लोकसभा में बुधवार, 21 दिसंबर को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) और कांग्रेसी सांसद गौरव गोगोई (Gaurav Gogoi) के बीच उस समय तीखी नोकझोंक देखने को मिली, जब गौरव गोगोई ने सरकार पर इजरायली स्पाइवेयर पेगासस (Pegasus surveillance) के जरिए मोबाइल फोन टैप करने के आरोप लगाए. इन आरोपों से नाराज गृह मंत्री ने जवाब देते हुए कहा कि अगर पेगासस स्पाइवेयर से किसी नेता या पत्रकार की जासूसी हुई है तो गौरव गोगोई इसका सबूत संसद के सामने रखें. गृह मंत्री ने सदन में यहां तक कहा कि पेगासस जासूसी कांड में सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही निर्णय दे दिया है.
आपको बताते हैं कि सदन में पेगासस जासूसी कांड पर आज क्या कुछ हुआ और यह मामला कोर्ट में कहां तक पहुंचा है.
पेगासस जासूसी कांड: सदन में आज क्यों हुई बहस?
दरअसल ड्रग्स के दुरुपयोग पर एक चर्चा के दौरान, असम के सांसद गौरव गोगोई ने कहा कि “मैं गृह मंत्री से पूछना चाहता हूं कि आपने एयरपोर्ट और समुद्र और भूमि सीमाओं पर सर्विलांस कैसे बढ़ाया है, जहां से ड्रग्स देश में आता है? आप सीमा सुरक्षा की बात करते हैं, हम जानना चाहते हैं कि आपने सीमा सुरक्षा बलों को कैसे मजबूत किया है?"
"आप हम पर जासूसी कर लेते हैं, हमारे मोबाइल पर पेगासस लगा देते हैं. पेगासस से आप पत्रकारों की जासूसी करते हैं. आप बताइये पेगासस के जरिए आपने कितने ड्रग माफिया को पकड़ा है?”सांसद गौरव गोगोई
इस आरोप पर, शाह ने पलटवार करते हुए कहा कि “उन्होंने (सांसद गोगोई) कुछ गंभीर आरोप लगाए हैं कि पेगासस के माध्यम से उनका फोन टैप किया गया था. आप इसका आधार सदन में रखिए, आप ऐसी बातें यूं ही नहीं कह सकते. आपके पास एक भी आधार है तो दीजिए... पत्रकारों का, किसी नेता का या उनका खुद का.. यह सदन गंभीर चर्चा के लिए है, बिना आधार की राजनीति से प्रेरित आरोपों के लिए नहीं”
इसपर गोगोई ने आगे कहा कि अगर उन्होंने गलत बयान दिया है तो सरकार को सामने आना चाहिए और कहना चाहिए कि उसने पेगासस का इस्तेमाल नहीं किया है. इस पर अमित शाह ने जवाब दिया, 'आप सबूत दीजिए. सुप्रीम कोर्ट पहले ही फैसला कर चुका है.”
पेगासस जासूसी कांड: आरोप से सुनवाई तक, अबतक क्या-क्या हुआ?
18 जुलाई 2021: वैश्विक स्तर पर कई मीडिया हाउस ने मिलकर 'पेगासस प्रोजेक्ट' का खुलासा किया, जिसमें दावा किया गया कि इजरायली कंपनी NSO के स्पाइवेयर पेगासस के जरिए भारत में 300 से अधिक मोबाइल फोन की जासूसी की गयी है. इसमें मोदी सरकार में दो मंत्री, तीन विपक्षी नेता, कई पत्रकार और बिजनेसमैन शामिल थे.
19 जुलाई 2021: केंद्र सरकार ने पेगासस स्पाईवेयर से जासूसी के सभी आरोपों को सिरे से नकार दिया. IT मंत्री अश्विनी वैष्णव ने भी कहा कि संसद के मानसून सत्र से एक दिन पहले इस रिपोर्ट का आना महज संयोग नहीं हो सकता.
19 जुलाई 2021: NSO ग्रुप ने दावा किया कि जासूसी के आरोप झूठे और भ्रामक हैं.
20 जुलाई 2021: संसद के मानसून सत्र के दौरान, कांग्रेस ने पेगासस विवाद की एक संयुक्त संसदीय समिति द्वारा जांच की मांग की.
22 जुलाई 2021: सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई, जिसमें पेगासस स्पाइवेयर स्कैंडल में SIT द्वारा अदालत की निगरानी में जांच की मांग की गई थी.
25 जुलाई 2021: CPI(M) नेता और राज्यसभा सांसद जॉन ब्रिटास ने पेगासस स्पाईवेयर विवाद की अदालत की निगरानी में SIT जांच कराने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया.
27 जुलाई 2021: पश्चिम बंगाल की CM ममता बनर्जी ने कथित जासूसी की जांच के लिए एक आयोग बनाया. SC के रिटायर्ड जज जस्टिस मदन बी लोकुर और कलकत्ता हाई कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस (रिटायर्ड) ज्योतिर्मय भट्टाचार्य को आयोग के सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया था.
29 जुलाई 2021: 500 से अधिक व्यक्तियों और समूहों ने तात्कालिक CJI N V रमना को पत्र लिखकर मामले में सुप्रीम कोर्ट के तत्काल हस्तक्षेप की मांग की.
5 अगस्त 2021: सुप्रीम कोर्ट ने मामले की स्वतंत्र जांच की मांग वाली आठ याचिकाओं पर सुनवाई की.
16 अगस्त 2021: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह "अनिच्छुक" केंद्र सरकार को पेगासस से जुड़ीं याचिकाओं पर एक विस्तृत हलफनामा दायर करने के लिए मजबूर नहीं कर सकता है. सरकार ने कोर्ट में दायर एक हलफनामे में कहा था कि वह "क्षेत्र में विशेषज्ञों की एक समिति बनाएगी जो इस मुद्दे के सभी पहलुओं पर ध्यान देगी".
17 अगस्त 2021: सुप्रीम कोर्ट ने जासूसी के आरोपों की स्वतंत्र जांच की मांग करने वाली याचिकाओं पर केंद्र को प्री-एडमिशन नोटिस जारी किया.
27 अक्टूबर 2021: यह फैसला देते हुए कि हर बार राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देकर सरकार फ्री पास नहीं ले सकती, सुप्रीम कोर्ट ने पेगासस से जासूसी के आरोपों की "गहन जांच" करने के लिए एक समिति नियुक्त की. समिति में तीन तकनीकी सदस्य थे और इसकी निगरानी रिटायर्ड जज जस्टिस आर वी रवींद्रन करेंगे.
26 अगस्त 2022: सुप्रीम कोर्ट की इस समिति को जांचे गए फोनों में स्पाइवेयर के उपयोग पर कोई निर्णायक सबूत नहीं मिला, लेकिन उसने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि केंद्र सरकार ने पैनल के साथ "सहयोग नहीं किया".
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)