहीं किया है कि भारत भी NSO ग्रुप के इस स्पाइवेयर का कस्टमर था.

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